वर्षा
जल संग्रहण क्या है ?
वर्षा के पानी का बाद में उत्पादक कामों में इस्तेमाल
के लिए इकट्ठा करने को वर्षा जल संग्रहण कहा जाता है। आपकी छत पर गिर रहे बारिश के
पानी को सामान्य तरीके से इकट्ठा कर उसे शुद्ध बनाने का काम वर्षा जल का संग्रहण कहलाता
है।
आज अच्छी गुणवत्ता वाले पानी की कमी चिंता का एक
बड़ा कारण बन गई है। हालांकि, शुद्ध और अच्छी गुणवत्ता वाला वर्षा जल जल्द ही बह
जाता है।
वर्षा
जल संग्रहण के लाभ:
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भूजल या नगरपालिका के जल कनेक्शन से
होने वाले पानी की सप्लाई जैसे अन्य स्रोतों का यह पूरक हो सकना
·
जिन क्षेत्रों में पानी का अन्य कोई
स्रोत न हो, वहां निर्माण या खेती कार्य किया जा सकता है
·
उच्च गुणवत्ता जल- शुद्ध, रसायन मुक्त
होता है
·
जलापूर्ति की कम लागत
·
बाढ़ के वेग को कम कर मृदा अपरदन को
कम करता है
वर्षा
जल संग्रहण सबसे उपयुक्त होता है, जहां...
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भूजल कम है
·
भूजल दूषित है
·
जमीन विषम या पर्वतीय हो
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भूकम्प या बाढ़ सम्बन्धी घटनाएं आम
हों
·
लवण युक्त पानी की आवाजाही जल में खतरनाक
स्तर तक हो
·
जनसंख्या घनत्व कम हो
·
बिजली और पानी के दाम बढ़ रहे हों
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पानी बहुत खारा हो या उसमें खनिज अधिक
हों
वर्षा
जल का इस्तेमाल किया जा सकता है :
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पीने, खाना पकाने या नहाने के लिए (फिल्टर
वाली गुणवत्ता)
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शौच के लिए
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कपड़े धोने के लिए
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सिंचाई के लिए
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मवेशियों की जरूरतों के लिए
किसी भी वर्षा जल संग्रहण व्यवस्था के लिए तीन
घटक होते हैं: जल-ग्रहण, ढुलाई और संग्रहण। वर्षा जल संग्रहण व्यवस्था के दो प्रकार
हैं-
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व्यवस्था जिसमें घर की छत पर, घर के
इस्तेमाल के लिए पानी इकट्ठा किया जाता है।
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व्यवस्था जिसमें फसल की सिंचाई के
लिए अतिरिक्त पानी खेत या किसी पास के स्थान पर इकट्ठा किया जाता है।
वर्षा
जल संग्रहण व्यवस्था के छह आधारभूत तत्वों में शामिल हैं :
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जलग्रहण: वर्षा का पानी इकट्ठा करने
के लिए छत का क्षेत्र
·
ढुलाई: छत से पाइप या संग्रहण के लिए
जल-ग्रहण की व्यवस्था
·
छत की धुलाई: गंदगी हटाने और फिल्टर
के काम के लिए डाइवर्टर को शुरू करें
·
संग्रहण: टंकी या गड्ढा जहां वर्षा का
सुरक्षित पानी इकट्ठा किया जाता है जो कीटमुक्त हो
·
शुद्धीकरण: पानी को छानना या ओजोन व
पराबैगनी किरणों से साफ करना जिससे पीने में इस्तेमाल किया जा सके
·
वितरण: ऐसी व्यवस्था जो वर्षा का पानी
वितरित करती है, सामान्यत: उसमें एक छोटा पम्प और प्रेशर टैंक शामिल होता है।
ग्रामीण
क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण :
गांव में कुछ स्थानों में सामुदायिक कुओं का निर्माण
करें। 10 से 20 फीट की गहराई में कुंए में एक हाथ से चलने वाले पम्प का इस्तेमाल
करते हुए खुदाई करें। गांव वालों को कुंए के आसपास के क्षेत्र को और बोर वेल को साफ
रखने के लिए बताएं- उसके आसपास किसी चीज की धुलाई नहीं होनी चाहिए जैसे, स्नान, पशु,
मोटर साइकिल, कपड़ों की धुलाई और शौच के लिए भी उस स्थान को इस्तेमाल नहीं किया जाना
चाहिए।
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यदि गांव में तालाब हों, तो प्रत्येक
तीन साल पर उनकी सफाई करें।
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यदि गांव में कोई छोटी नदी या सोता हो,
तो चेक बांध बनाएं ताकि वर्षा जल को रोक कर उसे इस्तेमाल किया जा सके।
·
छत पर पानी का संग्रहण करें।
·
ग्रामीण स्कूलों की छतों पर वर्षा जल
संग्रहण
भारत के रेगिस्तानी इलाकों में हजारों वर्षों से
जो तकनीक अपनाई जा रही है वह है, छतों पर वर्षा जल संग्रहण, जो सबसे कम लागत वाली प्रणाली
है। दो दशकों से अधिक समय से बेयरफुट कॉलेज स्कूलों की छतों से भूमि के भीतर गड्ढों
में पानी को संग्रहित कर 15 राज्यों के सुदूर ग्रामीण स्कूलों में लगभग 3.2 करोड़
लोगों को पीने का पानी उपलब्ध करा रहा है।
सुदूर
गांवों में जहां पीने का पानी एक बड़ी समस्या है, वर्षा जल संग्रहण ढांचे के दो उद्देश्य
होते हैं :
- पीने
के पानी का एक स्रोत, खासकर सूखे मौसम के दौरान, 4 से 5 महीने।
- साल
भर पानी की उपलब्धता से स्वास्थ्य और स्वच्छता में बेहतरी, उदाहरण के तौर
पर कम फ्लश वाले सार्वजनिक शौचालय।
स्कूल के लिए वर्षा जल
संग्रहण (आरडब्ल्यूएच) परियोजना
स्कूल में वर्षा जल संग्रहण तालाब
आर.डब्ल्यू.एच तंत्र का निर्माण
आर.डब्ल्यू.एच व्यवस्था के निर्माण से पहले यह जरूरी है कि सूचना इकट्ठी कर उन स्कूलों की सूची बनाई जाए जहां पानी की कमी है, गांव में मौजूद जल स्रोत क्या हैं, गांव में मिट्टी की किस्म क्या है और आर.डब्ल्यू.एच द्वारा लिया जाने वाला छत का क्षेत्रफल कितना है। |
वर्षा
जल संग्रहण के लिए भूमि में गड्ढे क्यों बनाये जाते हैं ?
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सिर्फ एक भूमिगत टैंक जो चूने या स्थानीय सामग्री से बना हो, अगले मौसम
तक बारिश के पानी को ताजा रख सकता है
·
यह जल संग्रहण का प्राकृतिक साधन है जिससे गर्मी में ठंडा और सर्दी में
गर्म पानी मिलता है
·
भूमिगत टैंक ज्यादा टिकाऊ होते हैं जिनके रखरखाव की जरूरत नहीं पड़ती
टैंक
कहां हो ?
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टैंक को मुख्य भवन के करीब होना चाहिए जिससे कि वह स्कूली बच्चों की
पहुंच में हो
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भवन से टैंक की दूरी क्षेत्रफल पर निर्भर करती है: कठोर जमीन पर तीन से
पांच फीट और आमतौर पर दस फीट से ज्यादा दूर
·
पानी रूकने के खतरे से बचने के लिए छोटी पाइपों का इस्तेमाल किया जाना
चाहिए। छत के ऊपरी हिस्से को टैंक से जोड़ने के लिए मोटे व्यास वाली पाइप का इस्तेमाल
किया जाना चाहिए, जो कम से कम चार इंच की हो
·
यदि जमीन कठोर है, तो ज्यादा गहरा गड्ढा खोदने की कोशिश न करें। एक टैंक
इस तरह बनारया जा सकता है कि वह जमीन की सतह से एक तिहाई ऊपर हो और दो तिहाई नीचे
निर्माण
के लिए सामग्री
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स्थानीय निर्माण सामग्री (ईंट/पत्थर)
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चूना/सीमेंट
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वाटर प्रूफ पाउडर (जिप्सम)
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रेत
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छत की सामग्री (फेरो सीमेंट/बलुआ पटिया), क्षेत्र पर निर्भर
तालाब
की आकृति
तालाब की आकृति वहां की मिट्टी के स्वरूप
पर निर्भर करती है। तालाबों का पारंपरिक डिजाइन आयताकार या बेलनाकार होता है। कठोर
जमीन वाले क्षेत्र के लिए आयताकार तालाब अच्छा होता है। यह तकनीक सामान्य है: एक
गड्ढा खोदें और स्थानीय पत्थरों से बनी छत से उसे ढक दें। सर्दियों में इस छत का
इस्तेमाल कक्षाएं लगाने या स्कूल के मंच के रूप में हो सकता है।
रेगिस्तानी क्षेत्रों के लिए बेलनाकार
आकृति ठीक होती है। थार रेगिस्तान के ग्रामीण समुदायों के पास जल ढांचों की पारंपरिक
और किफायती निर्माण तकनीक का ज्ञान मौजूद है। यह अविश्वसनीय, लेकिन सच है कि स्थानीय
ग्रामीण मिस्त्री और कारीगर स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल कर 100 मीटर गहरे कुएं
और बेलनाकार तालाब का निर्माण कर सकते हैं। ऐसे बेलनाकार तालाब बनाना प्रशिक्षित सिविल
इंजीनियरों के लिए भी चुनौती है।
जल
के भूगर्भीय स्रोतों पर तथ्य :
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एक कुआं पानी के संग्रहण के लिए नहीं होता है। कुआं भू-जल स्रोत को सतह
से जोड़ता है। बरसात के मौसम में भू-जल की उपलब्धता के आधार पर कुंए में पानी का स्तर
ऊपर और नीचे जाता है।
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बारिश खत्म होने के लंबे समय बाद भी कुएं में पानी भू-जल स्रोत से रिस
कर आता है।
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आप बोर वेल से जहां पानी प्राप्त करते हैं, निश्चित है कि वहां जमीन
के भीतर बारिश का पानी रिस कर गया रहा होगा
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हरेक बोर वेल आज नहीं तो कल सूख जाएगा
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बोर वेल का उल्टा इस्तेमाल करें। एक सूखे हुए बोर वेल से भू-जल को ताजा
करने की कोशिश करें। इसके लिए उसके ऊपर पानी रिसने के लिए गड्ढा बनाना होगा
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