सोमवार, 8 अप्रैल 2013

एमसीए21-परियोजना से ई-प्रशासन को बढ़ावा


कंपनी मामलों के मंत्रालय ने देश में कारोबार को सुविधाजनक बनाने के लिए जनवरी 2007 में एमसीए21 नाम से एक बड़ी ई-प्रशासन परियोजना शुरू की। इस परियोजना के अंतर्गत सरकारी सेवाओं के प्रारूप और आपूर्ति में सेवा के नजरिए को प्रमुखता दी गई। इसके परिणामस्‍वरूप इस उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए स्‍थापित ढांचागत व्‍यवस्‍था के माध्‍यम से सभी सम्‍बद्ध पक्षों को किसी भी स्‍थान पर किसी भी समय और उनकी आवश्‍यकताओं के अनुसार मंत्रालय की सेवाएं आसानी से और निश्चित रूप से पहुंचाना संभव हो गया। 
एमसीए21 परियोजना ने नागरिकों और कंपनियों, दोनों को बेहतर सेवाएं उपलब्‍ध कराने की दिशा में लगातार प्रगति की है। चालू वर्ष नई परियोजनाएं शुरू करने, नई ऑपरेटर एजेंसी का चुनाव करने और एक ऑपरेटर की जगह दूसरे ऑपरेटर को अपनाने की दृष्टि से विशिष्‍ट रहा है।

इले‍क्‍ट्रॉनिक विधि से धन हस्‍तांतरण के जरिए ऑनलाइन भुगतान
एमसीए21 परियोजना के अंतर्गत कंपनियां भुगतान के लिए तीन तरीके इस्‍तेमाल करती रही हैं-क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग (5 मनोनीत बैंक) और पेपर चालान। जिन कंपनियों के बैंक खाते इन पाँच मनोनीत बैंकों के अलावा अन्‍य बैंकों में हैं, उन कंपनियों के लिए इन तीनों तरीकों से कठिनाई आती थी और चालान दर्ज करने के लिए मनोनीत बैंकों की शाखाओं तक व्‍यक्तिगत रूप से जाना पड़ता था। भुगतान की राष्‍ट्रीय इलेक्‍ट्रॉनिक धन हस्‍तांतरण प्रणाली (नेफ्ट) से किसी भी बैंक में खाता रखने वाली कंपनियां इस प्रणाली का इस्‍तेमाल करके ई-भुगतान कर सकती हैं।

नेफ्ट के मुख्‍य फायदे
  • भुगतान करने वालों की मेहनत बचती है (उन्‍हें शाखा तक नहीं जाना पड़ता)
  • धन हस्‍तांतरण का समय बचता है (2-5 घंटे)
  • कुछ सीमित बैंकों पर निर्भरता नहीं रहती


सीमित दायित्‍व भागीदारी (एलएलपी) का एमसीए21 प्रणाली के साथ एकीकरण
सीमित दायित्‍व भागीदारी (एलएलपी) की ई-प्रशासन परियोजना को एमसीए के दायरे में लाया गया है। अब एलएलपी फार्मों को भेजने और इनकी मंजूरी का काम एमसीए21 की वेबसाइट (www.mca.gov.in) के माध्‍यम से कि‍या जा रहा है और सभी सम्‍बद्ध पक्षों को एमसीए21 प्रणाली की मौजूदा सुवि‍धाओं का लाभ मि‍ल रहा है।

निदेशक पहचान संख्‍या - नि‍देशक/भागीदार पहचान संख्‍या का एकीकरण
यह महसूस किया गया कि किसी व्‍यक्ति की पहचान निदेशक पहचान संख्‍या (डीआईएन) या नि‍देशक/भागीदार पहचान संख्‍या (डीपीआईएन) के एकीकरण से जुड़ी हुई है, इसलिए यह पहचान उस कंपनी के स्‍वरूप (भागीदारी या लिमिटेड कंपनी) से अलग होनी चाहिए, जिससे व्‍यक्ति जुड़ा हुआ हो। प्रणाली में दो-दो पहचान संख्‍याओं की कठिनाई को समाप्‍त करने के लिए इनका सुविधाजनक एकीकरण किया गया। इससे सभी प्रमुख नियामक संगठनों और कंपनियों को एमसीए21 प्रणाली के जरिए व्‍यक्तिगत जांच करने में मदद मिली है।

निदेशक पहचान संख्‍या ऑनलाइन जारी करना
कंपनी के डायरेक्‍टर को दस्‍तावेजों को फाइल करने और जारी करने का अधिकार होता है। इसके लिए उसे निदेशक पहचान संख्‍या की आवश्‍यकता होती है। इसलिए कंपनियों के लिए निदेशक पहचान संख्‍या प्राप्‍त करना बहुत महत्‍वपूर्ण है, ताकि वे जानकारी ऑनलाइन भेज सकें या किसी सेवा के लिए ऑनलाइन अनुरोध कर सकें।
कंपनी मामलों का मंत्रालय एमसीए21 प्रणाली के जरिए निदेशक पहचान संख्‍या ऑनलाइन जारी करता है और इसे कार्यरत पेशेवरों (कंपनी सेक्रेट्री/चार्टर्ड एकाउंटेंट/सी एंड डब्‍ल्‍यु एकाउंटेंट) के डिजिटल हस्‍ताक्षरों और सत्‍यापन के साथ जारी किया जाता है। इससे कंपनी जगत में बहुत गतिशीलता आई है। फैसला लागू होते ही कंपनियों के लिए  नए निदेशक की नियुक्ति करना या उसे बदलना आसान हो गया है। अब निदेशक पहचान संख्‍या ऑनलाइन कुछ मिनटों में प्राप्‍त की जा सकती है। किसी व्‍यक्ति के पहचान के विवरण की ऑनलाइन जांच के लिए एमसीए21 प्रणाली में पैन संख्‍या (स्‍थायी खाता संख्‍या) के डाटाबेस का भी एकीकरण कर दिया गया है।

एक्‍सबीआरएल फाइलिंग
विवरण फाइल करने और डाटाबेस में नवीनतम जानकारी जोड़ने के काम में अंतरराष्‍ट्रीय मानदण्‍डों का इस्‍तेमाल करने के उद्देश्‍य से कंपनी मामलों के मंत्रालय ने सभी बड़ी कंपनियों के लिए अपने सभी दस्‍तावेज एक्‍सबीआरएल (विस्‍तारित कारोबार रिपोर्टिंग भाषा) प्रारूप में भेजना अनिवार्य कर दिया है। मंत्रालय ने इस परियोजना को समुचित रूप से लागू करने के लिए सभी पणधारियों-सॉफ्टवेयर कंपनियों, परिपालन एजेंसियों, पेशेवरों और कंपनियों को इसमें शामिल किया है। एक्‍सबीआरएल फाइलिंग को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए मंत्रालय द्वारा सीधे या आईआईसीए, आईसीएआई और आईसीएसआई जैसी एजेंसियों के माध्‍यम से प्रशिक्षण और जागरुकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

एक्‍सबीआरएल फाइलिंग के मुख्‍य लाभ
उपयुक्‍त डाटा विवरण चिन्हित होते हैं और विभिन्‍न सरकारी और नियामक एजेंसियां विशिष्‍ट उद्देश्‍यों के लिए आवश्‍यक जानकारी हासिल कर सकती हैं।
यह अंतरराष्‍ट्रीय रिपोर्टिंग मानकों के अनुरूप है, जिससे डाटा की बेहतर तरीके से खोज करने और उपयुक्‍त जानकारी प्राप्‍त करने में मदद मिलती है।
एक्‍सबीआरएल फाइलिंग के लिए इस प्रणाली को 6 अक्‍तूबर 2011 से लागू कर दिया गया है। एक्‍सबीआरएल दस्‍तावेजों के इस्‍तेमाल से वित्‍त वर्ष 2010-11 के लिए 28000 से अधिक कंपनियों ने और वित्‍त वर्ष 2011-12 के लिए 8000 से अधिक कंपनियों ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट फाइल कर दी हैं।
कंपनियों का रजिस्‍ट्रेशन 24 से 48 घंटों में

भारत में किसी कंपनी के पंजीकरण के लिए निम्‍नलिखित बातें जरूरी हैं-
  • निदेशक पहचान संख्‍या प्राप्‍त करना
  • विशिष्‍ट नाम प्राप्‍त करना
  • कंपनी रजिस्‍ट्रार से पंजीकरण प्रमाण-पत्र प्राप्‍त करना
  •  नई कंपनी के पंजीकरण, विशिष्‍ट नाम प्राप्‍त करने और पंजीकरण प्रमाण-पत्र प्राप्‍त करने के लिए पूरी प्रणाली को ऑनलाइन करने और प्रतीक्षा के समय को कम करने के लिए कंपनी मामलों के मंत्रालय के प्रयासों से अब एमसीए21 प्रणाली के जरिए देश में कंपनियों के पंजीकरण का कार्य 24 से 48 घंटों के अंदर करना संभव हो गया है। इस प्रणाली से न केवल प्रतीक्षा के समय में बचत होती है, बल्कि नए नाम जारी करने के समय होने वाली इंसानी गलतियों से भी छुटकारा मिल जाता है।

देशभर के लिए ई-स्‍टॉम्पिंग
अब सभी राज्‍य और केन्‍द्रशासित प्रदेश कंपनी मामलों के मंत्रालय की सेवाओं की ई-स्‍टॉम्पिंग योजना के अंतर्गत आ गए हैं। इससे किसी राज्‍य या केन्‍द्रशासित प्रदेश में पंजीकृत कंपनियां, कंपनी मामलों के मंत्रालय की सेवाओं के लिए ऑनलाइन ई-स्‍टॉम्पिंग सुविधा का लाभ उठा सकती हैं। केन्‍द्र सरकार के विभाग की यह एक प्रमुख पहल है, जिसमें विभिन्‍न राज्‍य सरकारों की ओर से भुगतान ऑनलाइन हासिल किया जाता है और बिना किसी इंसानी दखल के उन राज्‍यों के खाते में पहुंच जाता है। यह प्रयास एक तरह से हरित प्रयास है, जिसमें पेपर स्‍टाम्‍पों की आवश्‍यकता कम हो गई है। विश्‍व बैंक ने किसी संघीय ढांचे में ई-प्रशासन की सफलता की दिशा में इसे एक बहुत बड़ी पहल बताया है।

संशोधन और रिफंड प्रक्रिया
 संशोधन (रिवर्सल) और रिफंड की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। रिफंड प्रक्रिया का उद्देश्‍य इलेक्‍ट्रॉनिक प्रणाली में अनचाहे तौर पर आने वाली रुकावटों के कारण राष्‍ट्रीय धन हस्‍तांतरण प्रणाली के माध्‍यम से हुए कई बार के भुगतान, गलत भुगतान या अधिक भुगतान के मामलों को ठीक करना है।

ऑपरेटर बदलने पर भी एमसीए21 प्रणाली की निरंतरता
एमसीए21 प्रणाली के लिए वर्तमान ऑपरेटर एजेंसी का 6 वर्ष का अनुबंध 16 जनवरी 2013 को समाप्‍त हो गया है और मंत्रालय ने बहुत ही निष्‍पक्ष और पारदर्शी बोली प्रक्रिया के जरिए सफलतापूर्वक नई ऑपरेटर एजेंसी चुनने का काम पूरा कर लिया है। विवरण हस्‍तांतरण के पहले चरण का कार्य 16 जनवरी 2013 को पूरा होने के बाद ऑपरेटर एजेंसी बदलने की प्रक्रिया दूसरे चरण में पहुंच गई है और इसके बाद तीसरा चरण भी पूरा हो गया है।
17 जनवरी 2013 को एमसीए21 परियोजना की निरंतरता को जारी रखने के साथ-साथ इसमें कुछ और प्रणालियां भी जोड़ दी गई हैं, जिनमें नेटवर्क बैंडविड्थ, एसएपी सीआरएम एंड वर्कफ्लो, नवीन टैक्‍नोलॉजी सहित हार्डवेयर और बेहतर निगरानी उपकरण शामिल हैं।
(पत्र सूचना कार्यालय विशेष लेख)

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