मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

भारत में बैंकिंग


भारत में आधुनिक बैंकिंग सेवाओं का इतिहास दो सौ साल पुराना है। भारतीयों द्वारा स्थापित प्रथम बैंकिंग कंपनी अवध कॉमर्शियल बैंक (1881) थी। 1940 के दशक में 588 बैंकों की असफलता के कारण कड़े नियमों की जरूरत महसूस की गई। फलस्वरूप बैंकिंग कंपनी अधिनियम फरवरी 1949 में पारित हुआ, जो बाद में बैंकिंग नियमन अधिनियम के नाम से संशोधित हुआ।
ब्रिटिश राज में भारत में आधुनिक बैंकिंग की शुरुआत हुई। 19 वीं शताब्दी के आरंभ में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 3 बैंकों की शुरुआत की - बैंक आफ बंगाल1809 में, बैंक ओफ़ बॉम्बे 1840 में और बैंक ओफ़ मद्रास 1843 में । लेकिन बाद में इन तीनों बैंको का विलय एक नये बैंक इंपीरियल बैंक(1929) में कर दिया गया जिसे सन 1955 में स्टेट बैंक ओफ़ इंडिया में विलय कर दिया गया। इलाहबाद बैंक भारत का पहला निजी बैंक था। रिजर्व बैंक ओफ़ इंडिया सन 1935 में स्थापित किया गया था और फ़िर बाद में पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ओफ़ इंडिया, केनरा बैंक और इंडियन बैंक स्थापित हुए।
प्रारम्भ में बैंकों की शाखायें और उनका कारोबार वाणिज्यिक केन्द्रों तक ही सीमित होती थी। बैंक अपनी सेवायें केवल वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को ही उपलब्ध कराते थे। स्वतन्त्रता से पूर्व देश के केन्द्रीय बैंक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक ही सक्रिय था। जबकि सबसे प्रमुख बैंक इम्पीरियल बैंक आफ इण्डिया था। उस समय भारत में तीन तरह के बैंक कार्यरत थे - भारतीय अनुसूचित बैंक, गैर अनुसूचित बैंक और विदेशी अनुसूचित बैंक।
स्वतन्त्रता के उपरान्त भारतीय रिजर्व बैंक को केन्द्रीय बैंक का दर्जा बरकरार रखा गया। उसे बैंकों का बैंक भी घोषित किया गया। सभी प्रकार की मौद्रिक नीतियों को तय करने और उसे अन्य बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं द्वारा लागू कराने का दायित्व भी उसे सौंपा गया। इस कार्य में भारतीय रिजर्व बैंक की नियंत्रण तथा नियमन शक्तियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।
19 जुलाई, 1969 को 14 प्रमुख बैंकों (जिनमें जमा राशि 50 करोड़ रु. से अधिक थी) का राष्ट्रीयकरण किया गया। बाद में अप्रैल 1980 में 6 और बैंकों का भी राष्टरीयकरण किया गया। राष्टरीयकरण के बाद के तीन दशकों में देश में बैंकिंग प्रणाली का असाधारण गति से विस्तार हुआ- भौगोलिक लिहाज से भी और वित्तीय विस्तार की दृष्टिï से भी। 14 अगस्त, 1991 को एक उच्च-स्तरीय समिति वित्तीय प्रणाली के ढांचे, संगठन, कामकाज और प्रक्रियाओं के सभी पहलुओं की जाँच करने के लिए नियुक्त की गई। एम. नरसिंहम की अध्यक्षता में बनी इस समिति की सिफारिशों के आधार पर 1992-93 में बैंकिंग प्रणाली में व्यापक सुधार किए गए।  



महत्वपूर्ण तथ्य

·         यूरोपीय प्रणाली पर आधारित देश में पहला बैंक 1770 में बैंक ऑफ़  हिंदुस्तान के नाम से खोला गया जो असफल रहा.
·         सरकार के वित्तीय सहयोग से1806 में बैंक ऑफ़ बंगाल के नाम से कोलकाता में प्रेसिडेंसी बैंक की स्थापना की गई.
·         पूर्ण रूप से पहला भारतीय बैंक "पंजाब नेशनल बैंक" था जिसकी स्थापना 1894 में की गई.
·         1929 में कोलकाता, मद्रास , और बम्बई के प्रेसिडेंसी बैंकों को मिलकर "इम्पिरिअल बैंक ऑफ़ इंडिया" की स्थापना की गयी जिसे 1955 से "भारतीय स्टेट बैंक" कहा जाता है.
·         1935 में एक अधिनियम के द्वारा रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया का गठन किया गया.यह भारत का केंद्रीय बैंक है  जिसका राष्ट्रीयकरण 1 जनवरी 1949 को किया गया. रिज़र्व बैंक का मुख्यालय मुंबई में है.
·         जुलाई 1969 में भारत के 14 राष्ट्रीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया और पुनः  अप्रेल 1980 को 6 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया लेकिन 1993 में न्यू बैंक ऑफ़ इंडिया का विलय पंजाब नेशनल बैंक में होने से वर्तमान में कुल राष्ट्रीयकृत बैंकों के संख्या 19 है.
·         बैंकिंग प्रणाली में सुधार हेतु 1991 में नरसिम्हन समिति का गठन किया गया था. जिसने अपनी अनुशंसा में कहा की भारत के कम से कम 3 बैंकों को वैश्विक स्तर पर पहुचाने का प्रयास करना चाहिए.
·         बेसेल-II मानक बैंकिंग और वित्तीय संस्थायों को अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप देने से सम्बंधित है. इनका निर्धारण स्विटजरलैंड के बेसेल नामक स्थान में किया गया था.
·         बैंकों के ग्राहकों के समस्यायों के समाधान के लिए रिज़र्व बैंक ने जून 19 94 से बैंकिंग लोकपाल की व्यवस्था की है जिसके तहत ग्राहक बैंक से सम्बंधित समस्या / शिकायत दर्ज करा सकता है.
·         भारत में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना 2 अक्टूबर 1975 से किया गया जो दूर दराज क्षेत्रो में बैंकिंग गतिविधिया संचालित करते है.




निजी बैंक
वर्ष 1993 में बैंकिंग प्रणाली में अधिक उत्पादकता और कुशलता लाने के लिए भारतीय बैंकिंग प्रणाली में निजी क्षेत्र को नए बैंक खोलने की अनुमति दी गई। इन बैंकों को अन्य बातों के साथ निम्नलिखित न्यूनतम शर्तों को पूरा करना था-
(i) यह बैंक एक पब्लिक लि. कंपनी के रूप में पंजीकृत हो;  (ii) न्यूनतम प्रदत्त पूँजी 100 करोड़ रु. हो, बाद में इसे बढ़ाकर 200 करोड़ कर दिया गया; (iii) इसके शेयर स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हों; (iv) बैंक का कामकाज, हिसाब-किताब या लेखा तथा अन्य नीतियाँ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित विवेकपूर्ण मानकों के अनुरूप हों।
प्रथम राष्ट्रीयकरण- 19 जुलाई, 1969 को 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया-
•             बैंक ऑफ इंडिया
•             यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
•             बैंक ऑफ बड़ौदा
•             बैंक ऑफ महाराष्ट्र
•             पँजाब नेशनल बैंक
•             इंडियन बैंक
•            इंडियन ओवरसीज़ बैंक
•             सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
•             केनरा बैंक
•             सिंडीकेट बैंक
•             यूनाइटेड कॉमर्शियल बैंक
•             इलाहाबाद बैंक
•             यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया
•             देना बैंक
द्वितीय राष्टरीयकरण- 15 अप्रैल, 1980 को 6 अन्य बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया-
•             आंध्र बैंक
•             कॉर्पोरेशन बैंक
•             न्यू बैंक ऑफ इंडिया
•             ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स
•             पँजाब एंड सिंध बैंक
•             विजया बैंक
स्टॉक मार्केट
भारतीय स्टॉक मार्केट में कुल 22 स्टॉक एक्सचेंज हैं। इनमें से बांबे स्टॉक एक्सचेंज, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और ओवर द काउंटर स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के अनुसार देश में 13 अगस्त 2009 तक कुल 1680 पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक थे। इस अवधि तक इन निवेशकों ने कुल 65.5 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था।
ब्लूमरैंग द्वारा जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार 31 दिसंबर 2009 तक भारतीय स्टॉक मार्केट का कुल बाजार पूंजीकरण विश्व के कुल बाजार पूंजीकरण का 2.8 प्रतिशत था। वर्ष 2009 के दौरान कुल 4.18 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के 21 आईपीओ बाजार में उतारे गये जबकि इसकी तुलना में 2008 में कुल 3.62 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के 36 आईपीओ जारी किये गये।
बांबे स्टॉक एक्सचेंज
बांबे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना 1875 में की गई थी। यह एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। अधिसूचित कंपनियों के लिहाज से बीएसई विश्व का पहले नंबर का स्टॉक एक्सचेंज है। इसमें कुल 5,500 कंपनियां अधिसूचित हैं। 31 दिसंबर 2007 तक इसका कुल बाजार पूंजीकरण 1.79 खरब अमेरिकी डॉलर था। बीएसई का सूचकांक सेंसेक्स 30 कंपनियों के शेयरों से निर्धारित होता है। इसमें सीमेंट, दूरसंचार, रियल इस्टेट, बैंकिंग, आईटी, निर्माण, आटोमोबाइल, ऑयल, फार्मास्युटिकल्स, ऊर्जा और स्टील क्षेत्र की प्रमुख कंपनियां शामिल हैं। सेंसेक्स में शामिल प्रमुख कंपनियां हैं- इंफोसिस टेक्नोलॉजीस, रिलायंस, टाटा स्टील, टाटा पावर, टाटा मोटर्स। एक्सचेंज में कुल 22 सूचकांक हैं जिसमें 12 सेक्टर शामिल हैं।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
प्रतिदिन के टर्नओवर के लिहाज से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज देश का सबसे बड़ा सिक्योरिटी एक्सचेंज है। 19 मई, 2009 को एनएसई का कुल टर्नओवर 8.33 अरब रु. था। 1992 से ही एनएसई में एक एडवांस्ड आटोमेटेड इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम है जिसे देश के 1486 जगहों से एक्सेस किया जा सकता है। जून 1994 से एनएसई ने थोक ऋण बाजार सेगमेंट में अपना ऑपरेशन शुरू कर दिया था। नवंबर 1994 से इक्विटी सेगमेंट की शुरूआत हो गई जबकि डेरीवेटिव्स सेगमेंट की शुरूआत जून 2000 से हो गई। निफ्टी एक्सचेंज में 20 बैंक और बीमा कंपनियां शामिल हैं।
निफ्टी सूचकांक का निर्धारण 21 उद्योंगों की 50 कंपनियों द्वारा होता है। इसमें सीमेंट, दूरसंचार, फार्मास्युटिकल्स, बैंकिंग, आटोमोबाइल, निर्माण, अल्युमिनियम, तेल खोज, गैस व वित्त क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं। प्रमुख कंपनियों में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स, भारती एयरटेल, केर्न इंडिया, गेल, हीरो होंडा मोटर्स, हिंदुस्तान यूनीलीवर, हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कार्पोरेशन और इंफोसिस टेक्नोलॉजीस शामिल हैं।
ओवर द काउंटर एक्सचेंज
1990 में स्थापित ओवर द काउंटर एक्सचेंज ऑफ इंडिया देश का एकमात्र ऐसा एक्सचेंज है जो पिछले तीन साल से कार्यरत लघु व मध्यम श्रेणी की कंपनियों को कैपीटल मार्केट से पैसे उठाने में मदद देता है।
भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना 12 अप्रैल 1992 को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के तहत की गई। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। एनएसई प्रतिभूति बाजार में परिवर्तन के लिए एजेंडा तय करने में लगा हुआ है। पिछले पांच वर्र्षों में सेबी के प्रयासों की वजह से देश के 363 शहरों के निवेशक बाजार से ऑनलाइन जुड़े हैं। साथ ही बाजार में पूर्ण पारदर्शिता, वित्तीय लेन-देन के निपटारे की गारंटी, वैज्ञानिक तरीके से डिजाइन और व्यावसायिक तौर से प्रबंधित संकेतकों का प्रचलन और देश भर में डिमैट का प्रचलन संभव हो सका है।

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