सोमवार, 4 फ़रवरी 2013

केन्द्रीय सतर्कता आयोग


केन्द्रीय सतर्कता आयोग एक मुख्य सतर्कता आयोग के रुप मे कार्यरत है. जो किसी भी कार्यकारी प्राधिकारी के नियन्त्रण से मुक्त है तथा केन्द्रीय सरकार के अन्तर्गत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी करता है. यह केन्द्रीय सरकारी संगठनो मे विभिन्न प्राधिकारियो को उनके सतर्कता कार्यों की योजना बनाने, निष्पादन करने, समीक्षा करने तथा सुधार करने मे सलाह देता है. सतर्कता के क्षेत्र में केन्द्रीय सरकारी एजेंसी को सलाह तथा मार्गदर्शन हेतु श्री के संथानम की अध्यक्षता वाली भृष्टाचार निवारण समिति की सिफ़ारिश पर सरकार ने फ़रवरी 1964 में केन्द्रीय सतर्कता आयोग की स्थापना की. राष्ट्रपति द्वारा एक अध्यादेश जारी किये जाने के फलस्वरूप केन्द्रीय सतर्कता आयोग को 25 अगस्त 1998 से सांविधिक दर्जा देकर एक बहुसदस्यीय आयोग बनाया गया.
केन्द्रीय सतर्कता आयोग विधेयक संसद के दोनो सदनों द्वारा वर्ष 2003 में पास किया गया. इस विधेयक को राष्ट्रपति ने 11 सितम्बर 2003 को स्वीकृति दी. इसमें एक केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त जो कि अध्यक्ष होता है तथा दो अन्य सतर्कता आयुक्त (सदस्य जो दो से अधिक नही हो सकते) होते हैं. अप्रैल 2004 के जनहित प्रकटीकरण तथा मुखबिर की सुरक्षा पर भारत सरकार के संकल्प द्वारा भारत सरकार ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग को भृष्टाचार के किसी भी आरोप को प्रकट करने अथवा कार्यालय का दुरपयोग करने सम्बन्धित लिखित शिकायतें प्राप्त करने तथा उचित कार्यवाही की सिफारिश करने वाली एक नामित एजेंसी के रुप में प्राधिकृत किया.
केन्द्रीय सतर्कता आयोग के अधिकार व कार्य :
1.      भृष्टाचार निवारण अधिनियम, 1998 के अन्तर्गत अन्वेषणों के सम्बन्ध में अथवा लोक सेवकों कि विशिष्ट श्रेणीयों के लिये आपराधिक प्रकिृया संहिता के अन्तर्गत अपराधों के सम्बन्ध में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना के कार्यों कि निगरानी करना तथा इस उत्तरदायित्व का निष्पादन करने के लिये दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना को निर्देश देना.
2.      भृष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत अभिकथित रुप से किये गये अपराधों के सम्बन्ध में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना द्वारा किये जा रहे अन्वेषण कार्य की प्रगति की समीक्षा करना.
3.      ऐसे किसी भी लेन-देन के मामले मे जाँच करना अथवा करवाना जिसमे भारत सरकार के कार्यकारी नियन्त्रणाधीन संगठन मे कार्यरत लोक सेवक के बारे में सन्देह हो कि उसने ऐसा कार्य किसी अनुचित प्रयोजन से अथवा भृष्टाचार-पूर्ण तरीके से किया है.
4.      भारत सरकार के मंत्रालयों अथवा विभागों तथा संघ के कार्यकारी नियन्त्रण में आनेवाले अन्य संगठनों के सतर्कता तथा भृष्टाचार निवारण सम्बन्धीं कार्य कि सामान्य जाँच तथा निगरानी करना.
5.      सतर्कता सम्बन्धीं पहलु वाले अनुशासनिक मामलों में अन्वेषण जाँच अपील पुनरीक्षण आदि के विभिन्न चरणों में अनुशासनिक तथा अन्य प्राधिकारीयों को स्वतंत्र तथा निष्पक्ष सलाह देना.
6.      जनहित प्रकटीकरण तथा मुखबिर की सुरक्षा के अन्तर्गत प्राप्त शिकायतों की जाँच करना अथवा करवाना तथा उचित कार्यवाही की सिफारिश करना.
7.      निदेशक (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो), निदेशक (प्रवर्तन निदेशालय) तथा दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना में पुलिस अधीक्षक तथा इससे ऊपर के स्तर के अधिकारियों की चयन समितियों की अध्यक्षता करना.
 आयोग का अधिकार क्षेत्र :
1.      अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्य जो संघ के कार्यों के सम्बंध मे सेवा कर रहे है तथा केन्द्रीय सरकार के समुह ‘क’ के अधिकारी.
2.      भारतीय रिजर्व बैंक, नाबार्ड तथा सिडबी में श्रेणी ‘घ’ तथा इससे ऊपर स्तर के अधिकारी.  
3.      सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों मे श्रेणी v के स्तर के तथा इससे ऊपर स्तर के अधिकारी.
4.      अनुसुची क तथा ख सार्वजनिक उपक्रमो मे मुख्य कार्यपालक तथा कार्यपालक मंडल एवं ई-8 तथा इससे ऊपर स्तर के अधिकारी.
5.      अनुसुची ग तथा घ सार्वजनिक उपक्रमो मे मुख्य कार्यपालक तथा कार्यपालक मंडल एवं ई-7 तथा इससे ऊपर स्तर के अधिकारी.
6.      सामान्य बीमा कम्पनीयों में प्रबन्धक तथा इससे ऊपर स्तर के अधिकारी.
7.      जीवन बीमा निगमों में वरिष्ठ मंडलीय प्रबन्धक तथा इससे ऊपर स्तर के अधिकारी.
8.      समितियों तथा अन्य प्राधिकरणो मे अधिसूचना की तिथि को तथा समय-समय पर यथा संशोधित अनुसार केन्द्र सरकार डी.ए. प्रतिमान पर 8700/-रुo प्रतिमाह तथा इससे ऊपर वेतन पानेवाले अधिकारी.         

केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त
प्रदीप कुमार
सतर्कता आयुक्त
आर. श्री. कुमार
सतर्कता आयुक्त
जे. एम. गर्ग

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