गुरुवार, 29 नवंबर 2012

दवा प्रतिरोधी तपेदिक (MDR-और XDR-टीबी)


बहु - दवा प्रतिरोधी तपेदिक (MDR-TB), टीबी का वह प्रकार है जो कम से कम आई एन एच और आरएमपी के लिए प्रतिरोधी है. वे आइसोलेट्स जो टीबी-रोधी दवाओं के किसी और संयोजन के लिए प्रतिरोध को बढ़ाते हैं, लेकिन आईएनएच और आरएमपी के लिए प्रतिरोधी नहीं हैं, उन्हें MDR-TB की श्रेणी में नहीं रखा जाता है.
अक्टूबर 2006 को दी गयी परिभाषा के अनुसार, "बड़े पैमाने पर दवा प्रतिरोधी तपेदिक" (XDR-TB ) को MDR-TB के रूप में परिभाषित किया जाता है जो क्विनोलोन के लिए प्रतिरोधी है और केनामाइसिन, केप्रिओमाइसिन या एमिकासिन में से किसी एक लिए प्रतिरोधी है. XDR-टीबी की पुराने मामले की परिभाषा MDR-TB है जो भी तीन या दूसरी पंक्ति की दवाओं के छह से अधिक वर्गों के लिए प्रतिरोधी है. इस परिभाषा का उपयोग अब नहीं किया जाना चाहिए.
MDR-टीबी और XDR-टीबी दोनों के उपचार के लिए समान सिद्धांत हैं.मुख्य अंतर यह है कि XDR-टीबी में मृत्यु दर MDR-टीबी की तुलना में अधिक होती है, क्योंकि इसमें प्रभावी उपचार के विकल्पों की संख्या कम होती है. XDR-टीबी के महामारी विज्ञान का वर्तमान में अच्छी तरह से अध्ययन नहीं किया गया है, लेकिन यह माना जाता है कि XDR-TB आसानी से स्वस्थ आबादी में संचरित नहीं होता है, लेकिन यह ऐसी आबादी में महामारी का रूप ले सकता है जो पहले से ही एचआईवी से पीड़ित है इसलिए उनमें टीबी के संक्रमण की संभावना अधिक होती है.
MDR-टीबी पूरी तरह से संवेदनशील टीबी के उपचार के दौरान विकसित हो सकता है और ऐसा अक्सर रोगी के द्वारा कोई खुराक न लेने या उपचार पूरा न करने के कारण होता है.
 MDR-टीबी के उपचार
MDR-टीबी का उपचार और निदान संक्रमण के बजाय बहुत कुछ कैंसर से मिलता जुलता है. इसमें मृत्यु दर 80 प्रतिशत तक है, जो कई कारकों पर निर्भर करती है, इन कारकों में शामिल हैं:
·       जीव कितनी दवाओं के लिए प्रतिरोधी है (जितनी कम होंगी उतना बेहतर है)
·       रोगी को कितनी दवाएं दी गयी हैं (पांच या अधिक दवाओं से रोगी का इलाज करना बेहतर है)
·       इंजेक्शन से दी जाने वाली दावा दी गयी है या नहीं (यह कम से कम पहले तीन माह तक दी जानी चाहिए)
·       जिम्मेदार चिकित्सक की विशेषज्ञता और अनुभव
·       रोगी उपचार में कितना सहयोग दे रहा है (उपचार लंबा और कठिन होता है, और इसके लिए रोगी की दृढ़ता और संकल्प की आवश्यकता होती है)
·       रोगी एचआईवी सकारात्मक है या नहीं (साथ में एचआईवी संक्रमण होने से मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है)
·       उपचार की अवधि कम से कम 18 महीने की होती है और इसमें एक साल भी लग एकता है; इसमें शल्य चिकित्सा की आवश्यकता भी पड़ सकती है, हालांकि इष्टतम उपचार के बावजूद मृत्यु दर अधिक होती है.
 उपचार कम से कम 18 माह की अवधि का होता है और इसमें प्रत्यक्ष प्रेक्षण का अवयव उपचार की सफलता को 69 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है.
MDR-टीबी का इलाज ऐसे चिकित्सक से ही लेना चाहिए जो MDR-टीबी के उपचार में अनुभवी हो. विशेषज्ञ केन्द्रों में उपचार लेने वाले रोगियों की तुलना में गैर विशेषज्ञ केन्द्रों में उपचार लेने वाले रोगियों में मृत्यु दर अधिक पाई गयी है.
स्पष्ट जोखिम के आलावा (अर्थात MDR-टीबी के रोगी में ज्ञात जोखिम) अन्य जोखिम भी देखे जाते हैं जैसे पुरुष लिंग, एचआईवी संक्रमण, पहले भी टीबी का हो चुका होना, टीबी का उपचार असफल होना, मानक टीबी के उपचार के लिए प्रतिक्रिया न होना, और टीबी के मानक उपचार के बाद रोग का फिर से हो जाना.
MDR-टीबी का उपचार संवेदनशीलता परीक्षण के आधार पर किया जाना चाहिए: इस जानकारी के बिना ऐसे रोगियों का उपचार असंभव है.
अगर MDR -टीबी के संदिग्ध रोगी का उपचार किया जा रहा है तो रोगी का उपचार प्रयोगशाला संवेदनशीलता परिक्षण के आधार पर SHREZ+MXF+साइक्लोसेरीन के साथ शुरू किया जाना चाहिए.
कुछ देशों में rpoB के लिए एक जीन जांच उपलब्ध है, और यह MDR -टीबी के लिए के उपयोगी मार्कर का काम करता है, क्योंकि आइसोलेटेड आरएमपी प्रतिरोध दुर्लभ है (ऐसी स्थिति को छोड़कर जब रोगी का उपचार पहले कभी केवल रिफाम्पिसिन के साथ किया जा चुका हो.अगर जीन जांच (rpoB ) के परिणाम सकारात्मक आते हैं तो आरएमपी को हटा कर SHEZ+MXF+साइक्लोसेरीन का उपयोग किया जाना चाहिए. MDR-टीबी के संदेह के बावजूद रोगी को INH पर रखने का कारण यह है कि INH टीबी के उपचार में इतनी शक्तिशाली है कि इसे हटाना मुर्खता होगी जब तक इस बात का सूक्ष्मजैविक प्रमाण न मिल जाये कि यह अप्रभावी है.
आइसोनियाज़िड-प्रतिरोध के लिए भी जांच उपलब्ध है (katG और mabA-inhA [61]), लेकिन ये अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हैं.
जब संवेदनशीलता ज्ञात हो जाती है और आइसोलेट को निश्चित रूप से INH और RMP दोनों के लिए प्रतिरोधी पाया जाता है, दवाओं को निम्नलिखित क्रम में चुना जाना चाहिए (ज्ञात संवेदनशीलताओं के आधार पर):
·       एक एमिनोग्लाइकोसाइड (उदाहरण, एमिकासिन, केनामाइसिन) या पॉलीपेप्टाइड एंटीबायोटिक (उदाहरण केप्रिओमाइसिन)
·       PZA
·       EMB
·       एक फ़्लोरोक्विनोलोन: मोक्सीफ्लोक्सासिन को प्राथमिकता दी जाती है (सिप्राफ्लोसासिन का और अधिक इस्तेमाल नहीं किया जाता).
·       रीफाब्युटिन
·       साइक्लोसेरीन
·       एक थायोएमाइड: प्रोथायोनेमाइड या एथोनेमाइड
·       पीएएस
·       एक मेक्रोलाइड: उदाहरण क्लेरीथ्रोमाइसिन
·       लिनेज़ोलिड
·       उंची खुराक INH (प्रतिरोध अगर कम स्तर का हो)
·       इंटरफेरॉन-γ
·       थायोरीडैज़ाइन
·       मेरोपेनेम और क्लावुलेनिक एसिड
दवाओं को सूची में सबसे उपर रखा जाता है क्योंकि वे अधिक प्रभावी और कम विषाक्त हैं; दवाओं को सूची में सबसे नीचे रखा जाता है क्योंकि वे कम प्रभावी और अधिक विषाक्त हैं, या उन्हें प्राप्त करने में कठिनाई होती है.
एक वर्ग के भीतर एक दवा के लिए प्रतिरोध का अर्थ है कि आमतौर पर उस वर्ग में सभी दवाओं के लिए प्रतिरोध होता है, परन्तु रिफाम्पिसिन एक उल्लेखनीय अपवाद है: रिफाम्पिसिन के लिए प्रतिरोध का तात्पर्य हमेशा रीफाब्युटिन से प्रतिरोध नहीं होता और प्रयोगशाला में इसकी जांच के लिए कहा जाता है.दवा के प्रत्येक वर्ग में केवल एक दवा का उपयोग करना ही संभव है.
यदि उपचार के लिए पांच दवाएं ढूंढना मुश्किल है तो चिकित्सक इस बात का अनुरोध कर सकता है कि उच्च स्तरीय INH -प्रतिरोध की जांच की जाये. अगर उपभेद में केवल निम्न स्तर का INH -प्रतिरोध है (प्रतिरोध 1.0 mg/l INH पर, परन्तु 0.2 mg/l INH पर संवेदी) तो INH की उंची खुराक का उपयोग उपचार के एक हिस्से के रूप में किया जा सकता है. दवाओं को जारी रखने के साथ, PZA और इंटरफेरॉन का काउंट शून्य हो जाता है; अर्थात, चार दवाओं के साथ PZA को शामिल करने से, आप पांच करने के लिए एक दवा का चयन और कर सकते हैं. एक से अधिक इंजेक्शन वाली दवा का उपयोग करना संभव नहीं होता (STM, केप्रिओमाइसिन या एमिकासिन), क्योंकि इन दवाओं का विषाक्त प्रभाव थोड़ा बहुत हो सकता है: अगर संभव हो, एमिनोग्लाइकोसाइड्स प्रतिदिन कम से कम तीन महीने के लिए दी जानी चाहिए (और संभवतया इसके बाद सप्ताह में तीन बार). सिप्रोफ्लोक्सासिन का उपयोग ट्यूबरकुलोसिस के उपचार में नहीं किया जाना चाहिए अगर अन्य फ्लोरोक्विनोलोन उपलब्ध हो.
MDR-टीबी में उपयोग के लिए कोई आंतरायिक उपचार नहीं है, परन्तु चिकित्सकीय अनुभव यह है कि सप्ताह में पांच दिन के लिए इंजेक्शन से दी जाने वाली दवाओं (क्योंकि सप्ताहांत पर दवा देने के लिए कोई भी उपलब्ध नहीं होता है) का बुरा परिणाम नहीं होता. प्रत्यक्ष प्रेक्षित थेरेपी निश्चित रूप से MDR -टीबी के परिणामों में सुधार करने में मदद करती है और इसे MDR -टीबी के उपचार का एक अभिन्न हिस्सा माना जाना चाहिए.
उपचार के लिए क्या प्रतिक्रिया हो रही है, इसका पता लगाने के लिए बार बार थूक का कल्चर किया जा सकता है (अगर संभव हो तो हर माह इसे करना चाहिए). MDR-टीबी का उपचार कम से कम 18 महीने के लिए दिया जाना चाहिए और इसे तब तक नहीं रोकना चाहिए जब तक कि रोगी का कल्चर कम से कम नौ महीने के लिए नकारात्मक ना हो जाये. MDR-टीबी के रोगियों में दो साल या अधिक समय के लिए उपचार करना असामान्य नहीं है.
अगर संभव हो तो MDR-टीबी के रोगियों को एक नकारात्मक दबाव के कमरे में अलग रख देना चहिये.
MDR-टीबी के रोगियों को उसी वार्ड में नहीं रखा जाना चाहिए जिसमें प्रतिरक्षादमन के रोगियों (एचआईवी संक्रमित रोगी, या ऐसे रोगी जिन्हें प्रतिरक्षा दमन की दवाएं दी जा रही हैं) को रखा गया है.
MDR-टीबी के प्रबंधन के लिए उपचार के अनुपालन की निगरानी सावधानीपूर्वक की जानी चाहिए (और कुछ चिकित्सक केवल इसीलिए रोगी को अस्पताल में भर्ती करने की सलाह देते हैं). कुछ चिकित्सकों के अनुसार रोगी को तब तक अलग रखना चाहिए जब तक उसका स्मियर नकारात्मक ना हो जाये, या सिर्फ कल्चर नकारात्मक हो जाये (इसमें कई महीनों, यहां तक कि सालों का समय भी लग सकता है). रोगी को कई सप्ताहों या महीनों के लिए अस्पताल में रखना व्यावहारिक रूप से असंभव होता है, और इसका अंतिम फैसला रोगी का उपचार करने वाले चिकित्सक पर निर्भर करता है. चिकित्सक को विषाक्त प्रभाव से बचने के लिए और अनुपालन पर निगरानी रखने के लिए दवाओं का पूर्ण उपयोग (विशेष रूप से एमिनोग्लाइकोसाइड्स) करना चाहिए.
कुछ पूरक ट्यूबरकुलोसिस के उपचार में उपयोगी हो सकते हैं, परन्तु MDR -टीबी की दवाओं को जारी रखने के प्रयोजन के लिए, उनकी गणना शून्य की जाती है. (यदि आपके उपचार में पहले से तीन दवाएं चल रही हैं, तो आर्जिनिन या विटामिन D या दोनों को शामिल करना लाभकारी हो सकता है, लेकिन आपको पांच दवाएं पूरी करने के लिए फिर भी एक दवा की आवश्यकता होती है.
·       आर्जिनिन  (मूंगफली इसका एक अच्छा स्रोत है)
·       विटामिन डी
नीचे सूची में दी गयी दवाओं का उपयोग निराशा के साथ किया जाता है और यह अनिश्चित है कि वे प्रभावी हैं या नहीं. इनका उपयोग तब किया जाता है जब ऊपर दी गयी सूची में पांच दवाओं को ढूंढना संभव नहीं होता.
·       इमिपेनेम
·       को-एमोक्सिक्लेव
·       क्लोफाज़िमाइन
·       प्रोकलोरपेराजाइन
·       मेट्रोनिडाजोल
नीचे दी गयी दवाएं प्रयोगात्मक यौगिक हैं और व्यावसायिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन इन्हें निर्माता से चिकित्सकीय परिक्षण के लिए या क्षतिपूर्ति आधार पर प्राप्त किया जा सकता है. उनकी प्रभावकारिता और सुरक्षा अज्ञात हैं:
·       PA-824 [76] (पेथोजिनेसिस कोरपोरेशन, सिएटल, वाशिंगटन द्वारा विनिर्मित
·       R207910 [77] (कोएन एन्द्रीस एट अल., जॉनसन एंड जॉनसन के तहत विकसित).
MDR -टीबी के उपचार में शल्य चिकित्सा की भूमिका के प्रमाण बढ़ रहें हैं (लोबेकटोमी या न्युमोनेक्टोमी), हालांकि इसे ठीक प्रकार से नहीं बताया गया है कि यह जल्दी की जानी चाहिए या देर से.
आधुनिक समय में, तपेदिक की शल्य चिकित्सा, कई दवाओं से प्रतिरोधी टीबी के प्रबंधन तक ही सीमित है. MDR-टीबी का रोगी जिसका कल्चर कई महीने के उपचार के बाद भी सकारात्मक रहता है, उसमें संक्रमित ऊतक को काटने के लिए लोबेक्टोमी या न्युमोनेक्टोमी का उपयोग किया जाता है. शल्य चिकित्सा के लिए उपयुक्त समय निर्धारित नहीं है, और शल्य चिकित्सा के बाद भी रुग्णता बनी रह सकती है. अमेरिका में एक केंद्र है जिसके पास सबसे ज्यादा अनुभव है. यह केंद्र डेनवर, कोलोराडो में नेशनल ज्यूइश मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर है. 1983 से 2000 तक, इन्होने 172 रोगियों में 180 शल्य चिकित्साएं कीं; इनमें से 98 लोबेक्टोमी थीं, और 82 न्यूमोनेक्टोमी थीं. इसमें 3.3% ऑपरेटिव मृत्यु दर दर्ज की गयी; 6.8% लोग ऑपरेशन के बाद मर गए; 12% में महत्वपूर्ण रुग्णता (विशेष रूप से सांस ना ले पाने की स्थिति) की स्थिति बनी रही 91 रोगी जिनका कल्चर शल्य चिकित्सा से पहले सकारात्मक था, उनमें से 4 का कल्चर शल्य चिकित्सा के बाद भी सकारात्मक आया.
शल्य चिकित्सा के बाद तपेदिक का उपचार करने के बाद भी कुछ जटिलताएं पायीं गयीं जैसे बार बार हिमोपटाईसिस, फुफ्फुस का नष्ट हो जाना या एम्पाइएमा (फुफ्फुसीय गुहा में मवाद का इकठ्ठा हो जाना).
फुफ्फुस के अलावा किसी अन्य अंग के टीबी में, शल्य चिकित्सा अक्सर निदान के लिए आवश्यक होती है (उपचार के लिए नहीं): लसिका पर्वों की सर्जिकल छंटाई, फोड़े में से स्राव, ऊतक बायोप्सी, आदि इसके उदाहरण हैं. टीबी कल्चर के लिए लिए गए नमूनों को निर्जर्मीकृत पात्र में रखकर प्रयोगशाला भेजा जाना चाहिए, ध्यान रखना चाहिए की इसमें कोई बाहरी पदार्थ ना मिल जाये (यहां तक की पानी या सलाइन भी नहीं) और जितना जल्दी हो सके इसे प्रयोगशाला पहुंचा दिया जाना चाहिए. जहां तरल कल्चर की सुविधा उपलब्ध है, निर्जर्मीकृत स्थान से नमूने को सीधे प्रक्रिया स्थान में डाल दिया जाना चाहिए; इससे परिणाम में सुधार आता है. मेरुरज्जु के टीबी में, रीढ़ की हड्डी के अस्थिरता के लिए शल्य चिकित्सा का संकेत दिया जाता है (जब अस्थियों को बहुत अधिक नुकसान पहुंच चूका हो) या जब मेरुरज्जु को ख़तरा हो. टीबी के संग्रह के स्राव की नियमित जांच के संकेत दिए जाते हैं और यह उपयुक्त उपचार में मददगार होते हैं. टीबी मैनिंजाइटिस में, हाइड्रोसिफेलस एक संभावी जटिलता है और इसमें वेंट्रिकुलर को डालने की या स्राव को बंद करने की आवश्यकता हो सकती है.

एथेमब्युटोल का नाम EMB या E है,
आइसोनियाज़िड का नाम INH या H है.
पायराज़ीनामाईड का नाम PZA या Z है,
रिफाम्पिसिन का नाम RMP या R है,
स्ट्रेप्टोमाइसिन का नाम STM या S है

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