राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य
मिशन के अंतर्गत प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत माता एवं शिशु की
मृत्यु दर को घटाना प्रमुख लक्ष्य रहा है। इस मिशन के अंतर्गत स्वास्थ्य और
परिवार कल्याण मंत्रालय ने कई नए कदम उठाये हैं जिनमें जननी सुरक्षा योजना भी
शामिल है। इसकी वजह से संस्थागत प्रजनन में काफी वृद्धि हुई है और इसके तहत हर
साल एक करोड़ से अधिक महिलाएं लाभ उठा रही हैं। जननी सुरक्षा योजना की शुरूआत संस्थागत
प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए की गई थी जिससे शिशु जन्म प्रशिक्षित दाई/नर्स/डाक्टरों
द्वारा कराया जा सके तथा माता एवं नवजात शिशुओं को गर्भ से संबंधित जटिलताओं एवं
मृत्यु से बचाया जा सके।
यद्पि,
संस्थागत शिशु जन्म में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। फिर भी गर्भवती
महिलाओं तथा उनके परिवार को काफी खर्चा करना पड़ता है। इसके कारण गर्भवती महिलाएं
संस्थागत प्रजनन को बाधा के रूप में लेती है। वे घर में प्रजनन कराने को वरियता
देती है। इस कारण से, अधिकतर रूग्ण नवजात शिशुओं को स्वास्थ्य
की सुविधाएं न मिलने के कारण मृत्यु हो जाती हैं।
इस समस्या का निवारण करने के लिए
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने (जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम) एक
जून 2011 को गर्भवती महिलाओं तथा रूग्ण नवजात शिशुओं को बेहतर स्वास्थ्य
सुविधाएं प्रदान करने के लिए शुरू किया था। इस योजना के अंतर्गत मुफ्त सेवा प्रदान
करने पर बल दिया गया है। इसमें गर्भवती महिलाओं तथा रूग्ण नवजात शिशुओं को खर्चों
से मुक्त रखा गया है।
इस योजना के तहत,
गर्भवती महिलाएं को मुफ्त दवाएं एवं खाद्य, मुफ्त
इलाज, जरूरत पड़ने पर मुफ्त खून दिया जाना, सामान्य प्रजनन के मामले में तीन दिनों एवं सी-सेक्शन के मामले में सात
दिनों तक मुफ्त पोषाहार दिया जाता है। इसमें घर से केंद्र जाने एवं वापसी के लिए मुफ्त
यातायात सुविधा प्रदान की जाती है। इसी प्रकार की सुविधा सभी बीमार नवजात शिशुओं
के लिए दी जाती है। इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में हर साल
लगभग एक करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं को योजना का लाभ मिला है।
भारत में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर)
एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में अत्यधिक प्रगति की गई है,
जिसमें और सुधार किए जाने की आवश्यकता है। वर्ष 2005 में शुरू की गई जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) के बाद संस्थागत शिशु जन्म
में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कई संस्थागत प्रजनन के मामलों में माताएं 48 घंटों से अधिक केंद्रों में रूकने के लिए इच्छुक नहीं थी जबकि जन्म के
बाद पहले 48 घंटे अत्यंत नाजुक होते हैं तथा हैमरेज,
इन्फेक्शन, उच्च रक्त दबाव आदि जैसी परेशानियां
पैदा होने की संभावनाएं रहती हैं। असुरक्षित प्रजनन में माता एवं बच्चों के रोगी
होने या मृत्यु की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
माता एवं बच्चों के स्वास्थ्य
की देखभाल का खर्चा, दवाओं का खर्चा,
जांच आदि से भी उक्त सेवाएं प्रभावित होती हैं। कुछ मामलों में
जैसे कि खून की कमी या हैमरेज होने पर खून दिए जाने से भी खर्चा बढ़ जाता है।
सीजेरियन डिलीवरी के मामले में तो खर्चा और बढ़ जाता है।
जननी सुरक्षा कार्यक्रम की शुरूआत
यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि प्रत्येक गर्भवती महिला तथा एक माह तक रूग्ण
नवजात शिशुओं को बिना किसी लागत तथा खर्चे के स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएं।
जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के
अंतर्गत सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त प्रजनन सुविधाएं (सीजेरियन ऑपरेशन
समेत) मुहैया की जाती हैं। गर्भवती महिलाओं को मुफ्त में दवाएं दी जाती हैं इनमें
आयरन फॉलिक अम्ल जैसे सप्लीमेंट भी शामिल हैं। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को
खून,
पेशाब की जांच, अल्ट्रा-सोनोग्राफी आदि
अनिवार्य और वांछित जांच भी मुफ्त कराई जाती है। सेवा केंद्रों में सामान्य
डिलीवरी होने पर तीन दिन तथा सीजेरियन डिलीवरी के मामले में सात दिनों तक मुफ्त
पोषाहार दिया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर मुफ्त खून भी दिया जाता है। गर्भवती
महिलाओं को समय पर रैफरेल-यातायात सुविधा दिए जाने से माता एवं नवजात शिशुओं का
बचाव किया जा सकता है। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत ओपीडी फीस एवं
प्रवेश प्रभारों के अलावा अन्य प्रकार के खर्चे करने से मुक्त रखा गया है।
जन्म से 30 दिनों तक रूग्ण नवजात शिशु हेतु सभी दवाएं और अपेक्षित खाद्य मुफ्त में
मुहैया कराई जाती है। माता के साथ-साथ नवजात शिशु की भी मुफ्त जांच की जाती है और
आवश्यकता पड़ने पर मुफ्त में खून भी दिया जाता है। घर से केंद्र जाने और आने के
लिए भी मुफ्त में वाहन सुविधा दी जाती है।
संक्षेप में,
केंद्र में प्रजनन कराने से माता के साथ-साथ शिशु की भी सुरक्षा
रहती है। जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत जहां गर्भवती महिला को नकद सहायता दी जाती
है, वहीं पर जननी सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत गर्भवती
महिलाओं तथा रूग्ण नवजात शिशुओं पर खर्चा कम करना पड़ता है। इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य
केंद्रों में जाना बढ़ा है तथा इससे माताओं एवं शिशुओं की मृत्यु दर में कमी आई
है।
जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम की
शुरूआत करने से सभी गर्भवती महिलाओं को सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में
प्रजनन कराने में प्रोत्साहन मिलेगा। इससे केंद्रों पर अच्छी जन्म संबंधी
सेवाएं मिलेगी। रूग्ण नवजात शिशुओं का मुफ्त इलाज किए जाने से नवजात शिशुओं की
मृत्यु दर घटाने में सहायता मिलेगी। इस कार्यक्रम से माता एवं नवजात शिशुओं की
रूग्णता और मृत्यु दर में कमी आएगी।
PIB
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