गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

जल संसाधन



जल संसाधन जल के वह स्रोत हैं जो मानव के लिए उपयोगी हो या जिनके उपयोग की संभावना होपानी के उपयोगों में शामिल हैं कृषि, औद्योगिक , घरेलू , मनोरंजन  और पर्यावरण  गतिविधियाँ वस्तुतः इन सभी मानवीय उपयोगों में ताजा पानी  की आवश्यकता होती है पृथ्वी के पानी का 97.5% खारा है, और केवल 2.5% ही मीठा पानी है, उसका भी दो तिहाई हिस्सा हिमानीऔर ध्रुवीय  बर्फीली टोपी  के रुप में जमा है शेष पिघला हुआ मीठा पानी मुख्यतः जल के रूप में पाया जाता है, जिस का केवल एक छोटा सा भाग भूमि के ऊपर या हवा में है  मीठा पानी एक नवीकरणीय संसाधन  है, फिर भी विश्व के स्वच्छ पानी की पर्याप्तता लगातार गिर रही है दुनिया के कई हिस्सों में पानी की मांग पहले से ही आपूर्ति से अधिक है , और जैसे जैसे विश्व जनसंख्या  में अभूतपूर्व दर से वृद्धि हो रही हैं, निकट भविष्य मैं इस असंतुलन का अनुभव बढ़ने की उम्मीद है पानी के प्रयोक्ताओं के लिए जल संसाधनों के आवंटन के लिए फ्रेमवर्क (जहाँ इस तरह की एक फ्रेमवर्क मौजूद है) पानी के अधिकार  के रूप में जाना जाता है.
सतही जल
सतह का पानी  एक नदी में पानी झील या ताज़ा पानी धसान (wetland) है सतह के जल की प्राकृतिक रूप से वर्षण (precipitation) द्वारा पूर्ति होती है, और वेह प्राकृतिक रूप से ही महासागरों में निर्वाह, वाष्पीकरण (evaporation) और और उप सतह से रिसाव के द्वारा खो जाता है
हालांकि किसी भी पानी की व्यवस्था का प्राकृतिक स्रोत उसके जलोत्सारण क्षेत्र (watershed) में तल्चाताव है, उस पानी की कुल मात्रा किसी भी समय अन्य कई कारकों पर निर्भर है इन कारकों में शामिल हैं झीलों, आर्द्रभूमियों और कृत्रिम जलाशयों (reservoirs) में भंडारण क्षमता, इन भण्डारणओं के नीचे mitti (soil) की पारगम्यता, आर्द्रभूमियों के भीतर भूमि के अपवाह (runoff) के अभिलक्षण, वर्षं का समय और स्थानीय वाष्पीकरण का स्तर.यह सभी कारक भी जल अनुपात में घाटे को प्रभावित करते हैं
मानव गतिविधियों इन कारकों पर एक बड़े प्रभाव हो सकते हैं.मनुष्य अक्सर जलाशयों का निर्माण द्वारा भंडारण क्षमता में वृद्धि और आद्रभूमि बहाव निकास द्वारा घटा देते हैं मनुष्य अक्सर उप्वाह की मात्रा और उस की तेज़ी को फर्श बन्दी और धारा प्रवाह जल्मार्गता से बढ़ा देते हैं
किसी भी समय पानी की कुल उपलब्धि की मात्रा एक महत्वपूर्ण विचार है.कुछ मानव जल उपयोगकर्ताओं को पानी के लिए एक आंतरायिक जरूरत है.उदाहरण के लिए, अनेक खेतों (farm) को वसंत ऋतु में पानी की बड़ी मात्रा की आवश्यकता होती है और सर्दियों में बिल्कुल नहीं ऐसे खेट को पानी उपलब्ध करने के लिए, सतह जल के एक विशाल भण्डारण क्षमता की आवश्यकता होगी जो साल भर पानी इकठा करे और छोटे समय पर उसे प्रवाह कर सके अन्य उपयोगकर्ताओं को पानी के लिए एक सतत आवश्यकता है, जैसे की बिजली संयंत्र (power plant) जिस को ठंडा करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है.ऐसे बिजली संयंत्र को पानी देने के लिए, सतह जल उपाय को आवश्यकता से कम भण्डारण क्षमता स्तर पर रखा जा सकता है ताकि जब औसत धारा प्रवाह कम हो तो उस समय यह काम आए
फिर भी, दीर्घकालिक जलोत्सारण क्षेत्र में वर्षण का औसत उस जलोत्सारण क्षेत्र के औसत प्राकृतिक सतह के पानी की खपत का ऊपरी भाग है
प्राकृतिक सतह का जल दूसरे जलोत्सारण क्षेत्र से नहर (canal) या पाइप लाइन (pipeline) के माध्यम से आयात द्वारा संवर्धित किया जा सकता हैयह कृत्रिम रूप से भी यहाँ सूचीबद्ध स्रोतों से संवर्धित किया जा सकता है, लेकिन असल में इस की मात्रा नगण्य हैंमनुष्य सतह द्वारा जल को 'खो' सकता है .
 उप सतह का पानी
उप भूतल पानी, या भूमिगत जल (groundwater) है मीठा पानी जो मिट्टी और चट्टानों (rocks) के randhra (pore) के अंतरिक्ष भाग में होता है यह भौम जल स्तर (water table) के नीचे जलवाही (aquifer) के भीतर बहने वाला जल भी है कभी कभी उप सतिया जो सतह के जल से निकट सम्बन्ध रखता है और जलवाही स्तर के गहरे उप सतीया जल में अन्तर करना उपयोगी है (जो कभी कभी 'जीवाश्म जल' कहा जाता है )
उप सतह के पानी की तुलना सतह के पानी से करने का सोचा जा सकता है: आदान, प्रदान और भण्डारण के सन्दर्भ में यदि निवेश की तुलना की जाए तो महत्वपूर्ण अंतर यह है कि गमनागमन का धीमा दर होने के कारण उप सतह के पानी के भंडारण आमतौर पर सतह के जल से अधिक विशाल होते है इस अन्तर हे कारण मानव आसानी से उप सतह का जल लम्बे समय तक बिना गंभीर परिणामो के गैर दीर्घकालिक उपयोग कर सकते हैं बहरहाल उप सतह जल स्रोत के ऊपर के रिसाव का दीर्घकालिक औसत जल औसत खपत के लिए बाध्य है
उप सतह जल का प्राकृतिक स्रोत है सतह जल का रिसाव उप सतह के परिणाम हैं झरने और महासागरों में रिसाव
यदि सतह के पानी के स्रोत में भी पर्याप्त वाष्पीकरण हो, तो उप सतह का जल खारा (saline) बन सकता है यह स्थिति स्वाभाविक रूप से endorheic (endorheic) जल के निकायों के तहत या कृत्रिम सिंचित (irrigated) खेत के तहत हो सकता है तटीय क्षेत्रों में मानवीय इस्तमाल से उप सतह का जल स्रोत रिसाव की दिशा उलटी कर सकता है जिस के कारण मिटटी लावानीय (soil salinization) बन सकती है मनुष्य उप सतह के जल को "खो " सकता है (यानी उसे बेकार बना सकता है) प्रदूषण के माध्यम सेमनुष्य जलाशयों या निरोध तालाबों के निर्माण द्वारा सतह जल स्रोत के लिए निवेश बढ़ा सकता है
भूमि में जल वर्गों में पाया जाता है जिसे जलवाही स्तर (aquifers) कहते हैं बारिश गिरती है और इन में समा जाती है सामान्य रूप से जलवाही संतुलित (equilibrium) नेपाल् पर रहता है जलवाही में जल का माप आम तौर पर अनु के आकार पर निर्भर करता है.इस का अर्थ है की कर्षण का डर तुच्छ पारगम्य से सीमित है
विलवणीकरण
विलवणीकरण (Desalination) एक कृत्रिम प्रक्रिया है जिसके द्वारा खारा पानी (saline water) (आम तौर पर समुद्र का पानी (sea water)) ताजे पानी में बदला जाता है सब से आम विलवणीकरण प्रक्रियाएं आसवन (distillation) और उलट परासरण (reverse osmosis) हैं हाल फिलहाल अन्य स्रोतों वैकल्पिक स्रोतों की तुलना में विलवणीकरण एक बहुत महंगा विकल्प है, और कुल मानव उपयोग का एक बहुत छोटा अंश ही इस के द्वारा संतुष्ट होता है यह केवल आर्थिक दृष्टि से उत्तम व्यावहारिक-मूल्य (जैसे घरेलू और औद्योगिक उद्योगों के लिए) शुष्क (arid) क्षेत्रों में उपयोगी है सबसे व्यापक उपयोग फारस की खाड़ी (Persian Gulf) में है
जमा हुआ जल
हिमशैल (iceberg) को जल के स्रोत के रूप में उपयोग करने के लिए कई प्रस्ताव रखे गए हैं, किंतु आज तक यह केवल नवीन परियोजनों के लिए ही किया गया है हिमानी अपवाह भी सतह का जल माना जाता है
ताजे पानी के उपयोग
ताजे पानी के उपयोग तपेदिक़ और गैर रूप-तपेदिक़ (कभी कभी "अक्षय" कहलाया गया) वर्गीकृत किया जा सकता है.यदि जल तुरंत एक और उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं हो तो वेह तपेदिक़ उपयोग होगा उप सतेह रिसाव और वाष्पीकरण नुक्सान एवं उत्पाद में सम्मिलित जल (जैसे कृषि उपज) को तपेदिक़ माना जाता है जल जिसे प्रबंधित (treated) कर सतह के जल के रूप में लौटाया जा सके जैसे की मॉल, अक्सर गैर-तपेदिक़ मन जाता है, अगर उसे किसे अन्य उपयोग में लाया जा सके
कृषि
 विश्व के कुछ क्षेत्रों में सिंचाई किसी भी फसल के लिए आवश्यक है जबकि अन्य क्षेत्रों में यह अधिक लाभदायक फसलों की बढ़त, अथवा फसल पैदावार की वृद्धि में कारगर है विभिन्न सिंचाई विधियों में फसल पैदावार, जल खपत एवं उपकरणों और संरचनाओं की पूंजी लागत में गमागम शामिल हैं सतह के ऊपर या नीचे के सेचक (sprinkler) कम मेहेंगे किंतु कम कारगर भी होते हैं, क्योंकि अधिकतर जल वाष्पिभूत हो जाता है या रिस जाता है अधिक कारगर सिंचाई विधियों में शामिल हैं रिसाव या चूनाद्रव सिंचाई (drip or trickle irrigation), प्रवाह सिंचाई और सेचक सिंचाई जिस में सेचक जमीनी स्तर के पास संचालित किए जाते हो यह प्रणालिया मेहेंगी है, किंतु रिसाव और वाष्पीकरण को कम करने में सार्थक हैं कोई भी प्रणाली यदि अनुचित व्यर्थ प्रबंधित हो तो अपव्ययी होती है एक और गमागम जिसे अक्षम विचार मिलता है, वेह है उप सतह के पानी का खारा होना
जलीय कृषि (Aquaculture) जल का एक छोटा लेकिन बढ़ता प्रयोग है मीठे पानी में व्यावसायिक मत्स्य पालन भी पानी का कृषि उपयोग माना जाता है, लेकिन इसे सिंचाई से कम मेहेत्व दिया जाता है
जैसे जैसे विश्व की जनसँख्या और अनाज की मांग में वृद्धि हो रही है, जल के स्थिर स्तर के रहते प्रयास किए जा रहे हैं की कम पानी के प्रयोग से कैसे अधिकतम अनाज की उपज सिंचाई विधियों  और प्रौद्योगिकियों, कृषि जल प्रबंधन (water management), फसल प्रकार, और जल अनुश्रवण के माध्यम से की जाए 'मोटा पाठ''तिरछा पाठ''
औद्योगिक
 अनुमान हैं की विश्व भर के 15% जल का उपयोग औद्योगिक हैप्रमुख औद्योगिक उपयोगकर्ताओं में शामिल हैं बिजली घर जो पानी को ठंडक के लिए या बिजली स्रोत के रूप में उपयोग करते हैं (यानि जलविद्युत (hydroelectric) संयंत्र), अयस्क (ore) और तेल (oil) संयंत्र जो रासायनिक प्रक्रियाओं में पानी का उपयोग करें और विनिर्माण संयंत्र जो एक विलायक के रूप में पानी का उपयोग करते हैं
औद्योगिक पानी के उपयोग का हिस्सा जो तपेदिक हो, उस में व्यापक विवधिता है, पर पूर्णरूपेण कृषि उपयोग से कम है
पीने का पानी
अनुमान लगाया जाता है की विश्व भर का 15% जल घरेलू उद्देश्यों के लिए उपयोग होता है इन में शामिल हैं पीने का पानी (drinking water), स्नान (bathing), खाना पकाने (cooking), स्वच्छता, और बागवानी (gardening).पीटर गलैक (Peter Gleick) के अनुमान अनुसार घरों की बुनियादी आवश्यकताओं के लिए प्रति दिन प्रति व्यक्ति लगभग 50 लीटर की खपत है, और इस में बगीचों के लिए पानी शामिल नहीं है
पर्यावरण
स्पष्ट पर्यावरण के पानी का प्रयोग भी एक बहुत छोटा है लेकिन बढ़ती कुल जल का प्रयोग का प्रतिशत हैपर्यावरिक जल उपयोगों में शामिल है कृत्रिम धसान, वन्यजीव आवास के लिए अपेक्षित कृत्रिम झीलें, बांध (dam) के इर्द गिर्द मच्ची सोपान (fish ladder) और मछली खेती के लिए समयबद्ध जलाशयों से जल मुक्ति
मनोरंजन के साधन के उपयोग की तरह, पर्यावरण उपयोग गैर तपेदिक़ है लेकिन विशिष्ट समय और स्थानों पर अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए पानी की उपलब्धता में कमी का कारण हो सकता है.उदहारण के लिए जलाशय से मछली उद्योग के लिए जल मुक्ति उपरी खेतों के लिए उपलब्ध नहीं होगा
पानी में तनाव
पानी की अवधारणा तनाव का सिद्धान्त सरल है: स्थायी विकास के लिए विश्व व्यापार परिषद (World Business Council for Sustainable Development) के अनुसार यह उन परिस्थितियों पर लागू होता है जहां सभी उपयोगों के लिए पर्याप्त पानी नहीं, चाहे, वेह औद्योगिक कृषि या घरेलू हों शब्दों में प्रति व्यक्ति (per capita) उपलब्ध जल तनाव को परिभाषित करना जटिल है, तथापि पानी का उपयोग फिर भी, यह धारणा है कि जब प्रति व्यक्ति वार्षिक अक्षय मीठे पानी की उपलब्धता 1700 घन meter से कम हो, तो देश आवधिक या नियमित रूप से पानी तनाव का अनुभव करने लगते हैं जल, 1000 घन मीटर से कम कमी आर्थिक विकास और मानव स्वास्थ्य और समृद्धि में बाधा डालता है
जनसंख्या वृद्धि
सन् 2000 में, दुनिया की आबादी 6.2 अरब थी.संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है की 2050 तक जनसँख्या में 3 अरब की वृद्धि हो जायेगी, और वेह विकासशील देशों (developing countries) में जो पहले से ही जल तनाव से ग्रस्त हैं [5] इस लिए जल की मांग और बढेगी जब तक इस महत्वपूर्ण संसाधन में जल संरक्षण (water conservation) और पुनर्प्रयोग (recycling) द्वारा अनुकूल वृद्धि नहीं होती
समृद्धि में बढ़त
गरीबी (poverty) उन्मूलन दर की वृद्धि हो रही है खासकर चीन और भारत जैसे दो जनसंख्या दिग्गजों में बहरहाल, बढ़ती समृद्धि (affluence) का मतलब है निश्चित अधिक पानी की खपत : 24 घंटे, 7 दिन मीठे पानी की आवश्यकता और बुनियादी स्वच्छता (sanitation) से ले कर उद्यान और गाड़ी धोने के लिए पानी की मांग करने से ले कर तरणताल की चाहत तक
व्यावसायिक गतिविधियों के विस्तार
औद्योगीकरण से सेवा क्षेत्र जैसे पर्यटन और मनोरंजन जैसी व्यावसायिक गतिविधियां तेजी से विस्तार कर रहीं हैं इस विस्तार की जरूरत होती है दोनों पूर्ति (supply) और स्वच्छता सहित जल सेवाओं में वृद्धि , जो पानी और प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी तंत्रों (ecosystem)पर और अधिक दबाव के कारण हो सकते हैं
तेजी से शहरीकरण
शहरीकरण (urbanization) की ओर रुझान त्वरक है.निजी लघु कुँए (well) और गटर (septic tank) जो कम घनत्व समुदायों में कारगर साबित होते हैं, भारी घनत्व के शेहरी क्षेत्रों (urban area) में सक्षम नहीं शहरीकरण के होते जल सम्बंधित बुनियादी सुविधाओं (infrastructure) में महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता है व्यक्तियों तक पानी पहुंचाने के लिए, और मलजल से मलीन जल koइन प्रदूषित और दूषित जल का उपचार किया जाना अनिवार्य है या वे अस्वीकार्य सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम बन जायेंगे 60 % यूरोपीय शेहेरों में जिस की जनसँख्या 100000 से अधिक है, वहाँ भूमिगत जल एक तेज दर से प्रयोग किया जा रहा है यदि कुछ जल उपलब्ध है, तो उसे ग्रहण करने की लागत में वृद्धि ही वृद्धि (costs more and more) हो रही है
जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन (Climate change)मौसम और जल चक्र (hydrologic cycle) के बीच करीब संबंधों के कारण   दुनिया भर के जल संसाधनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है बढ़ते तापमान के रहते वाष्पीकरण  (evaporation) में वृद्धि होगी और परिनाम्वश वर्षण में भी वृद्धि होगी, हालांकि वर्षा में क्षेत्रीय विवधिता होगी कुल मिलाकर, ताजे पानी की वैश्विक आपूर्ति में वृद्धि होगी.दोनों सूखा (droughts) और बाढ़ विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग समय पर अक्सर हो सकते हैं, और पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी और तुषार पिघलाव  (snowmelt) की संभावना है बढे तापमान जल गुणवत्ता को कैसे prabhaavit करेगा यह अच्छी तरह समझा नहीं गया है संभावित प्रबाव में शामिल है eutrophication (eutrophication)जलवायु परिवर्तन का अर्थ कृषि सिंचाई, उद्यान सेचक और शायद तरन ताल की मांगों में वृद्धि भी हो सकता है
जलवाही स्तर का रिक्तीकरण
मानव आबादी के विस्तार (expanding human population) के कारण जल के लिए प्रतिस्पर्धा ऐसे बढ़ रही है की विश्व के प्रमुख जलवाही समाप्त होते जा रहे हैंयह भूमिगत जल के द्वारा कृषि सिंचाई और प्रत्यक्ष मानव उपभोग दोनों के लिए यथार्थ है पूरी दुनिया में सभी आकार के लाखों पम्प (pumps) इस समय भूमिगत जल निकाल रहे हैं उत्तरी चीन और भारत जैसे शुष्क क्षेत्रों में सिंचाई भूमिगत जल के द्वारा, और असम्वृधीय दर से निचोडा जा रहा है जिन्हों ने जलवाही बूँदें अनुभव की हैं, उन शेहेरों में शामिल हैं मेक्सिको सिटी (Mexico City), बैंकॉक, मनीला (Manila), बीजिंग, मद्रास और शंघाई.
प्रदूषण और जल संरक्षण
जल प्रदूषण (Water pollution) आज विश्व के प्रमुख चिंताओं में से एक है कई देशों की सरकारों की इस समस्या को कम करने के लिए समाधान खोजने के लिए कड़ी मेहनत की है.जल आपूर्ति को कई प्रदूषकों से खतरा है, किंतु सब से अधिक व्यापक विशेषकर अल्पविकसित देशों में है कच्चे मॉल (sewage) का प्राकृतिक जल में निर्वाह; मॉल निपटान की यह विधि अल्पविकसित देशों में सबसे आम है, लेकिन अर्ध विकसित देशों जैसे चीन, भारत और इरान में भी प्रचलित है
मल, कीचड, गन्दगी और विषाक्त प्रदूषक, सब पानी में फ़ेंक दिए जाते हैं मल उपचार के बावजूद समस्याएं खड़ी होती हैं जेव्नारित मल कीचड में तब्दील होता है, जो समुद्र में बहा दिया जाता है कीचड के अतिरिक्त उद्योगों और सरकारों द्वारा रासायनों का रिसाव जल प्रदूषण का प्रमुख स्रोत हैं
पानी और झगड़ा
जल के पीछे वास्तविक अन्तर राज्य संघर्ष का इकलौता उदहारण है सुमेरिया (Sumeria) के लगाश (Lagash) और उम्मा (Umma) राज्यों के बीच, 2500 और 2350 ईसा पूर्व में प्रमाण के आभाव में भी यह कहा जा सकता है की केवल जल के पीछे ही इतिहास में विभिन्न युद्ध लड़े गए हैं जब पानी की कमी (scarcity) राजनीतिक तनाव का कारण बनता है, तो इसे जल तनाव कहा जाता है जल तनाव अक्सर क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर संघर्ष का कारण रहा है  शुद्ध मात्रात्मक पद्धति का उपयोग करते हुए थॉमस होमर - दिक्सों ने पानी की कमी और उपलब्ध कृषि योग्य भूमि की कमी को हिंसक संघर्ष के मौके से सफलतापूर्वक सहसंबद्ध किया
जल तनाव संघर्ष और राजनीतिक तनाव को भी बढ़ावा दे सकते हैं चाहे वह पानी से सम्बंधित न भी हो समय के साथ ताजे पानी की गुणवत्ता या मात्रा जनसँख्या की सेहत गिराते हुए आर्थिक विकास में निरोधक हो सकती है और क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ा सकती है
जल सम्बंधित संघर्ष और तनाव संभावित राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर है, विपत्तिकालीन नदी घाटी के निचले हिस्सों में चीन के दक्षिणी क्षेत्र उदाहरण के लिए पीली नदी या थाईलैंड में चाओ फ्राय नदी (Chao Phraya River) कई वर्षों से जल सम्बंधित तनाव से पीधित हैं इस के अतिरिक्त, चीन, भारत, ईरान, और पाकिस्तान जैसे शुष्क देश जो भारी मात्रा में सिंचाई के लिए निर्भर हैं, वह विशेष रूप से जल सम्बंधित संघर्ष के जोखिम क्षेत्र में हैं राजनीतिक तनाव, नागरिक विरोध, और हिंसा भी पानी के निजीकरण (water privatization) की प्रतिक्रिया हो सकते हैं 2000 के बोलीविया जल युद्ध (Bolivian Water Wars of 2000)  में वृत्त का अध्ययन हैं हम विभिन्न रूपों में जल का उपयोग करते हैं हम पानी का उपयोग तैराकी जैसे मनोरंजन के लिए करते हैं हम वस्तुएं धोने के लिए पानी का उपयोग करते हैं.पानी बिजली और सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता है.यह पौधों को सींचने के काम आता है ; सेचक भी जल की खपत करते हैं खेती बाधी और फसल बढ़ाने में जल का उपयोग होता है
विश्व जल आपूर्ति और वितरण

पोषण और जल दो बुनियादी मानवीय आवश्यकताएं हैं हालांकि, 2002 से वैश्विक कवरेज के आंकड़े दर्शाते हैं कि, के हर 10 लोगों में :
मोटे तौर पर 5 के घरों में पानी की आपूर्ति के लिए पाइप का कनेक्शन है (उन के निवास, प्लॉट या यार्ड में )
3 बेहतर जल आपूर्ति के अन्य माध्यम जैसे संरक्षित कुआँ या सार्वजनिक स्तान्द्पिपे का उपयोग करते हैं
2 सेवाहीन हैं
इसके अतिरिक्त, हर 10 में से 4 लोग सुधरी स्वच्छता के बिना रह रहे हैं.
पृथ्वी शिखर सम्मेलन 2002 (Earth Summit 2002) में सरकारों ने कार्य कार्रवाई की एक योजना को मंजूरी दे दी:
 2015 तक सुरक्षित पानी पीने की असमर्थता रखने वालों का अनुपात लगभग आधा होने की संभावना है वैश्विक जल आपूर्ति और स्वच्छता का आकलन 2000 रिपोर्ट (GWSSAR) पानी के 'मुनासिब अभिगमन' को कम से कम 20 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन, एक किलोमीटर की दूरी के भीतर के स्रोत के तौर पर परिभाषित करती है
बुनियादी स्वच्छता की असमर्थता रखने वालों का अनुपात लगभग आधा होने की संभावना है GWSSR के मुताबिक "बुनियादी स्वच्छता" निजी या साझा लेकिन सार्वजनिक नहीं निपटान प्रणाली है जो मॉल को मानवीय संपर्क से अलग करती है
2025 में जल वितरण का अनुमान
 2025 में पानी की कमी गरीब देशों में और प्रबल होगी जहाँ संसाधन सीमित हैं और जनसंख वृद्धि तेज़ है जैसे की मध्य पूर्व, अफ्रीका, और कुछ भाग एशिया के.सं 2025 तक, बड़े शहर और उन के आस पास के क्षेत्रओं को सुरक्षित पानी और र्याप्त स्वच्छता प्रदान करने के लिए नए बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता होगीयह कृषि जल उपयोगकर्ताओं, के साथ बढ़ते संघर्षों का सुझाव है, जो वर्त्तमान में मनुष्य द्वारा प्रयोग किए जाने वाले पानी के सबसे बड़े उपयोगकर्ता हैं
सामान्यतः अधिक विकसित देश जैसे उत्तरी अमेरिका, यूरोप और रूस 2025 तक पानी की आपूर्ति करने के लिए एक गंभीर खतरा नहीं देखेंगे, केवल इस लिए नहीं की उन की सापेक्ष धनराशि अधिक है, किंतु अधिक महत्वपूर्ण उन की जनसँख्या जल संसाधनों के साथ बेहतर संरेखित होगी उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व, दक्षिण अफ्रीका और उत्तरी चीन में भौतिक आभाव और जल सम्बंधित क्षमता (carrying capacity) सअपेक्ष जनसंख्या विस्फोट के कारण वेह गंभीर पानी की कमी का सामना करेंगे दक्षिण अमेरिका, उप सहारा (Sub-Saharan) अफ्रीका, दक्षिणी चीन और भरत के अधिकतम अंश सं 2025 तक पानी की आपूर्ति की कमी का सामना करेंगे, बाद के इन क्षेत्रों में सुरक्षित पीने का पानी में कमी के कारण होंगे विकास करने के लिए आर्थिक बाधाएं और अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि (population growth).
आर्थिक दृष्टिकोण
जल आपोरती और स्वच्छता के लिए बुनियादी ढांचे में जैसे पाइप संजाल, जलोदंच केन्द्र और जल प्रशोधन केन्द्र पूंजी की एक बड़ी राशि के निवेश (investment) की आवश्यकता होती हैयह अनुमान है कि आर्थिक सह-संचालन और विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development) (OECD) राष्ट्रों को प्रति वर्ष कम से कम 200 अरब अमरीकी डॉलर का निवेश करना होगा पानी के काल प्रभावित बुनियादी ढांचे को बदलने के लिए, जल आपूर्ति की गारंटी देने के लिए, रिसाव दरों में कमी लाने और पानी की गुणवत्ता की रक्षा के लिए
अन्तान्र्राष्ट्रीय स्तर पर विकासशील देशों की आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है.सहस्राब्दी विकास लक्ष्य (Millennium Development Goals) सं 2015 तक सुरक्षित पीने के पानी और बुनियादी स्वच्छता के आभाव में जी रहे जनसँख्या अनुपात को आधा करने का लक्ष्य पूरा करने के लिए 10 से 15 अरब अमरीके डॉलर के वर्त्तमान निवेश को दोगुना करने की आवश्यकता है इस में मौजूदा बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए आवश्यक निवेश शामिल नहीं हैं
एक बार बुनियादी सुविधाएं जगह पर हों, तो प्रचलित जल आपूर्ति और स्वच्छता प्रणाली महत्वपूर्ण चलते खर्च अंतर्भूत करेगा कार्मिकों, ऊर्जा, रसायन, रखरखाव और अन्य खर्चों की आपूर्ति के लिए इन पूंजी और परिचालन लागत को पूरा करने के लिए धन राशि की सूत्र उपयोगकर्ता फीस, सार्वजनिक धन या दो के कुछ संयोजन होंगे
पर यहीं पर जल अर्थशास्त्र जटिल होना शुरू हो जाता है क्योंकि यह सामाजिक और व्यापक आर्थिक नीतियों से टकराता है ऐसे नैतिक प्रश्न जो पानी की उपलब्धता और पानी के उपयोग के बारे में आधारभूत जानकारी पर केंद्रित है, इस लेख के दायरे से परे हैं.फिर भी यह समझने के लिए की जोखिमों और अवसरों के संदर्भ में जल मुद्दों का व्यापार और उद्योग पर क्या प्रभाव पढेगा, इस के लिए यह काफ़ी प्रासंगिक है
व्यापार प्रतिक्रिया
स्थायी विकास विश्व व्यापार परिषद (World Business Council for Sustainable Development) अपने परिदृश्य निर्माण (scenario building) प्रक्रिया में कार्यरत जल परिदृश्य
·         जल से सम्बंधित मूल मुद्दों और द्रिवेरों का व्यवसाय द्वारा समझ का स्पष्टीकरण करते हैं और बढ़ावा देते हैं
·         व्यापार समुदाय और गैर जल प्रबंधन के मुद्दों पर व्यापार हितधारकों के बीच आपसी समझ को बढ़ावा देना.
·         निरंतर जल प्रबंधन के लिए समाधान के भाग के रूप में समर्थन प्रभावी व्यापार कार्रवाई
यह निष्कर्ष निकाला है कि
·         प्यासे समाज में व्यापार जीवित नहीं रह सकता
·         जल संकट (water crisis) के लिए जल कारोबार में होने की आवश्यकता नहीं है
·         व्यापार समाधान का हिस्सा है, और इसकी क्षमता अपनी अभियान द्वारा संचालित है.
·         बढ़ते पानी के मुद्दे और जटिलता, लागत को बढ़ावा देंगे

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