सोमवार, 1 अप्रैल 2013

साइबर क्राइम (अपराध)


साइबर क्राइम एक बढ़ती वैशिवक समस्या है जिसे कठोर कदम उठाकर रोकना ही होगा। प्रौधोगिकी के आगमन से साइबर क्राइम और महिलाओं पर जुल्म उच्च सीमा पर हैं और इस प्रकार साइबर क्राइम किसी भी व्यकित की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। हालांकि भारत उन बहुत थोड़े देशों में से एक है जिसने साइबर अपराधों से निपटने के लिए आर्इटी अधिनियम 2000 को अमल में लाया है, लेकिन इस अधिनियम में महिलाओं से सम्बनिधत मुददे अभी भी अछूते ही रहे हैं। इस अधिनियम के तहत कुछ अपराधों जैसे हैकिंग, नेट पर अश्लील सामगि्रयों का प्रकाशन और डेटा के साथ छेड़छाड़ को दण्डनीय अपराध घोषित कर दिया है। लेकिन सामांयतौर पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे को इस अधिनियम में पूरी तरह से कवर नहीं किया गया है।

कुछ साइबर क्राइम :

साइबर स्टाकिंग - इसका मतलब इंटरनेट पर किसी व्यक्ति का पीछा करना और उसके बुलेटिन बोर्ड पर संदेश भेजना और उसके चैट रूम में घुस जाना।

ई मेल बॉम्बिंग - किसी व्यक्ति ईमेल पर इतनी ज्यादा मेल भेजना कि उसका अकाउंट की ठप हो जाए।

डाटा डिडलिंग - इस हमले में कंप्यूटर के कच्चे डाटा को प्रोसेस होने से पहले ही बदल दिया जाता है। जैसे ही प्रोसेस पूर्ण होता है डाटा फिर मूल रूप में आ जाता है।

सलामी अटैक - यह खाने से संबंधित नहीं है। इस मामले में गुपचुप तरीके से आर्थिक अपराध को अंजाम दिया जाता है। ये अपराध बैंकों में ज्यादा होता है जैसे कोई क्लर्क यदि ऐसा प्रोग्राम बैंक सर्वर में डाल दे जिससे हर खाते से इतना कम धन कटता है कि वह नजरअंदाज होता रहता है।

लॉजिक बम - यह स्वतंत्र प्रोग्राम होता है। इसमें प्रोग्राम इस तरह से बनाया जाता है कि यह तभी एक्टिवेट हो जब कोई विशेष तारीख या घटना आती है। बाकी समय ये प्रोग्राम सुप्त पड़े रहते हैं।

ट्रोजन हॉर्स - यह एक अनाधिकृत प्रोग्राम है जो अंदर से ऐसे काम करता है जैसे यह अधिकृत प्रोग्राम हो।

साइबर क्राइम से निपटना काफी दिक्कतों भरा काम है। हालांकि सरकार समय के साथ-साथ कानून सुधार भी रही है। नए संशोधन में मोबाइल तथा व्यक्तिगत डिजिटल असिस्टेंस को कम्युनिकेशन का साधन माना गया है, जिससे मोबाइल फोन के जरिये होने वाले अपराधों को भी साइबर क्राइम कहा गया है। मेरा मानना है कि इन अपराधों का रजिस्ट्रेशन करने के लिए विशेष प्रक्रिया विकसित करने की जरूरत है। जहां तक दूसरे देशों में रखे सर्वर से होने वाले अपराधों का मामला है तो इसमें इन देशों के साथ समझौता करने से ही काम चल सकता है।

महिलाओं के विरूद्ध किए जाने वाले साइबर अपराध के प्रकार:

बड़े स्तर पर व्यकितयों एवं समाज के विरूद्ध किए जाने वाले विभिन्न साइबर अपराधों के बीच, ऐसे अपराध जिन्हें विशेषतौर से महिलाओं को लक्षित कर किया जाता हैं में निम्नलिखित शामिल हैं:
I. ई-मेल के माध्यम से उत्पीड़न एक नया विचार है। यह पत्रों के माध्यम से उत्पीड़न करने जैसा ही है। ई-मेल के माध्यम से उत्पीड़न में ब्लैकमेल करना, धमकाना, बदमाशी और धोखा देना शामिल है। ई-उत्पीड़न पत्र उत्पीड़न की ही तरह है, लेकिन तब अक्सर समस्या पैदा करता है जब फर्जी आर्इडी से भेजा जाता है।
II. साइबर स्टालकिंग आधुनिक युग में नेट अपराध के रूप में सबसे अधिक कुख्यात अपराध है। आक्सफोर्ड शब्दकोश में स्टालकिंग को ''छिपकर पीछा करना के रूप में परिभाषित किया गया है। साइबर स्टालकिंग में पीडि़त को मैसेज भेजकर, चैटरूप में प्रवेश कर, ढेर सारे ई-मेल भेजकर परेशान किया जाता है
III. महिला नागरिकों के लिए साइबर अश्लीलता एक अन्य खतरा है। इसमें अश्लील वेबसाइट; अश्लील मैग्जीन को कम्प्युटर (सामग्री को प्रकाशित एवं मुदि्रत करने के लिए) और इंटरनेट (अश्लील पिक्चर्स, फोटो, लेखन आदि को डाउनलोड और भेजने में) का उपयोग कर निर्मित किया जाता है।
IV. ई-मेल स्पूफिंग- एक स्पूफ्ड ई-मेल वह कहलाती है, जोकि अपने मूल को दुष्प्रचारित करे। यह वास्तविक स्रोत से बिल्कुल भिन्न होती है। इस तरह की ई-मेल अक्सर पुरूष अपनी अश्लील फोटों को महिलाओं को भेजते हैं, उनकी सौंदर्यता की प्रशंसा करते हैं, और उनसे डेट पर चलने के लिए कहते हैं, यहां तक कि उनसे उनकी ''सर्विसेज के चार्ज भी पूछते हैं। इसके अतिरिक्त, ई-मेल, एसएमएस और चैट के माध्यम से स्पष्ट संदेश भेजते हैं, जिनमें से अधिकांश में पीडि़त के चेहरे को किसी अश्लील फोटो, अक्सर, नग्न शरीर पर लगा देते हैं।

साइबर अपराध से बचने के सर्वश्रेष्ठ तरीके क्या हैं?

1) ऑनलाइन निजी जानकारी को साझा न करें
2) वेबसाइटस पर निजी प्रोफाइल्स न तैयार करें।
3) लिंग विशिष्टता या उत्तेजक स्क्रीन नाम या ई-मेल पते का उपयोग न करें।
4) ऑनलाइन फ्लर्ट या तर्क-वितर्क न करें।
5) अपना पासवर्ड शेयर न करें।
6) साइबर सम्पर्क के लिए एक विशेष ई-मेल तैयार करें।
7) एक अच्छा एंटी-वायरस प्रोग्राम का इस्तेमाल करें।
8. साइबर टाकर्स को जवाब न दें।
9) अपनी समस्त बातचीत को कम्प्युटर पर सुरक्षित (सेव) करें।

अन्य  महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

1.साइबर हैकिंग  क्या है
:-साइबर हैकिंग अनधिकृत रूप से किसी के सिस्टम से फिजिकली या ऑनलाइन सूचनाएं चुराना है, किसी कंप्यूटर के ई-मेल, उसकी प्रोग्रामिंग, मशीन कोड, ऑपरेटिंग सिस्टम आदि में बदलाव कर उसे उसके ओरिजनल फॉर्म से अलग कर देना है। इसके माध्यम से हैकर महत्वपूर्ण सूचनाओं को चुरा लेते हैं। हैकिंग यहां तक खतरनाक है कि हैकर इसकी सहायता से आपकी जरूरी सूचनाएं मसलन क्रेडिट कार्ड, बैंक अकाउंट से जुड़ी जानकारियां भी चुरा लेते हैं। आईटी एक्ट के सेक्शन-60 के तहत इसमें दंड का प्रावधान है। इसमें तीन साल तक की कैद हो सकती है।

2.एथिकल हैकिंग क्या होती है?
:-एथिकल हैकर साइबर क्रिमिनल से चार कदम आगे की सोचता है। सरकार भी अपने अधिकारियों को एथिकल हैंकिग के लिहाज से मजबूत कर रही है। आज के दौर में साइबर क्राइम का मुद्दा वैश्विक हो चुका है। ऐसे में एथिकल हैकर, साइबर स्पेस में आपको सुरक्षित रखने में मददगार साबित हो सकता है।

3.सोशल नेटवर्किंग साइट्स में पहचान को हैकिंग से बचा पाना कितना मुश्किल होता है। ऐसे में इन क्राइम से बचने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
:-यह काफी खतरनाक होता है। यहां पर कोई रोक-टोक नहीं है। कोई भी किसी की सूचना को एक्सेस कर सकता है। चूंकि इन कंपनियों के सर्वर बाहर होते हैं, ऐसे में भारतीय एजेंसियों के लिए इनको एक्सेस कर पाना आसान नहीं होता। जहां तक इन अपराधों को हल करने की बात है तो इन्हें समय रहते हल करना चाहिए, क्योंकि इनके फुट प्रिंट बहुत जल्दी मिटते हैं।

4.देश में साइबर अपराधों से बचने के लिए कानून कैसे हैं?
:-बड़ी समस्या ये है कि सिक्योरिटी एजेंसी और पुलिस अपराधों को रजिस्टर्ड नहीं करती। साथ ही इसके लिए बना हुआ मैकेनिज्म प्रभावशाली नहीं है। यही नहीं, इस मामले में जमानत मिल जाती है। कोई मुजरिम करोड़ों का ऑनलाइन अपराध करने के बाद भी बच जाता है।

5.अमेरिका और यूरोपियन देश इस तरह के अपराधों से कैसे निपटते हैं? एड एजेंसियों द्वारा ई-मेल हैक कर लिए जाते हैं? उनसे कैसे निपट सकते हैं?
:-वहां पर साइबर कानून सख्त है। साथ ही सुरक्षा एजेंसियों के पास आधुनिक  तकनीक  भी उपलब्ध होती है। प्रमुख बात है कि वहां पर इस तरह के अपराधों से बचने के लिए अपनाए जाने वाले सुरक्षा के उपाय काफी बेहतर होते हैं। अमेरिका में एड एजेंसियों द्वारा आने वाले मेल को स्पैम माना जाता है और इससे निपटने के लिए वहां मजबूत कानून होते हैं। लोगों को शिक्षित किए जाने की आवश्यकता है। ऐसी मेल्स के बारे में उनकी प्रतिक्रिया कैसी हो, इसके बारे में उन्हें जानकारी होनी चाहिए।

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