बुधवार, 22 मई 2013

युवाओं के लिए रोजगार अवसरों का सृजन


भारत एक विशाल देश है। इसकी आबादी लगभग 1.21 अरब है और लगभग 475 मिलियिन की श्रम शक्ति यहां मौजूद है। वर्ष 2009-10 के लिए उपलब्‍ध अनुमानों के अनुसार यहां लगभग 9.5 मिलियन लोग बेरोजगार थे। रोजगार जीविका और आत्‍मतुष्टि का प्रमुख साधन होता है। लगभग छह प्रतिशत भारतीय श्रम शक्ति संगठित क्षेत्रों में लगी हुई है, जबकि बाकी 94 प्रतिशत लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। यहां पर संगठित क्षेत्र में अतिरिक्‍त लोगों के लिए रोजगार सृजन के अवसर कम हैं।

भारत की अधिकांश जनसंख्‍या अन्‍य अर्थव्‍यवस्‍थाओं के मुकाबले कम आयु वाली है। बड़े विकसित देशों के मुकाबले भी ऐसा ही कहा जाएगा। अगले 20 वर्षों में भारत की श्रम शक्ति में 32 प्रतिशत वृद्धि होने की संभावना है जबकि अन्‍य औद्योगिक देशों में इसमें 4 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। चीन में तो लगभग पांच प्रतिशत गिरावट रहेगी। इसीलिए हमारी कोशिश यह है कि हम अधिक जनसंख्‍या से फायदा उठाये और अपने लोगों को अच्‍छे स्‍तर के स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और कौशल विकास के अवसर दें। इससे ऐसा माहौल बनेगा कि अर्थव्‍यवस्‍था में तेजी से‍विकास होगा और देश के युवा वर्ग की आकांक्षाएं और जरूरतें पूरी करने के लिए बेहतर रोजगार और जीविका के अवसर मिलेंगे।

सरकार बेरोजगारी में कमी लाने की लगातार कोशिशें करती रहीं हैं। इसके लिए उसने अनेक रोजगार सृजन कार्यक्रम शुरू किये हैं। इनमें स्‍वर्ण जयंती सहकारी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई), प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) और राष्‍ट्रीय ग्रामीण जीविका मिशन। इसके अलावा कई उद्यमिता विकास कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं, जिसका संचालन सूक्ष्‍म, लघु एवं औसत उद्योग मंत्रालय करता है।

महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (एमजीएनआरईजीए) भी लोगों को साल भर में कम-से-कम एक सौ दिन शारीरिक परिश्रम वाला काम देने की गारंटी देता है।

जवाहरलाल नेहरू राष्‍ट्रीय शहरी पुनर्निर्माण मिशन (जेएनएनयूआरएम) इस मिशन का उद्देश्‍य चुनिंदा शहरों का तेजी से विकास प्रोत्‍साहित करना है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत शहरी बुनियादी सुविधाओं की कुशलता बढ़ाने और सेवा सुपुर्दगी तंत्र और सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने के लिए काम किया जाता है।

भारत निर्माण
ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं के महत्‍वपूर्ण क्षेत्र-इस कार्यक्रम के अंतर्गत सिंचाई, सड़कें पानी की सप्‍लाई, आवास, बिजली और टेलीफोन कनेक्‍शन बढ़ाने का काम किया जाता है। इससे ग्रामीण लोगों का रहन-सहन बेहतर हुआ और आखिरकार आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं, जिससे बुनियादी तंत्र मजबूत हुआ है। इस कार्यक्रम के कारण ग्रामीण और शहरी इलाकों में लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।

मूल सुविधाओं का विकास
12वीं योजना अवधि में मूल सुविधाओं के विकास पर रूपये 45 लाख करोड़ खर्च करने का प्रावधान किया गया है। इसमें से लगभग आधी राशि प्राइवेट सेक्‍टर से आएगी।

कौशल विकास
·         कौशल और ज्ञान आर्थिक और सामाजिक विकास की चालक शक्तियां होती हैं। जिन देशों में कौशल का स्‍तर  बेहतर होता है वे दुनिया भर में चुनौतियों और सुअवसरों से बेहतर ढंग से समायोजन करते हैं।

·         सरकार प्रशिक्षण मूल सुविधा के सृजन के प्रति गंभीर है और युवा वर्ग को बेहतर प्रशिक्षण रोजगार दे रही है। क्‍वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा कराये गये एक अध्‍ययन के अनुसार आधुनिकीकृत आईटीआई में मूल सुविधाओं में सुधार के बाद प्‍लेसमेंट की दर 80 से 99 प्रतिशत तक बढ़ गई। 11वीं योजना अवधि में कौशल विकास इनीशिएटिव स्‍कीम शुरू की गई थी। इसका आधार था। मोड्युलर इमप्‍लायेबल स्किल्‍स यह स्‍कीम उन लोगों के लिए थी जो समय से पहले ही स्‍कूली शिक्षा छोड़ देते हैं और जो श्रमिक का काम करते हैं। इनकी असंगठित क्षेत्र में रोजगार की योग्‍यता में सुधार लाने के लिए यह स्‍कीम चलाई गई। इस स्‍कीम के अंतर्गत अब तक लगभग 16 लाख लोग प्रशिक्षित किये जा चुके हैं।

·         विभिन्‍न कौशल विकास कार्यक्रमों के अंतर्गत बड़ी संख्‍या में लोगों के कौशल विकास का काम चल रहा है। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक पांच सौ मिलियिन लोगों के कौशल विकास का लक्ष्‍य तय किया है। इसके लिए श्रम और रोजगार मंत्रालय को एक सौ मिलियन लोगों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। सरकार इस लक्ष्‍य को पूरा करने के लिए बराबर कोशिश कर रही है और प्रशिक्षण क्षमता बढ़ा दी गई है। वर्ष 2006-07 में जहां नौ लाख लोगों को ट्रेनिंग दी जा सकती थी वहीं 2011-12 में यह क्षमता बढ़ाकर 26 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने की कर दी गई। इसके लिए सभी सरकारी आईटीआई को आधुनिक बनाया जा रहा है और वे दो तीन शिफ्टों में काम कर रहे हैं। पिछले पांच वर्षों के दौरान सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र के आईटीआई में प्रशिक्षित लोगों की संख्‍या बढ़ गई है। वर्ष 2006-07 में जहां 5114 लोग आईटीआई से प्रशिक्षित होकर निकले थे, वहीं इस मामले में ताजा आंकड़ा 10,334 लोगों का है, जो पहले के मुकाबले लगभग दुगना है। सरकार पीपीपी मोड में 1500 और आईटीआई खोलने जा रही है। साथ ही, पांच हजार कौशल विकास केंद्र भी पीपीपी मोड में शुरू होंगे। इससे प्रशिक्षण क्षमता और बढ़ जाएगी। सरकार ने काफी संख्‍या में प्रशिक्षक तैयार करने के लिए उन्‍नत स्‍तर के 27 और प्रशिक्षण संस्‍थान खोलने की योजना बनाई है। इससे प्रशिक्षण क्षमता बढ़ेगी।

12वीं योजना के महत्‍वपूर्ण क्षेत्र
12वीं योजना अवधि में सरकार एक ऐसी सर्वसमावेशी नीति लाने वाली है, जिसके अंतर्गत देश के कम आयु के युवा को रोजगार पाने के बेहतर अवसर प्रदान किये जाएंगे।
मुख्‍य रूप से जिन क्षेत्रों पर जोर दिया जाएगा वे निम्‍नलिखित होंगे:-

(क) उत्‍पादन क्षेत्र पर जोर- इसको आर्थिक विकास की चालक शक्ति बनाया जाएगा और इसमें वर्ष 2025 तक एक सौ मिलियिन अतिरिक्‍त नौकरियां सृजित की जाएंगी।

(ख) ऐसी नीतियां शुरू की जाएंगी जिनसे श्रम सघन उत्‍पादन क्षेत्र को बढ़ावा मिले और लोगों को ज्‍यादा रोजगार अवसर मिल सकें। इनमें वस्‍त्र एवं परिधान, चमड़ा और फुटवेयर, फूड प्रोसेसिंग, रत्‍न और जवाहरात जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

(ग) सूचना टैक्‍नोलॉजी, वित्‍त एवं बैंकिंग, पर्यटन, व्‍यापार एवं परिवहन जैसे सेवा क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएंगे।
(घ) अनौपचारिक क्षेत्र के लिए प्रशिक्षण कौशल की प्राथमिकता तय करना-इसके लिए गांवों से आकर शहरों में बसने वाले लोगों को विभिन्‍न कौशलों का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि विकास सर्व समावेशी हो सके।

(च) बाजार की मांग के अनुरूप कौशल के मोड्यूलों को तैयार करना और इस काम में स्किल्‍स काउंसिलों की मदद लेना ताकि प्रशिक्षण प्राप्‍त लोगों को उचित रोजगार दिलाया जा सके।

(छ) रोजगार सुनिश्चित करने के लिए मोड्यूलों को रोजगार परक बनाना, ताकि उसके अनुरूप मोड्यूलर इम्‍प्‍लायेबल स्किल कार्यक्रम तैयार किये जा सकें।
 (ज) अंसगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के लाभ दिलाना।
(झ) साधनहीन छात्रों को शिक्षा ऋण लेने में सक्षम बनाना (क्रेडिट गारंटी फंड)
(ट) कौशल विकास के लिए आर्थिक सहायता सुनिश्चित करने के लिए वंचित वर्गों को कौशल विकास कार्यक्रमों से लाभ पहुंचाना।
 (ठ) राष्‍ट्रीय स्‍तर पर कौशल का रजिस्‍टर बनाना और उसे मंत्रालयों/राज्‍यों से संबद्ध करना ताकि लोगों को रोजगार का एक मंच मिल सके।

हाल के वर्षों में राज्‍य और केंद्र सरकार के क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है, जिससे पता चलता है कि उनकी प्राथमिकताएं और सामाजिक सेवाएं बढ़ गई हैं। अब सामाजिक सेवाओं पर अधिक खर्च होता है। सामाजिक सेवाओं में शिक्षा, खेलकूद, कला एवं संस्‍कृति, स्‍वास्‍थ्‍यचर्या एवं सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य, परिवार कल्‍याण, पानी की सप्‍लाई और साफ-सफाई, आवास शहरी विकास, अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जन-जातियों का कल्‍याण, अन्‍य पिछड़े वर्गों का कल्‍याण, श्रम और श्रम कल्‍याण, सामाजिक सुरक्षा और कल्‍याण तथा पोषण और प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा आदि शामिल हैं।

राष्‍ट्रीय ई-गवर्नेंस
 राष्‍ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना में रोजगार केंद्रों को मिशन मोड प्रोजेक्‍ट्स का उच्‍चीकरण और आधुनिकीकरण माना गया है। मिशन मोड प्रोजेक्‍ट्स का उद्देश्‍य है देश के सभी रोजगार केंद्रों की सहायता करना और उन्‍हें रोजगार प्रदान करने का कारगर साधन बनाना। इसके लिए एक राष्‍ट्रीय स्‍तर का वेब पोर्टल भी विकसित किया जाएगा जिसमें एकल खिड़की आधार पर रोजगार से संबंधित सभी सेवाएं उपलब्‍ध कराई जाएंगी और वह एक तरह से कम्‍प्‍यूटर पर जॉब मार्केट की तरह काम करेगा। इससे रोजगार केंद्र व्‍यापक आधार पर और तेजी से बेहतर क्‍वालिटी की सेवाएं दे सकेंगे।


PIB

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