गुरुवार, 26 सितंबर 2013

भारत में पर्यटन

पर्यटन, भारत का सबसे विशाल सेवा उद्योग है। आर्थिक विकास विशेषकर दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए पर्यटन का विशेष महत्‍व है। पर्यटन निम्‍न आय वर्ग और महिलाओं के लिए भी आय के बेहतर स्रोत विकसित करने में सक्षम है।

देश के सकल घरेलू उत्‍पाद में पर्यटन क्षेत्र का प्रत्‍यक्ष योगदान 3.7 प्रतिशत है, जबकि कुल प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष योगदान 6.8 प्रतिशत है। देश के रोजगार में पर्यटन क्षेत्र का प्रत्‍यक्ष योगदान 4.4 प्रतिशत है, जबकि कुल प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष योगदान 10.2 प्रतिशत है। पर्यटन क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जो अकुशल तथा अर्धकुशल श्रमिकों को भी बेहतर रोजगार मुहैया कराता है। महिलाओं को रोजगार मुहैया कराने में इसका विशेष योगदान है। पर्यटन क्षेत्र में कार्यरत कुल श्रमिक बल में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। वैश्विक स्‍तर पर भी अन्‍य क्षेत्रों के मुकाबले पर्यटन क्षेत्र में लगभग दोगुनी संख्‍या में महिलाएं कार्यरत हैं। वैश्विक स्‍तर पर पाँच पर्यटन मंत्रियों में एक मंत्री महिला हैं। इस दृष्टि से पर्यटन क्षेत्र समाज में समानता तथा सामाजिक न्‍याय को समर्थन देने का भी माध्‍यम है।

12वीं पंचवर्षीय योजना में इस बात पर विशेष ध्‍यान दिया गया है कि तेजी से विकसित होते सेवा क्षेत्र के बरक्‍स पर्यटन क्षेत्र में कम-से-कम 12 प्रतिशत की वृद्धि प्राप्‍त की जाए। साथ ही इस पर विशेष बल दिया गया है कि 2004-2009 के बीच घरेलू पर्यटन में होने वाली उच्‍च वृद्धि दर को कायम रखा जाए। पर्यटन क्षेत्र के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर भी योजना में ध्‍यान दिया गया है। यह चुनौतियां हैं- कौशल विकास, आधारभूत-ढांचागत विकास, विपणन तथा ब्रांड प्रोत्‍साहन, उत्‍पादों की व्‍यापक श्रेणी, उत्‍तरदायी पर्यटन, साफ-सफाई एवं स्‍वच्‍छता तथा विभिन्‍न गतिविधियों के बीच सुसंगतता।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए 12वीं पंचवर्षीय योजना में 2.49 करोड़ नए रोजगारों के सृजन का लक्ष्‍य रखा गया है। साथ ही 'हुनर से रोजगार' पहल के अंतर्गत कौशल विकास के लिए कदम उठाये गये हैं। योजना में पर्यटन के अंतर्गत निम्‍न क्षेत्रों पर ध्‍यान दिया जाएगा:-
·        चिकित्‍सा/ स्‍वास्‍थ्‍य पर्यटन को प्रोत्‍साहन देने के लिए योजना
चिकित्‍सा/स्‍वास्‍थ्‍य पर्यटन के लिए विपणन विकास सहायता योजना (एमडीए) के संदर्भ में 22.02.2009 को जारी किये गये दिशा-निर्देशों को पर्यटन मंत्रालय द्वारा संशोधित  किया गया है। एमडीए योजना के अंतर्गत अनुमोदित चिकित्‍सा पर्यटन सेवा प्रदाताओं को वित्‍तीय सहायता मुहैया कराई जाएगी।
समुद्री पर्यटन
समुद्री पर्यटन वैश्विक स्‍तर पर पर्यटन क्षेत्र के अंतर्गत तेजी से विकसित होने वाला आकर्षक क्षेत्र है। शिपिंग मंत्रालय द्वारा 20 जून 2008 को समुद्री शिपिंग नीति का अनुमोदन किया गया। इस नीति का उद्देश्‍य ढांचागत तथा अन्‍य सुविधाओं का विकास करके समुद्री पर्यटन को महत्‍वपूर्ण पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करना था। शिपिंग मंत्रालय के सचिव की अध्‍यक्षता में एक संचालन समिति का गठन किया गया जो समुद्री पर्यटन से संबंधित सभी मामलों के लिए केंद्रीय निकाय के रूप में काम करेगी।

ग्रामीण पर्यटन
पर्यटन के क्षेत्र में संभावित वृद्धि की रणनीति को अमल में लाकर ग्रामीण विकास किया जा सकता है। ग्रामीण विकास की धारणा को विकास का एक मजबूत मंच बनाया जा सकता है जो भारत जैसे देश में बहुत लाभदायक सिद्ध होगी, जहां कुल जनसंख्‍या की लगभग 74 फीसदी आबादी 70 लाख गांव में रहती है। पूरे विश्‍व में औद्योगिकरण और विकास के मद्देनजर शहरीकरण का दृष्टिकोण बढ़ा है। इसके साथ-साथ शहरी जीवन शैली ने केंद्रीय शहरीकरण का रास्‍ता अपना लिया है।

उपरोक्‍त क्षेत्रों के अलावा जिन क्षेत्रों पर विशेष ध्‍यान दिया जाएगा उनमें साहसिक गतिविधियां, जंगल एवं पर्यावरण पर्यटन, एम आई सी ई- सम्‍मेलन गोष्ठियां तथा प्रदर्शनी पर्यटन, फिल्‍म पर्यटन, व्‍यंजन एवं ख‍रीदारी पर्यटन और गोल्‍फ, पोलो तथा खेल पर्यटन शामिल हैं।

पर्यटन मंत्रालय ने भारतीय पर्यटन के विकास के लिए विशेष कदम उठाये हैं। उपरोक्‍त पर्यटन क्षेत्रों पर ध्‍यान देने के अलावा ऐसे पर्यटन क्षेत्रों के विकास पर भी ध्‍यान दिया जाएगा जिनसे लोग कम परिचित हैं। इसके अतिरिक्‍त उत्‍तरदायित्‍व के साथ पर्यटन क्षेत्र के विकास पर भी बल दिया गया है। उत्‍तरदायी पर्यटन के अंतर्गत, टिकाऊ विकास तथा पर्यटन क्षेत्रों की वहन क्षमता पर ध्‍यान दिया जाएगा। साथ ही सुरक्षित और गरिमापूर्ण पर्यटन के विकास पर भी ध्‍यान दिया जाएगा।
भारत पर्यटन विकास निगम का योगदान
भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) अक्‍तूबर 1966 में अस्तित्‍व में आया और इसने देश में पर्यटन के उत्तरोतर विकास, संवर्धन और विस्‍तार में प्रमुख भूमिका निभाई है। व्‍यापक रूप से निगम के मुख्‍य उद्देश्‍य इस प्रकार हैं:- होटलों का निर्माण, वर्तमान होटलों का अधिग्रहण और प्रबंध तथा होटलों, तट-विहारों, ट्रैवर्ल्‍स लॉज/रैस्‍त्रां का विपणन, परिवहन, मनोरंजन, खरीदारी और सम्‍मेलन सेवाएं प्रदान करना। पर्यटक प्रचार सामग्री की प्रस्‍तुति एवं वितरण, भारत तथा विदेश में परामर्श एवं प्रबंधन सेवाएं प्रदान करना। संपूर्ण मनी चेंजर्स (एफएफएमसी), प्रतिबंधित मनी चेंजर्स आदि के रूप में व्‍यवसाय करना तथा पर्यटन विकास और इंजीनियरिंग उद्योग की आवश्‍यकताओं के लिए नवीन एवं विश्‍वसनीय सेवाएं देना।

निगम पर्यटकों के लिए होटल तथा रैस्‍त्रां चला रहा है और साथ ही परिवहन सेवाएं प्रदान कर रहा है। इस समय भारत पर्यटन विकास निगम के नेटवर्क में अशोक होटल समूह के आठ होटल, पाँच संयुक्‍त उद्यम होटल, एक रैस्‍त्रां , 11 परिवहन इकाई, एक पर्यटक सेवा केंद्र, विमानपत्‍तनों एवं समुद्रपत्‍तनों पर नौ शुल्‍क-मुक्‍त दुकानें और दो ध्‍वनि एवं प्रकाश प्रदर्शन शामिल हैं। इसके अलावा निगम की ओर से भरतपुर में एक होटल और कोसी में एक रैस्‍तरां का प्रबंध भी किया जा रहा है। निगम इसके अतिरिक्‍त वैस्‍टर्न कोड, विज्ञान भवन, हैदराबाद हाऊस और शास्‍त्री भवन, नई दिल्‍ली में नेशनल मीडिया प्रेस सेंटर में खान-पान सेवाओं का प्रबंध भी कर रहा है।

राष्‍ट्रीय पर्यटन सलाहकार परिषद की बैठक

केंद्रीय पर्यटन मंत्री के.चिरंजीवी ने हाल ही में कहा कि सैलानियों की सुरक्षा, खासतौर से विदेशी महिला पर्यटकों की सुरक्षा चिंता की बात है। राष्‍ट्रीय पर्यटन सलाहकार परिषद की बैठक की अध्‍यक्षता करते हुए, श्री चिरंजीवी ने कहा कि हाल ही में विदेशी महिला पर्यटकों के साथ दुष्कर्म की कुछ घटनाओं से पर्यटन क्षेत्र में भारत की नकारात्‍मक छवि बनी है। उन्‍होंने कहा कि कानून और व्‍यवस्‍था राज्‍य का विषय है। श्री चिरंजीवी ने कहा कि उन्‍होंने पर्यटकों के लिए सहायक और दोस्‍ताना माहौल बनाने के वास्‍ते सभी मुख्‍यमंत्रियों को प्रभावी कदम उठाने की सलाह दी है।

भारत में पर्यटन क्षेत्र इस बात का प्रमाण है कि पिछले दशक में इस क्षेत्र में संतोषजनक बढ़ोत्‍तरी हुई है। भारत में वर्ष 2012 के दौरान 60 लाख 58 हजार विदेशी पर्यटक आए जबकि 2012 में घरेलू सैलानियों की संख्‍या एक अरब 2 करोड़ 70 लाख आंकी गई थी।

श्री चिरंजीवी ने कहा कि हमें अपने प्रमुख तीर्थस्‍थानों पर भी साधन और सुख-सुविधाओं को बढ़ाने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि पर्यटन मंत्रालय ने उत्‍तराखंड में पर्यटन सुविधाओं के नवीनीकरण और पुनर्निर्माण के वास्‍ते एक सौ करोड़ रूपये के विशेष वित्‍तीय पैकेज को मंजूरी दी है।

पर्यटन क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भूमिका पर श्री चिरंजीवी ने कहा कि कॉरपोरेट और सामाजिक संबंधों के तहत, कॉर्पोरेट सेक्‍टर को खास पर्यटन केंद्रों और स्‍मारकों की देख-रेख करने में सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्‍यकता है।

एक मिसाल कायम करते हुए, भारतीय पर्यटन विकास निगम ने आगे बढ़कर कुतुब मीनार की देख-रेख करने की जिम्‍मेदारी ली है। अब तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने भी आगे कदम बढ़ाते हुए 6 स्‍मारकों- ताजमहल, लाल किला, एलीफेंटा की गुफाओं, एलोरा की गुफाओं, महाबलीपुरम और गोलकुंडा के किले की देखभाल करने का जिम्‍मा लिया है।


श्री चिरंजीवी ने कहा कि अब तक हमने भारत में करीब 120 स्‍मारकों की पहचान की है, जिनकी देख-रेख की जिम्‍मेवारी कॉरपोरेट सेक्‍टर को दी जा सकती है।

बुधवार, 25 सितंबर 2013

अफगानिस्तान की राह पर सीरिया

सीरिया पर सैन्य कार्रवाई का खतरा तो फिलहाल टल गया है, लेकिन अमेरिका और इसके सहयोगी देशों ने रूस के खिलाफ जो छद्म युद्ध छेड़ रखा है, उसका रणक्षेत्र सीरिया बन गया है। आगे सीरियावासियों को और भी भयानक परिणाम झेलने होंगे और इस बात की भी पूरी संभावना है कि यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय आतंकियों का अड्डा बन जाएगा। विडंबना यह है कि सीरिया पर हमला करने के लिए अमेरिका जिस संयुक्त राष्ट्र को दरकिनार करना चाहता था, वही अब सीरिया में रासायनिक हथियारों के शांतिपूर्ण खात्मे में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। सीरिया भी अपने रासायनिक हथियारों के जखीरे को नष्ट करने के लिए तैयार हो गया है, क्योंकि भीषण गृहयुद्ध के दौरान इन हथियारों की सुरक्षा करना एक दुश्कर कार्य बन चुका है। इससे भी बड़ी विडंबना यह है कि जो दो महाशक्तियां अपने रासायनिक हथियारों को 15 साल के अंदर नष्ट करने की संधि तक नहीं कर पाईं, वे ही अब सीरिया में रासायनिक हथियारों को नष्ट करने की आठ माह की समयसीमा तय कर रही हैं। रूस और अमेरिका रासायनिक हथियार संधि के तहत 2012 की तीसरी और अंतिम समयसीमा का पालन नहीं कर पाए हैं। हालांकि इस करार के बाद भी सीरिया के खूनी गृहयुद्ध पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस संघर्ष में सीरिया सरकार को रूस और विद्रोही गुटों को अमेरिका का समर्थन व सहयोग मिल रहा है।

असल में, रूस और अमेरिका अपने ढाई वर्ष पुराने छद्म युद्ध को सीरिया में जारी रखने पर आमादा हैं। सीरिया के गृहयुद्ध में हुई एक लाख मौतों में से अधिकांश विदेशी हथियारों से हुई है, जिन्हें अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस गठजोड़ या रूस ने प्रदान किए हैं। ये देश ही 21 अगस्त को सीरिया में हुए रासायनिक हमले में हुई मौतों पर मगरमच्छी आंसू बहाने में सबसे आगे थे। विद्रोहियों को अमेरिकी हथियारों की आपूर्ति का वित्तापोषण अरब के शेखों ने किया है। कुछ शेख तो अमेरिका से हथियार मंगाकर सीधे सीरियाई विद्रोहियों और स्वतंत्र जिहादियों को दे रहे हैं और इस तरह विद्रोहियों और जिहादियों के बीच के संबंधों को एक तरह से रेखांकित कर रहे हैं।

इस आलोक में अहम सवाल यह है कि सीरिया का भविष्य क्या होगा? क्या उत्तारी सीरिया और इराक के सुन्नी इलाकों में आतंकवाद का एक नया अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनने जा रहा है? और क्या सीरिया की नियति लीबिया, इराक और अफगानिस्तान से इतर होगी, जहां अमेरिकी दखल ने कभी खत्म न होने वाली हिंसा को जन्म दिया है। सीरिया का मुद्दा राष्ट्रपति बशर अल-असद या रासायनिक हथियारों से कहीं व्यापक है। यह अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस के प्रभाव वाले मध्यपूर्व देशों में सुन्नियों और ईरान से लेकर इराक, सीरिया व लेबनान में शियाओं के बीच टकराव से जुड़ा हुआ है। भूमध्य सागर के किनारे सीरिया के तारतस बंदरगाह में पूर्व सोवियत संघ के देशों से बाहर रूस का इकलौता सैन्य अड्डा है। रूस शिया मुसलमानों के संरक्षक के रूप में उभर रहा है। उधर, अमेरिका और इस क्षेत्र की दो पूर्व औपनिवेशिक शक्तियां इंग्लैंड व फ्रांस 1970 में मिस्न के पाला बदलने के बाद से इस क्षेत्र में स्थापित अपने भूराजनीतिक आधिपत्य को कायम रखना चाहती हैं।

पिछले कुछ दशकों से अमेरिका ने सुन्नी इस्लामी शासकों के साथ अपने संबंध प्रगाढ़ किए हैं, इनमें अरब शेख भी शामिल हैं जो मुस्लिम उग्रवादी समूहों और मदरसों का वित्तापोषण करते हैं। वाशिंगटन 11 सितंबर, 2001 के आतंकी हमले के सबक पहले ही भूल चुका है कि उसे दीर्घकालीन सामरिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए न कि अल्पकालिक रणनीतिक जीतों पर। इसका ताजा उदाहरण ओबामा का कुख्यात अफगान तालिबान के साथ मोलभाव के प्रयास हैं।

असद के अधिनायकवादी शासन के खिलाफ जिहादियों को समर्थन देने की ओबामा की नीति ने कट्टरपंथी इस्लामिस्टों के हाथ मजबूत किए हैं। सीआइए समर्थित उपद्रवी गुट फ्री सीरियन आर्मी का स्थान अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा घोषित आतंकी संगठनों अल नुसरा फ्रंट, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक और लेवांत लेते जा रहे हैं। ये संगठन अल-कायदा की विचारधारा से प्रभावित हैं और अपनी पंथिक उत्प्रेरणा तथा युद्ध कौशल में फ्री सीरियन आर्मी से बेहतर सिद्ध हो रहे हैं।

इराक के तर्ज पर सीरिया के विभाजन का खतरा बढ़ गया है। 18 जुलाई को ओबामा के प्रवक्ता जे कार्नी ने घोषणा की थी कि असद फिर से पूरे सीरिया पर हुकूमत नहीं कर पाएंगे। यह संकेतक है कि ओबामा के सैन्य गतिरोध मिशन का अघोषित लक्ष्य सीरिया का विभाजन है। इसमें भी असद को सीरिया का पा‌र्श्व भाग ही मिलने की संभावना है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रेजेंस्की ने स्वीकार किया है कि गतिरोध उनके पक्ष में है। यह पूरे इलाके को परस्पर टकराव में उलझाने की शैतानी चाल है। जैसाकि सीआइए के पूर्व उप निदेशक मिशेल मोरेल ने कहा है कि सीरिया के उत्तार में पहले ही जिहादियों के नियंत्रण को देखते हुए अल-कायदा के उभरने का खतरा पैदा हो गया है। ऐसा पहले अफगानिस्तान में हो चुका है, जब सोवियत संघ से अमेरिका के छद्म युद्ध में कट्टरपंथी ताकतें मजबूत होकर निकली थीं।

असल में, अमेरिका सीरिया के दलदल में धंस चुका है। तेल शेखों द्वारा छद्म युद्ध का खर्चा उठाने के कारण वह उनका कृतज्ञ है। सीआइए से विद्रोहियों को मिलने वाली चोरी-छिपे मदद अब खुलकर दी जाने लगी है। सीरिया पहले ही विदेशी सुन्नी जिहादियों की चुंबक बन गया है, इनमें से कुछ इराक और लेबनान पर हमले कर रहे हैं। जिस प्रकार अफगानिस्तान में अमेरिका ने मुजाहिद्दीन को हथियारबंद किया था, उसी प्रकार सीरिया में अपने प्रतिनिधियों की वफादारी जीतने में असमर्थ सीआइए अब कट्टरपंथीताकतों के साथ अंतरराष्ट्रीय संधियां करने जा रहा है, जो हिंसा को पंथिक औजार के तौर पर इस्तेमाल करने में यकीन रखती हैं।


अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए सीरिया में छद्म युद्ध वास्तव में ईरान को काबू में रखने का बड़ा छद्म युद्ध है। विस्फोटक होते भूराजनीतिक हालात में नागरिकों के विस्थापन और जान-माल के भारी नुकसान को देखते हुए सीरिया का भी अफगानिस्तान सरीखा हश्र होने जा रहा है, जो एक पीढ़ी से क्षेत्रीय अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बना हुआ है और जहां अमेरिका अपना सबसे लंबा सैन्य टकराव खत्म करना चाह रहा है, जो उसके करीब एक हजार अरब डॉलर बर्बाद कर चुका है।

सेंसर बोर्ड की समीक्षा हो

जिस दौर में फिल्में हमारे देश में आम मानस और सामाजिक संस्कृति को ढालने में खास भूमिका निभा रही हों तो समझा जा सकता है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के कंधों पर कितनी बड़ी जिम्मेदारी है। मुद्दा है कि क्या बोर्ड अपेक्षाओं के मुताबिक अपना दायित्व निभा पा रहा है? ऐसा होता तो अक्सर बोर्ड से पास फिल्मों पर विवाद खड़ा नहीं होता और ऐसे मामले अदालतों में नहीं जाते।

यह हाल क्यों है, इसका कुछ संकेत एक फिल्म से पैदा हुए विवाद से मिला है। मुद्दा हाल में आई हिंदी फिल्म ग्रैंड मस्ती का है। शिकायत है कि इसमें अश्लील दृश्य और महिलाओं के प्रति अपमानजनक संवाद हैं। समाज के कई तबकों से फिल्म को प्रतिबंधित करने की मांग उठी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है। इसी संदर्भ में सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष को कुछ नागरिकों ने पत्र लिखा।

इसके जवाब में भेजे अपने ई-मेल में भरतनाट्यम की मशहूर नृत्यांगना और 2011 से बोर्ड अध्यक्ष का पद संभाल रहीं लीला सैमसन ने कहा कि बोर्ड में 90 फीसदी सदस्य अशिक्षित हैं, जो ऐसे फैसले लेते हैं जिनसे बोर्ड के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा हो जाती है और उसे आलोचना झेलनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि 200 सदस्यीय बोर्ड के \'यादातर सदस्य असंवेदनशील, राजनीतिक रूप से महत्वाकांक्षी और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता हैं। इनका चयन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय करता है।

सैमसन के मुताबिक उन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी से अनुरोध किया था कि सेंसर बोर्ड को अपने सदस्यों को नियुक्त करने और उन्हें न्यायिक प्रशिक्षण देने की अनुमति दी जाए, लेकिन तिवारी ने ध्यान नहीं दिया। स्वाभाविक रूप से सैमसन की इस टिप्पणी पर सेंसर बोर्ड के अनेक सदस्य खफा हैं। उन्होंने सैमसन से माफी मांगने को कहा है।


मुमकिन है कि सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष के बेलाग रुख से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भी नाराज हो, लेकिन जरूरत इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की है। मुद्दा है कि क्या सेंसर बोर्ड में राजनीतिक नियुक्तियां उचित एवं वांछित हैं? क्या यह आवश्यक नहीं है कि वहां आधुनिक मूल्यों एवं संवेदनाओं के प्रति जागरूक लोग नियुक्त किए जाएं? बेहतर होगा, इस मुद्दे पर अनावश्यक विवाद खड़ा न किया जाए और सेंसर बोर्ड के ढांचे की गंभीरता से संपूर्ण समीक्षा हो।

मंगलवार, 24 सितंबर 2013

What is Wealth?

In ordinary language, “Wealth” conveys an idea of prosperity and abundance. A man of wealth understood as a rich person. But in Economics Wealth is synonymous with economic goods.

In short, Wealth means anything which has value.

Therefore, three attributes of wealth as in the case of value are utility, scarcity and marketability. Good which is able to satisfy human want, which is scale and must be transferable, is wealth?

It should be noted that

Money is form of wealth. All money is wealth but all wealth is not money.

Income is different than wealth. Wealth yields income.

Wealth and welfare are closely inter-related. Wealth is the means and welfare and end.

Classification of Wealth: Wealth can be classified as


Individual Wealth: Material possession like land, building cash etc.

Personal Wealth: refers to personal qualities like intelligence, skill etc.

Social Wealth: They are things owned by society e.g. building dams, road etc.

National Wealth: They are the natural resources like rivers, climate, oceans etc.

Cosmopolitan Wealth: It is wealth of the whole word. It is a sum total wealth of all nationals.


Negative Wealth: It refers debts owned by individual of Govt.

Concept of Value & Price

Value:

“Value” is an important term which is frequently used in Economics. But in economics it is not used in that sense as we use it in ordinary speech. For instance, when we say, education has a great value, fresh air is always valuable, and it indicates value in use (i.e. utility). But in economics the term “value” is used in the sense of value-in-exchange. Therefore it can be defined as under.

Value of a commodity refers to the goods that can be obtained in exchange for it.

Value of commodity means the commodities or services that we can get in return for it.

It is a purchasing power of a commodity in terms of other commodities and services.

Therefore, three qualifications are essential for a good (commodity) before it can have value.

It muse possesses utility

It must be scarce and

It must be transferable and marketable.

Price:

In Pre historic times, people did not know money and they had a barter system in which goods are exchanged with goods. Therefore, in those days value and price were used synonymously. But now days, goods are exchanged for money. The price of commodity today means its money - Value.


सोमवार, 23 सितंबर 2013

National Project on Climate Resilient Agriculture

Climate Change, caused by the increased concentration of greenhouse gases (GHGs) in the atmosphere, has emerged as the most prominent global environmental problem. Most of the countries including India are facing the problems of rising temperature, melting of glaciers, rising of sea-level leading to inundation of the coastal areas, changes in precipitation patterns leading to increased risk of recurrent droughts and devastating floods, threats to biodiversity, an expansion of pest and a number of potential challenges for public health.

Realizing that the climate change is likely to have major impacts on agriculture, the Government through Indian Council of Agricultural Research (ICAR) has assessed the impact of climate change on Indian agriculture under different scenarios using crop simulation models.

The Indian Council of Agricultural Research (ICAR) has conducted climate change impact analysis on crop yields through various centres in different parts of the country using crop simulation models (INFO-CROP and HAD CM3) for 2020, 2050 and 2080.

The results indicate variability in temperature and rainfall pattern with significant impacts on crop yields. These studies projected reduction in yields of irrigated rice by about 4% in 2020, 7% in 2050 and 10% in 2080.

The Government through Indian Council of Agricultural Research (ICAR) has initiated a network project on ‘National Initiative on Climate Resilient Agriculture’ (NICRA) to enhance resilience of Indian agriculture through Strategic Research on adaptation and mitigation (covering crops, livestock, fisheries and natural resource management), Technology Demonstration, Capacity Building and Sponsored/Competitive Grant Projects.

Objectives:

• To enhance the resilience of Indian agriculture covering crops, livestock  and fisheries to climatic variability and climate change through development and application of improved production and risk management technologies
• To demonstrate site specific technology packages on farmers’ fields for adapting to current climate risks
• To enhance the capacity building of scientists and other stakeholders in climate resilient agricultural research and its application.

XII Five Year Plan objectives related to the project are:

• Strengthening the existing network research on adaptation and mitigation (food crops, horticulture, livestock and fishery) with more infrastructure and capacity building.
• Setting up of high through put phenotyping platforms and temperature, CO2, ozone gradient facilities at identified locations/ institutions including North East region.
• Strengthening research on  climate sensitive crops like cotton, maize, sugarcane, onion, etc. which are critical for India’s farm GDP/exports but not covered in the XI Plan.
• Projected impacts on water availability at the river basin level and participatory action research at large number of sites on evolving coping strategies through water saving technologies.
• Evolving a national level pest and disease monitoring system to assess the changing pest/disease dynamics under changed climate (both in crops and livestock).
• Strengthening crop simulation and climate scenario down-scaling modeling capabilities at major Institutes and a dedicated unit at IARI, New Delhi.
• Piloting the operationalization of the district/block level agromet advisory services through KVKs/district line departments and contingency plans during droughts and floods.

• Expanding the technology demonstration and dissemination to 130 vulnerable districts of the country

Economics utility

The goods satisfy human wants. This want satisfying quality in a good is called Utility. Utility is that quality in a commodity by virtue of which it is capable of satisfying a human want. Air, water (free goods) and food, cloth etc. (economic goods) satisfies people’s wants and hence they possess utility.

In day to day life we use this term in different way but in Economics utility is having a specific meaning. Hence
a) Utility and usefulness are different. For example a poison when we consume it is definitely injurious and hence it never is useful but it satisfies the human want, i.e. the want of person who decides to suicide and hence it possesses utility.

b) Utility is not synonymous with pleasure. A good which possess utility may not give pleasure when. Consumed e.g. a medicine when a patient consumes does not give pleasure since mostly it is bitter. But it possesses utility because it is required to cure from sickness. Thus pleasure is different and utility is different.

c) Utility is subjective means no commodity possesses utility in itself independently of the consumer. It is a consumer’s mind which gives it utility. A literate person may find utility in books, new paper etc. as he is able to read those, but on the contrary an illiterate person never find any utility. Thus utility depends on mans mind rather than on the things itself.

d) Utility varies in different situations. Moreover the same things may possess different utilities for different purposes. For example water has different utilities when it is used for drinking, bathing and washing purposes.

Types of Utility:

From Utility
 Due to change in form there is change in utility, e.g. Wood when transformed into furniture, utility will increase.

Place utility
When goods transported from one place to another place utility can increase. For example apple will fetch more prices in other part of country than in Kashmir and Himachal Pradesh.

Time utility
By storing a commodity and selling it at a time of scarcity, utility can be realized more.


रविवार, 22 सितंबर 2013

National Mission for Green India

The National Mission for a Green India, as one of the eight Missions under the National Action Plan on Climate Change (NAPCC), recognizes that climate change phenomena will seriously affect and alter the distribution, type and quality of natural resources of the country and the associated livelihoods of the people. The Mission (henceforth referred to as GIM) acknowledges the influences that the forestry sector has on environmental amelioration through climate mitigation, food security, water security, biodiversity conservation and livelihood security of forest dependent communities.

The objectives of the mission are three-fold:

• Double the area to be taken up for a forestation/eco-restoration in India in the next 10 years, taking the total area to be afforested or eco-restored to 20 million ha.(i.e., 10 million ha of additional forest/non forest area to be treated by the Mission, in addition to the 10 million ha which is likely to be treated by Forest Department and other agencies through other interventions).
• Increase the GHG removals by India's forests to 6.35% of India's annual total GHG emissions by the year 2020 (an increase of 1.5% over what it would be in the absence of the Mission). This would require an increase in above and below ground biomass in 10 million ha of forests/ecosystems, resulting in increased carbon sequestration of 43 million tons CO2-e annually .
• Enhance the resilience of forests/ecosystems being treated under the Mission enhance infiltration, groundwater recharge, stream and spring flows, biodiversity value, provisioning of services (fuel wood, fodder, timber, NTFPs, etc.) to help local communities adapt to climatic variability.

The Mission targets can be classified as:
2.0 m ha of moderately dense forests show increased cover and density.
4.0 m ha of degraded forests are regenerated/afforested and sustainably managed.
0.10 m ha of mangroves restored/established.
0.10 m ha of wetlands show enhanced conservation status.
0.20 m ha of urban/peri urban forest lands and institutional lands are under tree cover.
1.50 m ha of degraded agricultural lands and fallows are brought under agro-forestry.•  0.10 m ha of corridor areas, critical to wildlife migration are secure.
• Improved fuel wood use efficiency devices adopted in about 10 million households (along with alternative energy devices).
• Biomass/NTFP based community livelihoods are enhanced that lead to reduced vulnerability.

Some key highlights of the Mission strategy are listed below:

1. Holistic view to “greening” (broader than plantations):

The scope of greening will not be limited to just trees and plantations. Emphasis will be placed on restoration of ecosystems and habitat diversity e.g. grassland and pastures (more so in arid/semi-arid regions), mangroves, wetlands and other critical ecosystems. It will not only strive to restore degraded forests, but would also contribute in protection/enhancement of forests with relatively dense forest cover.

2. Integrated cross-sectoral approach to implementation:

The Mission would foster an integrated approach that treats forests and non forest public lands as well as private lands simultaneously, in project units/ sub-landscapes/sub-watersheds. Drivers of degradation e.g. firewood needs and livestock grazing will be addressed using inter sectoral convergence (e.g. livestock, forest, agriculture, rural development, energy etc.)

3. Key role for local communities and decentralized governance:

Local communities will be required to play a key role in project governance and implementation. Gram Sabha and its various committees/groups including JFMCs, CFM groups, Van Panchayats, etc. would be strengthened as institutions of decentralized forest governance. Likewise, the Mission would support revamping/strengthening of the Forest Development Agencies. The Mission would support secured community tenure, capacity building for adaptive forest management and livelihood support activities e.g. community based NTFP enterprises.

4. Vulnerability' and 'Potential' as criteria for intervention:

An overarching criterion for selection of project areas/sub-landscapes/sub-watersheds under the Mission would include vulnerability to climatic change projections and potential of areas for enhancing carbon sinks.

5. Robust and effective monitoring framework:

A comprehensive monitoring framework at four different levels is proposed. In addition to on-ground self- monitoring by multiple agencies, the Mission would support use of modern technology like Remote Sensing with GPS mapping of plot boundaries for monitoring at output/ outcome level. A few identified sites within the project area will be selected for intensive monitoring using additional parameters like ground cover, soil condition, erosion and infiltration, run-off, ground water levels to develop water budgets as well as biomass monitoring indicators. The Mission would also commission a comprehensive research needs assessment in support of Mission aim and objectives. The Mission would set up a cell within Mission Directorate to coordinate REDD Plus activities in the country.

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