चीन और पाकिस्तान से खतरों से मुकाबले की तैयारी में भारतीय वायुसेना
ने पहली बार 'दोहरे मोर्चे' वाले युद्ध के लिए अपनी तैयारियों को तौला है। गत दिनों हुए युद्धाभ्यास 'लाइव-वायर' में वायुसेना ने न केवल तैयारियों का
आकलन किया, बल्कि उन्हें मजबूत भी किया। एक वरिष्ठ अधिकारी
के अनुसार चीन और पाकिस्तान के मोर्चे पर एक साथ किसी भी चुनौती का सामना करने में
वायुसेना सक्षम है। उसने इस संबंध में अपनी क्षमताओं का विस्तार कर लिया है।
अभ्यास के दौरान बेहद कम समय में पाकिस्तान से लगे पश्चिमी मोर्चे पर
मौजूद युद्धक विमानों को चीन से सटे उत्तर-पूर्वी इलाके के हवाई ठिकानों पर तैनात
किया गया। साथ ही अभ्यास के दौरान एक साथ दोनों मोर्चो पर दुश्मन के मंसूबों को
नाकाम करने के लिए युक्तिपूर्ण तरीके से विमानों व संसाधनों के इस्तेमाल के तरीके
भी अपनाए गए। वायुसेना सूत्रों के मुताबिक 400 युद्धक विमानों और विभिन्न श्रेणी के परिवहन विमानों के साथ हुए अभ्यास
में संचार, संयोजन व आक्रामक युद्ध क्षमता को आधार बनाते हुए
दोहरी लड़ाई से मुकाबले की तैयारी की गई।
हालांकि सूत्रों का कहना था कि 18 मार्च से शुरू हुए अब तक के सबसे बड़े युद्धाभ्यास के दौरान लड़ाकू विमानों
को पूर्वी मोर्चे पर ले जाते वक्त एक निश्चित संख्या पाक सीमा से सटे ठिकानों पर
भी रखी गई ताकि इस दौरान वहां कोई आपातस्थिति बनने पर वायुसेना उसका भी बखूबी मुकाबला
कर सके। तीन सप्ताह चले इस अभ्यास में सुखोई, मिग-29,
मिग-27, मिग-21, मिराज-2000 जैसे लड़ाकू विमानों के अलावा, पायलट रहित टोही
विमान, परिवहन विमानों और हवा में रहते हुए दुश्मन की हवाई
हरकत की खबर देने वाले अवॉक्स विमानों ने भी भाग लिया। साथ ही अनेक प्रमुख
वायुसेना स्टेशनों व अग्रिम मोर्चे पर बनाए गए एडवांस्ड लैंडिंग स्टेशन का
इस्तेमाल किया गया।
अभ्यास के दौरान आठ हजार घंटे की उड़ान में वायुसेना के विमानों ने
कमांडो दस्तों की पैराड्रापिंग से लेकर करीब 2000 टन माल की ढुलाई भी की। सूत्रों का कहना था कि वायुसेना के पास जब मौजूदा 34
स्क्वाड्रन से बढ़कर 42 हो जाएंगे तो इस तरह
विमानों को एक कोने से दूसरे छोर पर ले जाने की जरूरत महसूस नहीं होगी। वायुसेना
आधुनिकीकरण में नए विमानों की खरीद और स्क्वाड्रन क्षमता में विस्तार के बाद
रणनीतिक वितरण ऐसा होगा कि एक साथ दोहरे मोर्चे पर वायुसेना माकूल तरीके से दुश्मन
के किसी भी हमले को नाकाम कर पाएगी।
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