अमेरिकी चुनाव की प्रक्रिया
बहुत लंबी होती है। विशेषज्ञों के अनुसार राष्ट्रपति
पद के चुनाव में सालों से केवल
दो ही पार्टियों
डेमोक्रेटिक और रिपब्लिक की ही भूमिका रहती है। अमेरिकी
चुनाव की
शुरुआत प्राथमिक चुनाव से हो
जाती है।प्राथमिक से मतलब है
जब अमेरिका के
दो राजनीतिक दल
रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक
पार्टी राष्ट्रपति पद के
लिए अपने-अपने
उम्मीदवारों का चुनाव
करती हैं, और
फिर आधिकारिक रूप
से अपने उम्मीदवारों
के नाम का
ऐलान करती हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति पद का
चुनाव दो चरणों
में बंटा होता
है, प्राथमिक और
आम चुनाव. विभिन्न
राज्यों में प्राथमिक चुनाव के जरिए
पार्टियां अपने सबसे
प्रबल दावेदार का
पता लगाती हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति
पद के लिये
कोई दो बार
से अधिक चुनाव
नहीं लड़ सकता
और डेमोक्रेटिक पार्टी
की ओर से
मौजूदा राष्ट्रपति बराक ओबामा
के मैदान में
होने के कारण
इस पार्टी की
ओर से कोई
प्राथमिक चुनाव इस बार
नहीं हुए, लेकिन
रिपब्लिकन पार्टी में प्राथमिक चुनाव हुए, जिसमें
मिट रोमनी सबसे
प्रबल दावेदार बनकर
उभरे।
अमेरिका चुनाव में प्राथमिक चुनाव का चरण
पूरा हो चुका
है।प्राथमिक चुनाव को राष्ट्रपति
चुनाव से पूर्व की प्रक्रिया के
रूप में समझा
जा सकता है। इसके तहत रिपब्लिकन
और डेमोक्रेटिक पार्टी
अपने अपने उम्मीदवार
चुनते हैं।इसके
लिए सभी राज्य
अपने अपने तरीकों
से चुनाव कराते
हैं. अमेरिका में प्राथमिक चुनाव भी दो
तरीकों से होता
है, पहला-प्राथमिक,और दूसरा कॉकस।
प्राथमिक तरीका ज्यादा परंपरागत
है और अधिकतकर
राज्यों में इसे
ही अपनाया जाता
है। इसमें आम
नागरिक हिस्सा लेते हैं
और पार्टी को
बताते हैं कि
उनकी पसंद का
उम्मीदवार कौन सा
है।वही, कॉकस
चुनाव प्रक्रिया का
प्रयोग ज्यादतर उन राज्यों
में होता है,
जहां पर पार्टी
के गढ़ होते
हैं। कॉकस में
ज्यादातर पार्टी के पारंपरिक
वोटर ही हिस्सा
लेते हैं. जैसे
इस बारप्राथमिक चुनाव की शुरुआत
कॉकस प्रक्रिया से
हुई थी और
सबसे पहला कॉकस
चुनाव आयोवा प्रांत
में हुआ था।अमेरिका में दो
ही प्रमुख राजनीतिक
दल हैं : डेमोक्रेट
और रिपब्लिक और
1869 से देश का
राष्ट्रपति इन्हीं दो प्रमुख
पार्टियों से रहा
है. कांग्रेस की
535 सीटों में से
533 सीटों पर इन्हीं
दोनों दलों का
कब्जा है। इस
समय सीनेट में
डेमोक्रेट्स का तो
प्रतिनिधि सभा में
रिपब्लिकन का कब्जा
है।
प्रत्येक राज्य के मतदाता
अपने अपने उम्मीदवार
के डेलीगेट के
नाम वोट देते
हैं और फिर
वो डेलीगेट अपनी
अपनी पार्टी नेशनल
कन्वेंशन में एकत्रित
होते हैं और
सभी राज्यों से
जिस प्रत्याशी के
डेलीगेट ज्यादा होते हैं
उसे उम्मीदवार घोषित
कर दिया जाता
है। रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक
पार्टी प्राथमिक चुनाव के
जरिए अपने -अपने
उम्मीदवार चुनते हैं और
पार्टी की नेशनल
कन्वेंशन में आधिकारिक
रूप से अपने
अपने प्रत्याशियों का
ऐलान करते हैं आमतौर पर अमेरिकी
राष्ट्रपति चुनाव का प्राथमिक चुनाव फरवरी से मार्च
के बीच होता
है और फिर
कुछ सप्ताह बाद
ही पार्टियां उम्मीदवार
का ऐलान कर
देती हैं। यहां
से चुनाव प्रचार
शुरू होता है
और फिर चुनाव का दिन आता है,
जो कि सुपर
ट्यूसडे को ही
होता है. सुपर
ट्यूसडे अमेरिकी चुनाव की
परंपरा से जुड़ा
है और ये
नवंबर के पहले
सप्ताह में आता
है। इसी दिन
राष्ट्रपति चुनाव होता है.
जैसे इस बार
6 नवबंर को मंगलवार
के दिन अमेरिकी
राष्ट्रपति चुनाव होगा।जीतने के लिए
किसी भी उम्मीदवार
को कम से
कम 270 वोट की
जरूरत है। बराक
ओबामा देश के
43वें राष्ट्रपति हैं
और अभी तक
का इतिहास बताता
है कि 20 राष्ट्रपति
फिर से राष्ट्रपति
पद पर सत्तासीन
होने में सफल
रहे हैं।प्राथमिक चुनाव यानी अपनी
पार्टी में उम्मीदवारी
की रेस जीतने
के बाद जब
दोनों प्रत्याशी इलेक्शन
डे में आमने
सामने आते हैं
और जनता वोट
देती है। इलेक्शन
डे के मतदान
का तरीका भी
प्राइमरी के जैसा
ही है. जैसे
वहां डेलीगेट चुने
जाते हैं ठीक
वैसे ही इलेक्शन
डे में इलेक्टर्स
चुने जाते हैं.
इसे इलेक्टोरल कॉलेज
कहा जाता है
यानी ऐसा समूह
जिसे अमेरिकी जनता
चुनती है और
फिर वो राष्ट्रपति
की जीत का
ऐलान करते हैं।
उपराष्ट्रपति
इस साल अमेरिका
में 6 नवंबर को
ही राष्ट्रपति पद
के लिए होने
वाले चुनाव में
ही इलेक्टोरल कॉलेज
उपराष्ट्रपति पद के
लिए भी मतदान
करेगा। कोई भी
इलेक्टर दोनों पदों के
लिए एक ही
स्टेट के उम्मीदवारों
को वोट नहीं
दे सकता है।
चुनाव के इस
तरीके से उप
राष्ट्रपति पद के
उम्मीदवार द्वारा राष्ट्रपति पद
के उम्मीदवार को
चुनौती देने की
संभावना खत्म हो
गई। 1804 से पहले
उपराष्ट्रपति का चुनाव
भी इलेक्टोरल कॉलेज
ही करता था,
लेकिन तब अलग-अलग मत
नहीं डाले जाते
थे। तब जिसे
सबसे ज्यादा वोट
मिलते था, वह
राष्ट्रपति बनता था।
दूसरे नंबर पर
रहने वाला व्यक्ति
उपराष्ट्रपति चुना जाता
था।
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