गुरुवार, 17 सितंबर 2015

ग्रामीण पर्यटन

भारत देश ग्रामीण प्रधान अर्थव्यवस्था वाला देश है. भारत में 74 प्रतिशत जनसंख्या लगभग 7 लाख गांवों में बसती है तथा भारतीय गाँवों में ग्रामीण पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं . पर्यटन का वह रूप जो कि ग्रामीण जीवन की कला ,संस्कृति तथा परम्पराओं से सबंधित हो एवं वह आर्थिक व् सामाजिक लाभ के साथ-साथ पर्यटक और स्थानीय लोगों के मध्य पर्यटन को बढ़ावा देने के पारस्परिक अनुभवों को संवाद के रूप में स्थापित करें इसी को हम ग्रामीण पर्यटन के नाम से जानते हैं . ग्रामीण पर्यटन के विभिन्न आधार हैं जैसे- वह स्थान ग्रामीण क्षेत्र में स्थित हो. वहां ग्रामीण कार्यपद्धति जैसे छोटे लघु उधोग , खुला वातावरण , प्राकृतिक सानिध्य , धरोहर , परम्पराएँ , सामाजिक गतिविधियाँ इत्यादि हों. वह क्षेत्र विभिन्न प्रकार की मिश्रित संस्कृति , ग्रामीण परिवेश , इतिहास व् अर्थव्यवस्था को प्रकट करता हो. 

शार्पले और शार्पले के अनुसार यह ग्रामीण पर्यटन 18 वीं शताब्दी के बाद यूरोप में एक जाने -पहचाने क्रिया-कलाप के रूप में उभर कर सामने आया. थामस कुक ने 1863 में स्विट्ज़रलैंड के ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार का पहला पर्यटन अभियान आरम्भ किया तत्पश्चात इस उधोग में अत्यधिक वृद्धि हुई. 20 वीं शताब्दी से ग्रामीण पर्यटन समस्त देशों में बढ़ता चला गया.

भारत में हमें ग्रामीण पर्यटन के कुछ प्रमाण प्राचीन काल में दिखाई देते हैं. जब भगवान राम 14 वर्षों तक विविध स्थानों पर घूमते रहे , इसी प्रकार पांडवों ने भी अज्ञातवास के काल में विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया. महावीर तथा गोतम बुद्ध ने भी विभिन्न गांवों में भ्रमण किया. अतः हम प्राचीन काल मे भी ग्रामीण पर्यटन को इस रूप में भी देख सकते हैं .

भारत में ग्रामीण पर्यटन की केरल , हिमाचल प्रदेश, आँध्रप्रदेश, उत्तराखंड , गुजरात, राजस्थान तथा मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में अपार संभावनाएं दिखाई देती हैं. आज हर राज्य में पर्यटन का अपना स्वतंत्र मंत्रालय है, उसके बहुत से विभाग हैं, निगम हैं, बोर्ड हैं और बाहर निजी क्षेत्र में भी अनगिनत संस्थान और इस उद्यम से जुड़े लाखों लोग हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन बड़े शहरों और ऐतिहासिक-धार्मिक-प्राकृतिक महत्व के स्थलों से जुड़ा यह उद्यम अब लगातार उनके आस-पास के ग्रामीण इलाकों और वहां के ग्रामीण जीवन को अपनी लालसा में लपेटता जा रहा है। उन ग्रामीणों का खान-पान,पहनावा, उनके तीज-त्यौहार और लोकानुरंजन के उत्सव अपने मूल स्वरूप से हटकर उनके आमोद-प्रमोद का हिस्सा होकर एक तरह के पर्यटक बाजार में तब्दील होते जा रहे हैं। शायद यह उसी का परिणाम है कि आज हर बड़े शहर में ऐसे अनोखे गांव और चौखी-अनोखी ढाणियां विकसित हो गई हैं, जो उन्हें शहर में ही गंवई खुलेपन और अपनाने  का आभास देने लगी हैं और ये सैलानियों के आकर्षण का बहुत बड़ा केन्द्र भी बनती जा रही हैं। सुदूर ग्रामीण इलाकों में बने किले, हवेलियां और रावले, जो देखरेख के अभाव में खंडहर होते जा रहे थे, वे अच्छी-खासी हेरिटेज होटल्स और रेस्तराओं में तब्दील होकर कमाई का नायाब जरिया बन गये हैं।

पर्यटन मंत्रालय की क्षमता निर्माण योजना के तहत क्षमता निर्माण गतिविधियों के लिए 2006 से वित्‍तीय सहायता भी दी जा रही है। पंडुरंगा ग्रामीण पर्यटन का हिस्‍सा हैं। उन्‍होंने कहा कि महाराष्‍ट्र में ग्रामीण पर्यटन की 2004 में बारामती जिले में एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में शुरूआत हुई थी। यहां 65 एकड़ के क्षेत्र में बागबानी होती है। उन्‍होंने कहा कि जब शहर से लोग घूमने आते हैं तो रेशम प्रसंस्‍करण इकाइयों, दूध की डेयरी और फलों के बाग भी देखते हैं। ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्‍साहित करने का एक उद्देश्‍य यह भी था कि गांव के लोगों का शहरों में पलायन रोका जा सके। 2004 से महाराष्‍ट्र में ग्रामीण और कृषि पर्यटन के 200 से अधिक केंद्र विकसित हुए हैं और एक लाख से ज्‍यादा पर्यटक यहां घूमने आए हैं। इसके अतिरिक्‍त किसान, गांव के बेरोज़गार युवक भी ग्रामीण पर्यटन की गतिविधियों से जुड़ गए हैं।

राजस्थान एक अन्य राज्य है जहां ग्रामीण पर्यटन पिछले कुछ समय में तेजी से विकसित हुआ है। राजस्थान न केवल अपने ऐतिहासिक स्मारकों और धर्मस्थलों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि अपने शिल्प, नृत्य और संगीत जैसी ललित कलाओं की समृद्धि संस्कृति के लिए भी मशहूर है। मुरारका फाउंडेशन के विजयदीप सिंह के अनुसार उन्होंने न केवल भारतीय पर्यटकों बल्कि अमरीका, फ्रांस, इंग्लैंड और यहां तक कि स्विट्जरलैंड के पर्यटकों के लिए अनेक पैकेज तैयार किए हैं। उन्होंने बताया कि कई पर्यटक स्थानीय जीवन, खानपान और संस्कृति का सीधे तौर पर आनंद लेने के लिए गांव वालों के साथ उनके घर पर ही रुकना चाहते हैं। इस तरह के पैकेज के अंतर्गत पर्यटकों से एक दिन के लिए 1200 रुपए लिए जाते हैं, जिसमें से 850 रुपए किसानों के परिवारों को दे दिए जाते हैं। पर्यटकों के लिए यह कोई महंगा शौक नहीं है और किसान को भी इससे अतिरिक्त आमदनी हो जाती है।

पंजाब में कृषि पर्यटन लोकप्रिय हो चुका है। कोई भी व्यक्ति पीली सरसों के खेतों में घूम फिर सकता है, ट्रैक्टर पर घूम सकता है, मवेशियों को चराने के लिए ले जा सकता है या उन्हें खाना खिला सकता है, हरे भरे खेतों में मक्के की रोटी और साग के साथ छांछ का लुत्फ उठा सकता है, लोकनृत्य भांगड़ा का मजा लेने के साथ स्थानीय शिल्प फुलकारी बनते हुए देखने के अलावा ग्रामीण समुदाय और पंचायत से मिल सकता है। पर्यटक कुश्ती,गिल्ली-डंडा, पतंगबाजी जैसे स्थानीय खेलों में भाग ले सकते हैं या उन्हें देख सकते हैं। बच्चे घास पर उछलकूद करने के साथ-साथ ट्यूबल में नहा सकते हैं। अनेक अन्य राज्य भी ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए हिमाचल में पर्यटकों को वहां कि संस्कृति से रूबरू करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा होम स्टेनाम की योजना प्रारंभ कि गई है इसी प्रकार हरियाणा में ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए फॉर्म हाउस टूरिस्म को विकसित करने कि पहल की गई है. म्हारा गांवोंनामक योजना के द्वारा पर्यटकों को हरियाणा की संस्कृति से जोड़ने की बेहतरीन कोशिश कि जा रही है . सूरजकुंड  में प्रत्येक वर्ष लगने वाला मेला विदेशी पर्यटकों को ग्रामीण परिवेश कि ओर आकर्षित कर रहा है . उत्तराखंड के अल्मोड़ा में ग्रामीण पर्यटन में प्रोत्साहन  के लिए खुबसूरत गावों को ग्राम क्लस्टर योजना से जोड़ने कि बात कि जा रही है .
ग्रामीण पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र भी इस प्रयोग को सफल बनाने के लिए आगे आया है . संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने ग्रामीण पर्यटन के लिए चुने गए स्थानों की विभिन्न विशेषताओं के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो विभिन्न देशों के पर्यटक संचालकों को उपलब्ध कराया गया है .

ग्रामीण पर्यटन के द्वारा अब गांवों में धन आने लागा है तथा गावों के भूले बिसरे स्मारकों कि भी खोज-खबर अब ली जाने लगी है . जो स्मारक तथा धर्मस्थल अब तक उपेक्षित थे अब उनकी भी साज- संभाल की जा रही है . ग्रामीण पर्यटन के द्वारा स्थानीय कलाओं को भी नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं . अनेक ग्रामीण परिवार जहाँ उच्च स्तर की शिल्प कलाएं गुरु शिष्य परम्पराओं के अंतर्गत चली आ रही हैं जिनका अबतक उचित मूल्यांकन नहीं हो पाता था ग्रामीण पर्यटन के द्वारा इन कलाओं को भी महत्व प्राप्त हो रहा है .

2014 विभिन्न राज्यों में घरेलु पर्यटकों की संख्या प्रतिशत में

क्रम संख्या
राज्य
पर्यटकों कि संख्या प्रतिशत में
1
तमिलनाडु
25.6
2
उत्तरप्रदेश
14.3
3
कर्नाटक
9.2
4
महाराष्ट्र
7.3
5
आंध्रप्रदेश
7.3
6
तेलंगाना
5.6
7
मध्यप्रदेश
5.0
8
पश्चिमी बंगाल
3.8
9
झारखण्ड
2.6
10
राजस्थान
2.6

2014 विभिन्न राज्यों में घरेलु पर्यटकों की संख्या प्रतिशत में

1
तमिलनाडु
20.6
2
महाराष्ट्र
19.4
3
उत्तरप्रदेश
12.9
4
दिल्ली
10.3
5
राजस्थान
6.8
6
पश्चिमी बंगाल
6.1
7
केरल
4.1
8
बिहार
3.7
9
कर्नाटक
2.5
10
हरियाणा
2.4


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