बुधवार, 10 अप्रैल 2013

international organisation part-3

 S.No.
International Organizations 
 Headquarter  
  Year of Estblishment
1
Development Policy Management Forum (DPMF)
Nairobi -  Kenya
1995
 2
 Danube Commission 
 
 Hungary
 1948
 3
 - Dutch Language Union (Taalunie) (DLU) 
 The Hague, Netherlands
 1980
 4
East African Community (EAC)
Arusha -  Tanzania

2000
 5
Economic and Monetary Community Of Central Africa (CEMEC)
Bangui -  Central African Republic
1994
 6
Economic and Research Foundation (ESRF)
 Dar es Salaam -  Tanzania
1994
7
Economic Commission For Africa (UNECA)
Addis-Ababa -  Ethiopia
1958
8
Economic Commission For Latin America (CEPAL)
Santiago -  Chile
1948
9
Economic Community of Central African States
 Libreville -  Gabon
1983
10
Economic Community Of West African States (ECOWAS)
Abuja -  Nigeria
1975
11
Economic Cooperation Organization
Tehran -  Iran
1985
12
Economic Justice and Development Organization (EJAD)
Islamabad -  Pakistan
2001
13
Economic Research Institute of ASEAN and East Asia
Jakarta -  Indonesia
2008
14
Emirates Center for Strategic Studies and Research
  Abu Dhabi -  United Arab Emirates
1994
15
Eurasian Economic Community
Moscow -  Russia

2008
16
European Space Agency (ESA)
Paris

1975
17
European Organisation for the Safety of Air Navigation (EUROCONTROL)
Brussels
1963

18
Economic Commission for Latin America and the Caribbean (ECLAC)
Santiago, Chile
1948
19
European Space Research Organization (ESRO)
Paris, France
1964
20
Focus on the Global South
Bangkok , Thailand

1995
21
Foreign Service Institute
Pasay City -  Philippines

1976
 22
 Food And Agriculture Organization (FAO)
 Rome , Italy
1945 
 23
  Group of 8 (G-8) 
 No headquarters (Created by France with a group of 6)
 1975
 24
G77
New York – US

1964
 25
Greater Arab Free Trade Area
 London
1997
 26
Greater Mekong Subregion
Manila
1992
27
Group for the Analysis of Development (GRADE)
Lima -  Peru
1980

 28
Group of 20 (G20)
No Headquarter

2003
 29
Group of 24 (G24)
Washington DC -  USA

1971
 30
Group of 15 (G15)
Geneva -  Switzerland

1989
 31
Group of Rio
Rio di Janiero – Brazil

1986
 32
Gulf Cooperation Council
 Riyadh -  Saudi Arabia

1981
 33
Gulf Research Center UAE - Dubai
Dubai -  United Arab Emirates

2000
 34
Human Sciences Research Council (HSRC)
Pretoria -  South Africa
1968
 35
India-Brazil-South Africa (IBSA) Trilateral
No headquarter
2003
 36
Indian Council for Research on International Economic Relations
New Delhi -  India
1981
 37
Indian Ocean Commission (IOC)
Quatre Bornes -  Mauritius
1984





मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

राष्ट्रीय ई-शासन योजना


पारदर्शी, समयनिष्ठ व परेशानीरहित नागरिक सेवाएँ प्रदान करने के लिए समाज के अंतिम तबके तक सूचना व संचार प्रौद्योगिकी के लाभ पहुँचाने हेतु, भारत सरकार ने 90 के दशक के अंत में देश में ई-शासन योजना का शुभारंभ किया। उसके बाद, केन्द्र सरकार ने भारत में ई-शासन पहल को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NeGP) को मई 18, 2006 को स्वीकृति प्रदान की, जिसमें 27 मिशन मोड परियोजनाएँ (MMPs) और 8 भाग हैं। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (DEIT) तथा प्रशासनिक सुधार व लोक शिकायत विभाग (DAR&PG) ने राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NeGP) का खाका तैयार किया है।

राष्ट्रीय ई-शासन योजना की दृष्टि
नागरिकों तथा व्यवसायियों को शासकीय सेवाएँ प्रदान करने के कार्य में सुधार लाने के उद्देश्य से आरंभ की गयी राष्ट्रीय ई-शासन योजना निम्नलिखित दृष्टि द्वारा मार्गदर्शित है:

"सभी सरकारी सेवाओं को सार्वजनिक सेवा प्रदाता केन्द्र के माध्यम से आम आदमी तक पहुँचाना और आम आदमी की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने लिए इन सेवाओं में कार्यकुशलता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना।"

यह दृष्टि कथन अच्छे शासन को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्राथमिकताओं को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

पहुँच: इस दृष्टि को ग्रामीण जनता की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। आवश्यकता समाज के उन तबकों तक पहुँचने की है जो अभी तक भौगोलिक चुनौतियों तथा जागरूकता की कमी जैसे कारणों से सरकार की पहुँच से लगभग बाहर रहे हैं। राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NeGP) में ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों तक पहुँच के लिए प्रखण्ड स्तर तथा साझा सेवा केन्द्रों तक के सभी सरकारी कार्यालयों को राज्यव्यापी एरिया नेटवर्क (SWAN) द्वारा जोड़ने का प्रावधान है।

साझा सेवा वितरण केन्द्र: वर्तमान में खासकर दूर दराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को किसी सरकारी विभाग या उसके स्थानीय कार्यालय से कोई सेवा लेने के लिए लम्बी दूरी तय करनी पड़ती है। नागरिक सेवाएँ प्राप्त करने में लोगों का काफी समय तथा पैसा खर्च होता है। इस समस्या से निबटने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NeGP) के एक भाग के रूप में यह तय किया गया है कि प्रत्येक छ: गाँव के लिए एक कंप्यूटर तथा इंटरनेट आधारित साझा सेवा केन्द्रों (CSCs) की स्थापना की योजना शुरू की गई है ताकि ग्रामीणजन इन सेवाओं का आसानी से अपने निकटवर्ती केन्द्र से प्राप्त कर सकें। इन साझा सेवा केन्द्रों (CSCs) का उद्देश्य है कभी भी, कहीं भीके आधार पर एकीकृत ऑनलाइन सेवा प्रदान करना।

शासन में सुधार के लिये ई-शासन अपनाना: सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का उपयोग शासन को नागरिकों तक पहुँचने की समर्थता देगा है और जिसके फलस्वरूप शासन में सुधार होगा। इससे विभिन्न शासकीय योजनाओं की निगरानी तथा उसे लागू करना भी सम्भव होगा जिससे शासन की जवाबदेही तथा पारदर्शिता में वृद्धि होगी।

नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार: ई-शासन न्यूनतम मूल्य पर नागरिक केन्द्रित सेवा प्रदान करने के प्रावधान के द्वारा इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा और इसके फलस्वरूप सेवाओं की माँग तथा इन्हें प्राप्त करने में कम समय लगेगा और वह काफ सुविधाजनक भी होगा।

इसलिए, इस दृष्टि का उद्देश्य सुशासन को मज़बूती प्रदान करने के लिए ई-शासन का उपयोग करना है। विभिन्न ई-शासन पहल के ज़रिये लोगों को दी जा रही सेवाएँ, केन्द्र व राज्य सरकारों को अबतक वंचित समाज तक पहुंचने में मदद करेगा। साथ ही, यह समाज के मुख्यधारा से कटे हुए लोगों को शासकीय क्रियाकलापों में भागीदारी के द्वारा उसका सशक्तीकरण होगा जिससे गरीबी में कमी आयेगी होगी तथा सामाजिक व आर्थिक स्तर पर मौज़ूद विषमता में कमी आएगी।

राष्ट्रीय ई-शासन योजना के क्रियान्वयन की रणनीति
अत: राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NeGP) के लिए एक सुगम सोच विकसित गई है जो राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लागू किये गये ई-शासन अनुप्रयोगों के अनुभवों पर आधारित है। राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NeGP) के लिये अपनाये जा रहे तरीके तथा पद्धति में निम्नलिखित तत्व शामिल हैं:

सामूहिक ढाँचा: राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NeGP) के क्रियान्वयन में सामूहिक तथा सहायक सूचना प्रौद्योगिकी ढाँचा तैयार करना शामिल है, जैसे कि- राज्यव्यापी एरिया नेटवर्क, राज्य आँकडा केन्द्र, सामूहिक सेवा केन्द्र तथा इलेक्ट्रॉनिक सेवा वितरण गेटवे।

शासन: राष्ट्रीय ई-शासन योजना के क्रियान्वयन की निगरानी तथा समन्वय के लिए सक्षम प्राधिकारी के निर्देश के अंतर्गत उचित प्रबन्ध किये गये हैं। इस कार्यक्रम में मानक तथा नीतिगत मार्गदर्शिकाएँ तैयार करना, तकनीकी सहायता देना, क्षमता-निर्माण कार्य, अनुसंधान व विकास शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (DEIT) स्वयं तथा नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेन्टर (NIC), स्टैंडर्डाइज़ेशन, टेस्टिंग एंड क्वालिटी सर्टिफिकेशन (STQC), सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (C-DAC), नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्मार्ट गवर्नेंस (NISG) आदि, जैसे संस्थानों का सशक्तीकरण करेगा ताकि वे इन भूमिकाओं को प्रभावी तरीके से निभा सकें।

सामूहिक पहल, विकेन्द्रीकृत क्रियान्वयन:ई-शासन को आवश्यक केन्द्रीय पहल के ज़रिये बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि विकेन्द्रीकृत मॉडल के क्रियान्वयन में वह नागरिक-केन्द्रित हो, विभिन्न ई-शासन अनुप्रयोगों की परस्पर-संचालकता के उद्देश्य को हासिल कर सके तथा सूचना व संचार प्रौद्योगिकी ढांचे एवं संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित हो सके। इसका उद्देश्य यह भी है कि सफलता उन्मुखी परियोजनाओं की पहचान हो सके और जहाँ भी आवश्यक हो, उन्हें आवश्यक फेरबदल के साथ दोहराया जा सके।

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल: इसे वहाँ अपनाया जाना है जहाँ भी सुरक्षा पहलुओं की अनदेखी किये बगैर संसाधनों में वृद्धि सम्भव हो।

संपूर्णात्मक तत्व: एकीकरण को सुचारू बनाने तथा विरोधाभास से बचने के लिये नागरिकों, व्यवसायियों तथा सम्पत्ति के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन कोड को अपनाकर बढ़ावा दिया जाना है।

राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NeGP) के क्रियान्वयन की रूपरेखा
राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NeGP) के लागूकरण में शामिल कई एजेंसियों को देखते हुए तथा राष्ट्रीय स्तर पर उसे जोड़ने की आवश्यकता के चलते राष्ट्रीय ई-शासन योजना को एक कार्यक्रम के रूप में लागू करना तय किया गया है, जिसमें सभी एजेंसी की स्पष्ट रूप से परिभाषित भूमिका तथा जवाबदेही होगी, कार्यक्रम का उचित प्रबन्धन संरचना होगी। इसे सरकार द्वारा पहले ही अनुमोदित किया जा चुका है।

सेवा वितरण के लिए रणनीति
आम आदमी को निर्बाध तथा एकल केन्द्र के माध्यम से सार्वजनिक सेवाएँ प्रदान करने के लिए प्रत्येक राज्य तथा केन्द्र शासित प्रदेश में एक समान डिजिटल सेवा वितरण ढाँचा तैयार किया जा रहा है जिसमें स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (SWAN), स्टेट डाटा सेंटर (SDC), नेशनल व स्टेट सर्विस डिलिवरी गेटवे (NSDG/SSDG), स्टेट पोर्टल एंड कॉमन सर्विसेस सेंटर (CSC) शामिल हैं।

विश्व स्वास्थ्य दिवस


विश्व स्वास्थ्य दिवस विश्व स्वास्थ्य संगठन के तत्वावधान में हर साल इसके स्थापना दिवस पर 7 अप्रैल को पूरी विश्व में मनाया जाता है। इसका मकसद दुनियाभर में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और जनहित को ध्यान में रखते हुए सरकार को स्वास्थ्य नीतियों के निर्माण के लिए प्रेरित करना है।विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरुआत 1950 से हुई। इससे पहले 1948 में 7 अप्रैल को ही डब्ल्यूएचओ की स्थापना हुई थी। उसी साल डब्ल्यूएचओ की पहली विश्व स्वास्थ्य सभा हुई, जिसमें 7 अप्रैल से हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने का फैसला लिया गया।

सन 1948 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अन्य सहयोगी और संबद्ध संस्था के रूप में दुनिया के 193 देशों ने मिल कर स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की नींव रखी थी। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य के स्तर ऊंचा को उठाना है। हर इंसान का स्वास्थ्य अच्छा हो और बीमार होने पर हर व्यक्ति को अच्छे प्रकार के इलाज की अच्छी सुविधा मिल सके। दुनिया भर में पोलियो, रक्ताल्पता, नेत्रहीनता, कुष्ठ, टी.बी., मलेरिया और एड्स जैसी भयानक बीमारियों की रोकथाम हो सके और मरीजों को समुचित इलाज की सुविधा मिल सके, और इन समाज को बीमारियों के प्रति जागरूक बनाया जाए और उनको स्वस्थ वातावरण बना कर स्वस्थ रहना सिखाया जाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्ण स्वस्थ होना ही मानव-स्वास्थ्य की परिभाषा है।

वर्ष 2013 में विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है- उच्च रक्तचाप नियंत्रण एवं उत्तम स्वास्थ्य. रक्तचाप बढ़ने से दिल के दौरे, मष्तिष्क आघात और गुर्दे फेल हो जाने जैसे खतरे होते हैं. विश्व स्वास्थ्य दिवस-2013 का लक्ष्य दिल के दौरों और मस्तिष्क आघात में कमी लाना है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पूरी दुनिया में हर तीन में से एक युवा उच्च रक्तचाप से प्रभावित है और हर वर्ष विश्व-भर में 90 लाख लोगों की इसी वजह से मृत्यु हो जाती है.

पूरे विश्व में आज चिकित्सा जगत अपनी अब तक की उपलब्धियों और भविष्य में एड्स , हेपाटाईटिस , और इन जैसे रोगों के लिए किए जा रहे शोधों , इनके लिए औषधियों के निर्माण आदि पर विचार विमर्श कर रहा होगा । और इन सबसे दूर बैठा भारत अब भी पोलियो के लिए पल्स पोलियो ड्रौप्स पिलाने के लिए बार बार प्रचार के सहारे लोगों की मान मनौव्वल में लगा हुआ जूझ रहा है । और वो भी उस स्थिति में जब आए दिन कोई न कोई इस बात की घोषणा कर जाता है कि बहुत जल्द भारत देश के कुछ अग्रणी देशों में शामिल हो जाएगा ।
 यदि भारत में चिकित्सा क्षेत्र में सफ़लताओं की बात करें तो जो देश आज हौस्पिटल टूरिज़्म की बातें कहता और समझता हो , जाहिर सी बात है कि उसका स्तर , कितना आगे पहुंच चुका है । आज दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश हो जहां भारतीय चिकित्सक अपनी काबलियत का लोहा न मनवा रहे हों । भारत भी अब चेचक, हैजा, एक हद तक पोलियो भी जैसी पुरानी बीमारियों से लगभग निजात पा ही चुका है । गली गली में बडे बडे नर्सिंग होम और अस्पताल खुले हुए है जो अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों और काबिल डाक्टरों से लैस हैं । आज कोई भी ऐसी चिकित्सा पद्धति और औषधि नहीं है जो भारत में न उपलब्ध हो । औषधि निर्माण के लिए भी निरंतर शोध कार्य चलते रहते हैं । किसी भी विकासशील देश के लिए ये गर्व का विषय हो सकता है । किंतु ये मुद्दे का सिर्फ़ एक ही पहलू है ।आज भी बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं से देश का लगभग सारा क्षेत्र ही अछूता है । अच्छे अस्पताल और चिकित्सा व्यवस्था तो दूर अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में डाक्टरों की बहुत कमी है । हालात इतने बदतर हैं कि कई बार सरकार ने ये योजना तक बनाई है कि सभी डाक्टर्स को कुछ समय तक अनिवार्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देनी होगी । गांव तो गांव शहरों में भी जो अच्छी चिकित्सा सुविधा है वो आज इतनी महंगी हो चुकी है कि एक आम आदमी के लिए उसका वहन उठाना मुमकिन नहीं है । और ऐसा इसलिए है क्योंकि कभी समाजसेवा का सच्चा स्वरूप मानी जाने वाली चिकित्सा व्यवस्था आज विशुद्ध व्यवसाय बन चुकी है । सिर्फ़ और सिर्फ़ पैसा कमाने के जुगत में लगे हुए हैं सब । इसीका परिणाम है कि आज देश में डाक्टरों की संख्या से तीन गुना ज्यादा संख्या में झोला छाप डाक्टरों के भरोसे ही गरीबों का ईलाज हो पा रहा है । इस स्थिति को और भी बदतर बनाने में भरपूर सहयोग दे रही हैं नकली दवाईयां । आंकडों की मानें तो आज बाजार में उपलब्ध दवाईयों में से लगभग 30 प्रतिशत दवाईयां नकली हैं । अभी देश की चिकित्सा व्यवस्था खुद ही इतनी बीमार है कि उसे आमूल चूल परिवर्तन की जरूरत है , अन्यथा विश्व स्वास्थ्य दिवस जैसे दिवसों को मनाने का कोई औचित्य नहीं है।
 



सोमवार, 8 अप्रैल 2013

एमसीए21-परियोजना से ई-प्रशासन को बढ़ावा


कंपनी मामलों के मंत्रालय ने देश में कारोबार को सुविधाजनक बनाने के लिए जनवरी 2007 में एमसीए21 नाम से एक बड़ी ई-प्रशासन परियोजना शुरू की। इस परियोजना के अंतर्गत सरकारी सेवाओं के प्रारूप और आपूर्ति में सेवा के नजरिए को प्रमुखता दी गई। इसके परिणामस्‍वरूप इस उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए स्‍थापित ढांचागत व्‍यवस्‍था के माध्‍यम से सभी सम्‍बद्ध पक्षों को किसी भी स्‍थान पर किसी भी समय और उनकी आवश्‍यकताओं के अनुसार मंत्रालय की सेवाएं आसानी से और निश्चित रूप से पहुंचाना संभव हो गया। 
एमसीए21 परियोजना ने नागरिकों और कंपनियों, दोनों को बेहतर सेवाएं उपलब्‍ध कराने की दिशा में लगातार प्रगति की है। चालू वर्ष नई परियोजनाएं शुरू करने, नई ऑपरेटर एजेंसी का चुनाव करने और एक ऑपरेटर की जगह दूसरे ऑपरेटर को अपनाने की दृष्टि से विशिष्‍ट रहा है।

इले‍क्‍ट्रॉनिक विधि से धन हस्‍तांतरण के जरिए ऑनलाइन भुगतान
एमसीए21 परियोजना के अंतर्गत कंपनियां भुगतान के लिए तीन तरीके इस्‍तेमाल करती रही हैं-क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग (5 मनोनीत बैंक) और पेपर चालान। जिन कंपनियों के बैंक खाते इन पाँच मनोनीत बैंकों के अलावा अन्‍य बैंकों में हैं, उन कंपनियों के लिए इन तीनों तरीकों से कठिनाई आती थी और चालान दर्ज करने के लिए मनोनीत बैंकों की शाखाओं तक व्‍यक्तिगत रूप से जाना पड़ता था। भुगतान की राष्‍ट्रीय इलेक्‍ट्रॉनिक धन हस्‍तांतरण प्रणाली (नेफ्ट) से किसी भी बैंक में खाता रखने वाली कंपनियां इस प्रणाली का इस्‍तेमाल करके ई-भुगतान कर सकती हैं।

नेफ्ट के मुख्‍य फायदे
  • भुगतान करने वालों की मेहनत बचती है (उन्‍हें शाखा तक नहीं जाना पड़ता)
  • धन हस्‍तांतरण का समय बचता है (2-5 घंटे)
  • कुछ सीमित बैंकों पर निर्भरता नहीं रहती


सीमित दायित्‍व भागीदारी (एलएलपी) का एमसीए21 प्रणाली के साथ एकीकरण
सीमित दायित्‍व भागीदारी (एलएलपी) की ई-प्रशासन परियोजना को एमसीए के दायरे में लाया गया है। अब एलएलपी फार्मों को भेजने और इनकी मंजूरी का काम एमसीए21 की वेबसाइट (www.mca.gov.in) के माध्‍यम से कि‍या जा रहा है और सभी सम्‍बद्ध पक्षों को एमसीए21 प्रणाली की मौजूदा सुवि‍धाओं का लाभ मि‍ल रहा है।

निदेशक पहचान संख्‍या - नि‍देशक/भागीदार पहचान संख्‍या का एकीकरण
यह महसूस किया गया कि किसी व्‍यक्ति की पहचान निदेशक पहचान संख्‍या (डीआईएन) या नि‍देशक/भागीदार पहचान संख्‍या (डीपीआईएन) के एकीकरण से जुड़ी हुई है, इसलिए यह पहचान उस कंपनी के स्‍वरूप (भागीदारी या लिमिटेड कंपनी) से अलग होनी चाहिए, जिससे व्‍यक्ति जुड़ा हुआ हो। प्रणाली में दो-दो पहचान संख्‍याओं की कठिनाई को समाप्‍त करने के लिए इनका सुविधाजनक एकीकरण किया गया। इससे सभी प्रमुख नियामक संगठनों और कंपनियों को एमसीए21 प्रणाली के जरिए व्‍यक्तिगत जांच करने में मदद मिली है।

निदेशक पहचान संख्‍या ऑनलाइन जारी करना
कंपनी के डायरेक्‍टर को दस्‍तावेजों को फाइल करने और जारी करने का अधिकार होता है। इसके लिए उसे निदेशक पहचान संख्‍या की आवश्‍यकता होती है। इसलिए कंपनियों के लिए निदेशक पहचान संख्‍या प्राप्‍त करना बहुत महत्‍वपूर्ण है, ताकि वे जानकारी ऑनलाइन भेज सकें या किसी सेवा के लिए ऑनलाइन अनुरोध कर सकें।
कंपनी मामलों का मंत्रालय एमसीए21 प्रणाली के जरिए निदेशक पहचान संख्‍या ऑनलाइन जारी करता है और इसे कार्यरत पेशेवरों (कंपनी सेक्रेट्री/चार्टर्ड एकाउंटेंट/सी एंड डब्‍ल्‍यु एकाउंटेंट) के डिजिटल हस्‍ताक्षरों और सत्‍यापन के साथ जारी किया जाता है। इससे कंपनी जगत में बहुत गतिशीलता आई है। फैसला लागू होते ही कंपनियों के लिए  नए निदेशक की नियुक्ति करना या उसे बदलना आसान हो गया है। अब निदेशक पहचान संख्‍या ऑनलाइन कुछ मिनटों में प्राप्‍त की जा सकती है। किसी व्‍यक्ति के पहचान के विवरण की ऑनलाइन जांच के लिए एमसीए21 प्रणाली में पैन संख्‍या (स्‍थायी खाता संख्‍या) के डाटाबेस का भी एकीकरण कर दिया गया है।

एक्‍सबीआरएल फाइलिंग
विवरण फाइल करने और डाटाबेस में नवीनतम जानकारी जोड़ने के काम में अंतरराष्‍ट्रीय मानदण्‍डों का इस्‍तेमाल करने के उद्देश्‍य से कंपनी मामलों के मंत्रालय ने सभी बड़ी कंपनियों के लिए अपने सभी दस्‍तावेज एक्‍सबीआरएल (विस्‍तारित कारोबार रिपोर्टिंग भाषा) प्रारूप में भेजना अनिवार्य कर दिया है। मंत्रालय ने इस परियोजना को समुचित रूप से लागू करने के लिए सभी पणधारियों-सॉफ्टवेयर कंपनियों, परिपालन एजेंसियों, पेशेवरों और कंपनियों को इसमें शामिल किया है। एक्‍सबीआरएल फाइलिंग को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए मंत्रालय द्वारा सीधे या आईआईसीए, आईसीएआई और आईसीएसआई जैसी एजेंसियों के माध्‍यम से प्रशिक्षण और जागरुकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

एक्‍सबीआरएल फाइलिंग के मुख्‍य लाभ
उपयुक्‍त डाटा विवरण चिन्हित होते हैं और विभिन्‍न सरकारी और नियामक एजेंसियां विशिष्‍ट उद्देश्‍यों के लिए आवश्‍यक जानकारी हासिल कर सकती हैं।
यह अंतरराष्‍ट्रीय रिपोर्टिंग मानकों के अनुरूप है, जिससे डाटा की बेहतर तरीके से खोज करने और उपयुक्‍त जानकारी प्राप्‍त करने में मदद मिलती है।
एक्‍सबीआरएल फाइलिंग के लिए इस प्रणाली को 6 अक्‍तूबर 2011 से लागू कर दिया गया है। एक्‍सबीआरएल दस्‍तावेजों के इस्‍तेमाल से वित्‍त वर्ष 2010-11 के लिए 28000 से अधिक कंपनियों ने और वित्‍त वर्ष 2011-12 के लिए 8000 से अधिक कंपनियों ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट फाइल कर दी हैं।
कंपनियों का रजिस्‍ट्रेशन 24 से 48 घंटों में

भारत में किसी कंपनी के पंजीकरण के लिए निम्‍नलिखित बातें जरूरी हैं-
  • निदेशक पहचान संख्‍या प्राप्‍त करना
  • विशिष्‍ट नाम प्राप्‍त करना
  • कंपनी रजिस्‍ट्रार से पंजीकरण प्रमाण-पत्र प्राप्‍त करना
  •  नई कंपनी के पंजीकरण, विशिष्‍ट नाम प्राप्‍त करने और पंजीकरण प्रमाण-पत्र प्राप्‍त करने के लिए पूरी प्रणाली को ऑनलाइन करने और प्रतीक्षा के समय को कम करने के लिए कंपनी मामलों के मंत्रालय के प्रयासों से अब एमसीए21 प्रणाली के जरिए देश में कंपनियों के पंजीकरण का कार्य 24 से 48 घंटों के अंदर करना संभव हो गया है। इस प्रणाली से न केवल प्रतीक्षा के समय में बचत होती है, बल्कि नए नाम जारी करने के समय होने वाली इंसानी गलतियों से भी छुटकारा मिल जाता है।

देशभर के लिए ई-स्‍टॉम्पिंग
अब सभी राज्‍य और केन्‍द्रशासित प्रदेश कंपनी मामलों के मंत्रालय की सेवाओं की ई-स्‍टॉम्पिंग योजना के अंतर्गत आ गए हैं। इससे किसी राज्‍य या केन्‍द्रशासित प्रदेश में पंजीकृत कंपनियां, कंपनी मामलों के मंत्रालय की सेवाओं के लिए ऑनलाइन ई-स्‍टॉम्पिंग सुविधा का लाभ उठा सकती हैं। केन्‍द्र सरकार के विभाग की यह एक प्रमुख पहल है, जिसमें विभिन्‍न राज्‍य सरकारों की ओर से भुगतान ऑनलाइन हासिल किया जाता है और बिना किसी इंसानी दखल के उन राज्‍यों के खाते में पहुंच जाता है। यह प्रयास एक तरह से हरित प्रयास है, जिसमें पेपर स्‍टाम्‍पों की आवश्‍यकता कम हो गई है। विश्‍व बैंक ने किसी संघीय ढांचे में ई-प्रशासन की सफलता की दिशा में इसे एक बहुत बड़ी पहल बताया है।

संशोधन और रिफंड प्रक्रिया
 संशोधन (रिवर्सल) और रिफंड की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। रिफंड प्रक्रिया का उद्देश्‍य इलेक्‍ट्रॉनिक प्रणाली में अनचाहे तौर पर आने वाली रुकावटों के कारण राष्‍ट्रीय धन हस्‍तांतरण प्रणाली के माध्‍यम से हुए कई बार के भुगतान, गलत भुगतान या अधिक भुगतान के मामलों को ठीक करना है।

ऑपरेटर बदलने पर भी एमसीए21 प्रणाली की निरंतरता
एमसीए21 प्रणाली के लिए वर्तमान ऑपरेटर एजेंसी का 6 वर्ष का अनुबंध 16 जनवरी 2013 को समाप्‍त हो गया है और मंत्रालय ने बहुत ही निष्‍पक्ष और पारदर्शी बोली प्रक्रिया के जरिए सफलतापूर्वक नई ऑपरेटर एजेंसी चुनने का काम पूरा कर लिया है। विवरण हस्‍तांतरण के पहले चरण का कार्य 16 जनवरी 2013 को पूरा होने के बाद ऑपरेटर एजेंसी बदलने की प्रक्रिया दूसरे चरण में पहुंच गई है और इसके बाद तीसरा चरण भी पूरा हो गया है।
17 जनवरी 2013 को एमसीए21 परियोजना की निरंतरता को जारी रखने के साथ-साथ इसमें कुछ और प्रणालियां भी जोड़ दी गई हैं, जिनमें नेटवर्क बैंडविड्थ, एसएपी सीआरएम एंड वर्कफ्लो, नवीन टैक्‍नोलॉजी सहित हार्डवेयर और बेहतर निगरानी उपकरण शामिल हैं।
(पत्र सूचना कार्यालय विशेष लेख)

कुल पेज दृश्य