समुद्री
तूफ़ान - को जापानी भाषा में सूनामी अथवा बोलते हैं, जिसकी उत्पत्ति दो शब्द-सू (हार्बर) और नामी (वेब) से हुई है, जिसका आशय जापान में ‘बन्दरगाह की लहरें’
से है। सुनामी लहरों की श्रृंखला से मिलकर बनी एक प्राकृतिक
घटना है जो तब उत्पन्न होती हैं जब समुद्र या झील में जल की व्यापक मात्रा तेजी
से विस्थापित होती है। सुनामी विशाल पनडुब्बी या तटीय भूकंप, पानी के नीचे भूस्खलन जो भूकम्प या ज्वालामुखीय गतिविधि के
कारण भी हो सकता है,
बड़ी तटीय चट्टान या झील के किनारे के भूस्खलन, या समुद्र की तलहटी के नीचे या इसके समीप ज्वालामुखीय उदगार
आदि के द्वारा भी उत्पन्न हो सकती हैं। दरअसल ये बहुत लम्बी - यानी सैकड़ों किलोमीटर
चौड़ाई वाली लहरें होती हैं, यानी कि लहरों
के निचले हिस्सों के बीच का फ़ासला सैकड़ों किलोमीटर का होता है। पर जब ये तट के पास
आती हैं,
तो लहरों का निचला हिस्सा ज़मीन को छूने लगता है,- इनकी गति कम हो जाती है, और ऊँचाई बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में जब ये तट से टक्कर मारती हैं तो तबाही होती
है। गति 420
किलोमीटर प्रति घण्टा तक, और ऊँचाई 10
से 18
मीटर तक। यानी खारे पानी की चलती दीवार। अक्सर समुद्री भूकम्पों
की वजह से ये तूफ़ान पैदा होते हैं। प्रशान्त महासागर में बहुत आम हैं, पर बंगाल की खाड़ी, हिन्द महासागर व अरब सागर में नहीं। इसीलिए शायद भारतीय भाषाओं में इनके लिए विशिष्ट
नाम नहीं है।
सुनामी के तीन प्रकार
सुनामी
तीन प्रकार की होती हैं। आप किस प्रकार की सुनामी का सामना करेंगे, यह सुनामी उत्पन्न होने वाले स्थान से आप की दूरी पर निर्भर
करता है।
दूरस्थ सुनामी दूर लम्बे रास्ते में उत्पन्न
होती है,
जैसे कि चिली में प्रशांत के उस पार से। ऐसी अवस्था में हमारे
पास न्यूजीलैंड के लिए चेतावनी का तीन घंटे से अधिक समय होगा।
क्षेत्रीय सुनामी अपने गंतव्य
से दूर एक से तीन घंटे की यात्रा समय के बीच उत्पन्न होती हैं। न्यूजीलैंड के उत्तर
करमाडेक गर्त में पानी के नीचे ज्वालामुखी उदगार क्षेत्रीय सुनामी उत्पन्न कर सकता
है।
स्थानीय सुनामी न्यूजीलैंड के बहुत ही करीब
उत्पन्न होती हैं। इस प्रकार की सुनामी बहुत खतरनाक है क्योंकि हमारे पास चेतावनी
के केवल कुछ मिनट ही हो सकते हैं।
कारण:
सूनामी
लहरों के पीछे वैसे तो कई कारण होते हैं लेकिन सबसे ज्यादा असरदार कारण है भूकंप. इसके
अलावा ज़मीन धंसने,
ज्वालामुखी फटने, किसी तरह का विस्फोट होने और कभी-कभी उल्कापात के असर से भी सूनामी लहरें उठती
हैं।
भूकंप
जब कभी
भीषण भूकंप की वजह से समुद्र की ऊपरी परत अचानक खिसक कर आगे बढ़ जाती है तो समुद्र
अपनी समांतर स्थिति में ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है। जो लहरें उस वक़्त बनती हैं वो सूनामी
लहरें होती हैं. इसका एक उदाहरण ये हो सकता है कि धरती की ऊपरी परत फ़ुटबॉल की परतों
की तरह आपस में जुड़ी हुई है या कहें कि एक अंडे की तरह से है जिसमें दरारें हों।पहले
सूनामी को समुद्र में उठने वाले ज्वार के रूप में भी लिया जाता रहा है लेकिन ऐसा नहीं
है. दरअसल समुद्र में लहरे चाँद सूरज और ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से उठती
हैं लेकिन सूनामी लहरें इन आम लहरों से अलग होती हैं।
जैसे अंडे
का खोल सख़्त होता है लेकिन उसके भीतर का पदार्थ लिजलिजा और गीला होता है। भूकंप के
असर से ये दरारें चौड़ी होकर अंदर के पदार्थ में इतनी हलचल पैदा करती हैं कि वो तेज़ी
से ऊपर की तरफ का रूख़ कर लेता है। धरती की परतें भी जब किसी भी असर से चौड़ी होती
हैं तो वो खिसकती हैं जिसके कारण महाद्वीप बनते हैं. तो इस तरह ये सूनामी लहरें बनती
हैं। लेकिन ये भी ज़रूरी नहीं कि हर भूकंप से सूनामी लहरें बने. इसके लिए भूकंप का
केंद्र समुद्र के अंदर या उसके आसपास होना ज़रूरी है।
जब ये सूनामी
लहरें किसी भी महाद्वीप की उस परत के उथले पानी तक पहुँचती हैं जहाँ से वो दूसरे महाद्वीप
से जुड़ा है और जो कि एक दरार के रूप में देखा जा सकता है। वहाँ सूनामी लहर की तेज़ी
कम हो जाती है. वो इसलिए क्यों कि उस जगह दूसरा महाद्वीप भी जुड़ रहा है और वहां धरती
की जुड़ी हुई परत की वजह से दरार जैसी जो जगह होती है वो पानी को अपने अंदर रास्ता
देती है। लेकिन उसके बाद भीतर के पानी के साथ मिल कर जब सूनामी किनारे की तरफ़ बढ़ती
है तो उसमे इतनी तेज़ी होती है कि वो 30 मीटर तक ऊपर उठ सकती है और उसके रास्ते में चाहे पेड़, जंगल या इमारतें कुछ भी आएँ- सबका सफ़ाया कर देती है।
सूनामी
लहरें समुद्री तट पर भीषण तरीके से हमला करती हैं और जान-माल का बुरी तरह नुक़सान कर
सकती है। इनकी भविष्यवाणी करना मुश्किल है । जिस तरह वैज्ञानिक भूकंप के बारे में भविष्य
वाणी नहीं कर सकते वैसे ही सूनामी के बारे में भी अंदाज़ा नहीं लगा सकते। लेकिन सूनामी
के अब तक के रिकॉर्ड को देखकर और महाद्वीपों की स्थिति को देखकर वैज्ञानिक कुछ अंदाज़ा
लगा सकते हैं। धरती की जो प्लेट्स या परतें जहाँ-जहाँ मिलती है वहाँ के आसपास के समुद्र
में सूनामी का ख़तरा ज़्यादा होता है।
सुनामी चेतावनी
सम्भावित
सुनामी के बारे में चेतावनी संदेश और संकेत अनेक स्रोतों से आ सकते हैं - प्राकृतिक, आधिकारिक या गैरआधिकारिक।
प्राकृतिक चेतावनी
स्थानीय
स्रोत आधारित सुनामी के लिए, जो मिनटों में
पहुंच सकती है,
आधिकरिक चेतावनी के लिए समय नहीं होगा। ऐसे में प्राकृतिक चेतावनी
के संकेतों को पहचानना और जल्दी से कार्य करना महत्वपूर्ण है।
आधिकारिक चेतावनी
आधिकारिक
चेतावनियां केवल दूर की और क्षेत्रीय स्रोत आधारित सुनामी के लिए ही संभव हैं। सरकारी
चेतावनियां नागरिक प्रतिरक्षा एवं आपदा प्रबंधन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय मीडिया, स्थानीय प्राधिकारियों एवं अन्य प्रमुख जिम्मेदार एजेंसियों
को प्रसारित की जाती हैं। आपकी स्थानीय काउंसिल स्थानीय मीडिया, साइरन और संभवत: अन्य स्थानीय व्यवस्थाओं के द्वारा भी चेतावनियों
को जारी कर सकती है।
गैरआधिकारिक या अनौपचारिक चेतावनी
आप दोस्तों, अन्य सामान्य जनों, अंतर्राष्ट्रीय मीडिया और इंटरनेट से चेतावनियों को प्राप्त कर सकते हैं। चेतावनी
को तभी सत्यापित करें यदि आप बहुत जल्दी से ऐसा कर सकें। यदि आधिकारिक चेतावनी मिल
सके,
तो अनौपचारिक चेतावनियों के बजाय उस पर ज्यादा भरोसा करें।
2004 में सुनामी आने के बाद भारत ने इसके ख़तरे को कम करने के उपाय पर काम शुरू किया।
सुनामी की चेतावनी जारी करने के लिए 'इंण्डियन ओसियन सुनामी वार्निंग मिशिगेशन सिस्टम' (आई.ओ.टी.डब्ल्यू.एस.) विकसित हुआ। भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया समेत 18
देश इस बात पर सहमत हुए कि, वे आपस में सुनामी जैसी किसी भी आपदा की भविष्यवाणी संबंधी सूचना एक दूसरे के साथ
साझा करेंगे। आई.ओ.टी.डब्ल्यू.एस भूकंप और ज्वालामुखी का पता लगाता है, जो सुनामी का कारण बन सकता है। समुद्री तल के भीतर होने वाले
कंपन पर नज़र रखता है। यह मुख्यत: दो तरह से काम करता है। पहला समुद्र में बन रहे दबाव
को रिकॉर्ड करता है,
दूसरा लहरों को मापता है। उसके आधार पर सुनामी का कितना ख़तरा
है इसका आकलन किया जाता है। इन सारे डाटा को इकठ्टा कर वह गृह मंत्रालय को जारी करेगा।
2004
से एक अंतरिम एजेंसी जैपनीज मेटेरियोलॉजिकल एजेंसी के नेतृत्व
में काम कर रही थी,
लेकिन आई.ओ.टी.डब्ल्यू.एस उच्च तकनीक पर आधारित सिस्टम है, जो खुद इस तरह की सूचनाएँ इकठ्टा करने में सक्षम है। आई.ओ.टी.डब्ल्यू.एस
सुनामी की भविष्यवाणी समुद्री लहरों की ऊँचाई को नाप कर करता है।
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