जल एक प्राकृतिक संसाधन है, जीवन, खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ
विकास के लिए मूलभूत ज़रूरत है। यह एक अपर्याप्त संसाधन भी है। भारत में विश्व
की 18 प्रतिशत से अधिक जन संख्या है लेकिन यहां विश्व के 2.4 प्रतिशत भूमि
क्षेत्र के साथ केवल 4 प्रतिशत ही नवीकरणीय जल संसाधन है। इसके अलावा देश में साल
की 75 प्रतिशत बारिश केवल 4 महीनों में ही होती है। उसमें भी हर जगह इसकी मात्रा
अलग-अलग होती है। राजस्थान में 10 से.मी. बारिश से लेकर पूर्वोत्तर क्षेत्र में
1000 से.मी. तक वर्ष होती है। इसके अलावा देश के किसी न किसी भाग में लगातार बाढ़
और सूखे की नियमित चुनौतियां हैं। बढ़ती आबादी और तेज़ी से विकसित हो रहे राष्ट्र
के रूप में बढ़ती ज़रूरतों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के उपलब्ध
सूचकों को देखते हुए प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 2011 में 1545 क्यूबिक मीटर/
वर्ष से 2025 में 1341 क्यूबिक मीटर/ वर्ष घटने की उम्मीद है। विभिन्न ज़रूरतों
के लिए जल की बढ़ती मांग विभिन्न उपयोगकर्ताओं
के बीच जल विवाद गहराने के चलते और गंभीर हो सकती है। 2025 तक पेयजल की ज़रूरत 44
प्रतिशत तक, सिंचाई में जल की आवश्यकता 10 प्रतिशत तक और
उद्योग ज़रूरत के लिए 81 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। इसको देखते हुए जल संसाधन
मंत्रालय ने राष्ट्रीय जल नीति (2012) तैयार की जिसे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता
वाली राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद ने 28 दिसंबर 2012 को अपनाया। इसने मौजूदा स्थिति
का संज्ञान लिया और कानून तथा विधि व्यवस्था बनाने के लिए ढांचा और एकीकृत राष्ट्रीय
परिदृश्य के साथ कार्य योजना का प्रस्ताव किया। चिंता का मुख्य विषय जल की
बढ़ती मांग है जिससे नागरिकों/ समाज के बीच इसको लेकर तनाव और विवाद पैदा हो रहा
है। मौजूदा संसाधानों के सर्वोत्कृष्ट इस्तेमाल के लिए जल संरक्षण पर जागरूकता
बढ़ाने की ज़रूरत है।
जल संरक्षण, राष्ट्रीय जल मिशन का भी मुख्य उद्देश्य है जो राष्ट्रीय
जलवायु परिवर्तन कार्य योजना के तहत 8 मिशनों में से एक है। इसका उद्देश्य
संरक्षण, पानी को कम से कम बर्बाद करना और सभी राज्यों में
और उसके भीतर एकीकृत जल संसाधन विकास और प्रबंधन के जरिए जल संसाधों का समान रूप
से वितरण सुनिश्चित करना है।
जल संसाधन की उपलब्धता, उसका का किन-किन चीज़ों के
लिए इस्तेमाल किया जाता है और उपयोगकर्ताओं के समक्ष चुनौतियों के अनुसार ज्ञान
और समझ के जरिए जल संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन को मज़बूत बनाया जाना चाहिए। यह,
इस संबंध में उठाए जाने वाले उपायों पर लोगों को जागरूक करने के
जरिए किया जा सकता है।
क्रियान्वयन
जल संरक्षण वर्ष-2013 के दौरान लोगों को जागरूक करने के लिए अनेक
गतिविधियां चलाई जाएंगी जिसमें जल संबंधी मुदृदों पर ज़ोर दिया जाएगा और उन्हें
पानी के संरक्षण और उसके विवेकपूर्ण इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
सतत समाज और अर्थव्यवस्था बनाने के लिए जल
संसाधन मंत्रालय की नीतियां और कार्यक्रमों का प्रचार जाएगा। राष्ट्रीय जल नीति-2012 और
राष्ट्रीय जल मिशन में चिन्हित उद्देश्यों को हासिल करने के लिए सभी हितधारकों
को शामिल कर एक प्रभावी और निरंतर जन जागरूक कार्यक्रम की शुरूआत की जाएगी।
बहुआयामी जागरूक कार्यक्रम लोगों को आत्मचेतन के
साथ-साथ उसके संरक्षण और विवेकपूर्ण इस्तेमाल के लिए प्रेरित करेंगे। हर व्यक्ति को इसके प्रति
जागरूरक करने के लिए यह गतिविधयां देश के सभी भागों में चलाईं जाएंगी।
इन गतिविधयों के जरिए सीमित
जल के प्राकृति संसाधन के महत्व, पानी के विवेकपूर्ण इस्तेमाल
के तौर –तरीकों और जल से संबंधित स्थानीय मुद्दों के
समाधान के प्रति लोग जागरूक होंगे तथा सामुहिक जिम्मेदारी के जरिए जल संसाधन के
इस्तेमाल में योगदान देंगे। देश का हर नागरिक फिर वो चाहे कोई परिवार हो, किसान, उद्योगपति,
बच्चे या कोई भी सभी को इससे फायदा होगा।
जल संरक्षण वर्ष 2013 के दौरान प्रस्तावित मुख्य
गतिविधयों की सूची
क्रमांक
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गतिविधियां
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1
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जल संरक्षण संबंधी विषयों पर बच्चों के लिए
चित्रकला प्रतियोगिता
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2.
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देशभर में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में
मैराथन का आयोजन
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3.
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टीवी, रेडियो, डिजिटल सिनेमा के
जरिए इलैक्टॉनिक मीडिया अभियान
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4.
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समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, जर्नल के जरिए
प्रिंट मीडिया अभियान
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5.
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प्रगति मैदान में 'भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार
मेले' जैसे मेले/प्रदर्शनियों में भाग लेना
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6.
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जल संबंधी विषयों पर कार्याशालाओं/ संगाष्ठियों/
सम्मेलन का आयोजन
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7.
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अंजरराष्ट्रीय सम्मलेन-सह- प्रदर्शनी-भारत जल
सप्ताह का आयोजन
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8.
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जनजातीय क्षेत्रों में विशेष जागरूक अभियान
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9.
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जागरूक संबंधी सामग्री का प्रकाशन और वितरण
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10.
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स्कूल/कॉलेज बच्चों के लिए निबंध, क्विज़ प्रतियोगिताओं के
कार्यक्रम
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11.
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दिल्ली मेट्रो, बस शेल्टर जैसी मास मीडिया ट्रासंपोर्ट व्हीक्लज़
के जरिए जागरूकता
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12.
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सार्वजनिक स्थलों पर जल संरक्षण पर विज्ञापन
बोर्ड/ बैनर के जरिए प्रचार
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13.
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स्कूली और कॉलेज के बच्चों तथा अन्य
हितधारकों को शिक्षित करने के लिए परियोजना स्थलों पर लेकर जाना और मंत्रालय के
कार्यक्रमों/योजनाओं के लाभों के बारे में जागरूक करना
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14.
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नुक्कड नाटक, जल यात्रा जैसे पारंपरिक मीडिया अभियान
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15.
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जल संरक्षण पर लघु फिल्में तैयार करना तथा उन्हें
प्रदर्शित करना
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16.
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उद्योग/किसानों/आरडब्ल्यूए और अन्य समूहों के
लिए लागरूक कार्यक्रम
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17.
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भू जल पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
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वर्ष 2013 'जल संरक्षण वर्ष-2013' के रूप
में मनाया जाएगा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 9 मई 2013 को आयोजित बैठक
में वर्ष 2013 को 'जल
संरक्षण वर्ष-2013' के रूप में मनाने की अनुमति दी गई है।
PIB
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