शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012

GAAR- General Anti Avoidance Rule



गार: गार से तात्पर्य एंटी अवोइडेंस रुल से  है । इसका प्रमुख  उदेश्य है  उन सोदो या आय को करो के दायरे में लाना जिसको केवल करो के भुगतान से बचने के लिए संरचित किया गया है । गार के पीछे सरकार  का एक ही लक्ष्य है जो भी विदेशी कंपनी भारत में निवेश करे , वह यहाँ के तय  नियमों के अनुसार टैक्स दे ।ये नियम मूल रूप से प्रत्यक्ष कर संहिता (डी टी सी ) 2010 में प्रस्तावित है जो करो से बचने के लेनदेन को लक्षित कर रहे हैं । वित्तमंत्री ने आम बजट 2012-13 को प्रस्तुत करते हुए उसमे गार के प्रावधानों का उल्लेख किया था । संसद द्वारा इसे स्थायी समिति को भेज दिया गया । स्थायी समिति की सिफारिशों पर गोर करने के पश्चात नियमो के प्रावधानों में निम्न संशोधन का प्रस्ताव किया गया है । 

1. गार के अंतर्गत कार्यवाही पहले प्रमाण पेश करने की जिम्मेदारी कर दाता  की जगह राजस्व विभाग की होगी । 
2.  निश्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए गार की अनुमोदन समिति में एक स्वतंत्र सदस्य शमिल किया जायेगा। इस समिति में एक सदस्य कानून मंत्रालय में सयुक्त सचिव या उसके उच्च पद के अधिकारी होते है ।
3. कोई भी कर दाता अग्रिम निर्देश लेने के लिए जा सकेगा और पता कर सकेगा कि भार के प्रावधानों के अंतर्गत ऐऐआर द्वारा की जाने वाली व्यवस्था की अनुमति है या नहीं । केंद्रीय बजट 2012-13 में  प्रस्तावित गार का उदेश्य और भाषा भी बिलकुल वही है जो डी  टी सी बिल में है  । वित्त विधेयक 2012 में गार को उप -अनुभाग 2A से सेक्शन 90 प्रस्तूत किया गया है  । जिससे भारत  द्वारा हस्ताक्षरित संधियों के  प्रावधानों को अधिभूत किया जा सके । इसको आयकर अधिनियम की 1961 धारा के द्वारा लागु किया जायेगा।
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादातर कम्पनी मारीशस जैसे टैक्स हेवन देशो से अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जरिये धन लाती हैं  । विदेशों से भारत आने वाले धन का एक भाग टैक्स हैवन देशो के सहयोग से भारत में कर अदा करने से बच जाता है क्योकि भारत ने कई देशों से दोहरा कराधान समझोता कर रखा है। गार के माध्यम से ऐसे निवेशकों को कर के दायरे में लाया जा सकता है। जिसके प्रभाव में आने से राजकोष को मजबूत बनाया जा सकेगा और ट्रिपिंग राउंड के माध्यम से काले धन के निवेश को  रोका जा सकेगा ।

गार पर कमेटी का गठन : गार पर आई सी आर आई के प्रमुख पार्थसारथी सोम की अघ्यक्षता वाली कमेटी का गठन किया गया ।इसमें इरडा के पूर्व  अघ्यक्ष एन रंगाचरी , नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक फाईनेंस एंड पोलिसी के प्रोफेसर अजय शाह और वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग में टैक्स पोलिसी एंड लेजिसलेशन विभाग में संयुक्त सचिव सुनील गुप्ता शामिल है

गार पर वित्त मंत्रालय की गाइड लाइंस : वित्त मंत्रालय ने गार यानि जनरल एंटी  अवोइडेंस रूल्स को लेकर नयी गाइड लाइन जारी कर दी है ।इसके अनुसार डबल टैक्सेशन का दुरपयोग करने वाली कम्पनीयों पर नियंत्रण लगाना चाह रही है।इसका निवेशको द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है क्योकि गार के नियमो के मुताबिक अगर  कोई कम्पनी टैक्स चोरी के मामले में पकड़ी गयी तो जिम्मेदार अधिकारियो को जेल और जुर्माना भुगतना पड़ेगा ।

गार किसे प्रभावित करता है:  यह लगभग सभी लोगो को प्रभावित करता है।यदि कर अधिकारी यह निष्कर्ष निकलते है कि निगमों के कर्मचारियों का वेतन सिर्फ इसलिए कम रखा गया है की इन्हें करो से बचने के लिये सरंचित किया जा सके तो उन्हें वेतनों को फिर से नया रूप देकर तय करना होगा। विदेशी संस्थागत निवेशक जो मारीशस जेसे देशो के माध्यम से निवेश कर द्विपक्षीय संधि का फायदा उठाते है गार के प्रयोग में आने से वे प्रभावित होंगे।सरकार के मुताबिक भारत में सामान्य करो की दर का माहोल है इसलिए यह आवश्यक है की सही कर आधार के रूप में वे अति महत्वाकान्छी कर नियोजन की जगह कर के दायरे में आयें। भारत में हर किसी को अपनी आमदनी पर टैक्स देना पड़ता है । जब आम आदमी तय नियमो के अनुसार टैक्स देता है तो विदेशी कंपनी को छुट नहीं दी जा सकती वो भी तब जब ज्यादातर विदेशो से आने वाला धन उन भारतियों का है जिन्होंने अपना काला  धन विदेशो में छिपा रखा है ।  भारतीय  अधिकतर ये धन उन टैक्स हेवन देशों में रखे हुए हैं जिनसे भारत की दोहरी कराधान संधि है। यही कारण है की एंटी अवोइडेंस उपाय जरूरी है। जिससे ये करों के अधीन आ सके।

यद्यपि गार से कई लाभों  को परिलक्षित किया जा सकता है परन्तु वर्तमान समय में क़ुछ प्रावधानों के कारण गार का विरोध किया जा रहा है। इसके तहत कर अधिकारीयों को स्वविवेक से कार्य करने का अधिकार दिया गया है । जिसका दुरपयोग होने की सम्भावना होती है । इन प्रावधानों के तहत अधिकारी को किसी भी कर बचत ,लेन-देन से सम्बंधित प्रश्न पूछने का अधिकार है ।इसके अतरिक्त कार्यवाही के अन्तर्गत स्वयं को निर्दोष सिद्ध करने की जिम्मेदारी करदाता की होगी। 

        सामान्यतः कुछ तथ्य गार की कमियों को दर्शाते है ,परन्तु गार भारतीय राजकोष को मजबूती प्रदान करने तथा टैक्स के सम्बन्ध में समानता स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। अतः कुछ संशोधनों के साथ गार का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए । भारत सरकार ने गार के क्रियान्वयन को कुछ समय के लिए बढ़ा  दिया गया है  तथा इसके प्रावधानों की प्रासंगिकता पर विचार करने के लिए तथा गार के क्रियान्वयन में पारदर्शिता लाने हेतु प्रधानमंत्री द्वारा एक कमेटी का गठन किया है तथा इस कमेटी से यह आशा की जाती है की यह गार मे निहित कमियों का संशोधन कर गार के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त करेंगी।   

- M. Kuldeep

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