बुधवार, 21 नवंबर 2012

सामान्य ज्ञान : भारत में प्रथम



1. बंगाल के प्रथम ब्रिटिश गवर्नर जनरल- वारेन हेस्टिंग्स
2. स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल- लार्ड माउंट बेटन
3. स्वतंत्र भारत के प्रथम कमांडर इन चीफ- रॉय बुचर
4. प्रथम प्रधानमंत्री- जवाहरलाल नेहरू
5. प्रथम राष्ट्रपति- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
6. फील्ड मार्शल- S.H.F.J. मानेकशा
7. भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल- सी. राजगोपालाचारी
8. प्रथम भारतीय आई.सी.एस. अधिकारी- सत्येन्द्र नाथ टैगोर
9. वायसराय एक्जिक्यूटिव कौंसिल के प्रथम भारतीय सदस्य- एस. पी. सिन्हा
10. इंगलिश चैनल को तैर कर पार करने वाले प्रथम भारतीय- मिहिर सेन
11. इंगलिश चैनल को तैर कर पार करने वाली प्रथम भारतीय महिला- मिस आरती साहा
12. माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले प्रथम- तेनजिंग नोरगे
13. बिना ऑक्सीजन के माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले प्रथम पुरुष- फू दोरजी
14. माउंट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाले पुरुष- न्वाँग गोम्बु
15. नोबेल पुरस्कार प्राप्त प्रथम भारतीय- रवीन्द्र नाथ टैगोर
16. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष- W. C. बनर्जी (व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी)
17. प्रथम भारतीय टेस्ट ट्यूब बेबी- दुर्गा (कनुप्रिया अग्रवाल)
18. प्रथम भारतीय टेस्ट ट्यूब बेबी के जन्मदाता वैज्ञानिक- डॉ सुभाष मुखोपाध्याय
19. स्वतंत्र भारत के प्रथम कमांडर इन चीफ- जनरल सर रॉय बुचर
20. स्वतंत्र भारत के प्रथम कमांडर इन चीफ- जनरल के. एम. करिअप्पा
21. प्रथम भारतीय अंतरिक्ष यात्री- स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा
22. दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाले प्रथम भारतीय- कर्नल जतिन्दर कुमार बजाज
23. एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला- बछेन्द्री पाल 23 मई, 1984 को (विश्व की पाँचवी महिला)
24. दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाले प्रथम भारतीय महिला- रीना कौशल धर्मशक्तु
25. उत्तरी ध्रुव पर जाने वाले प्रथम भारतीय- स्क्वाड्रन लीडर संजय थापर
26. भारत में निर्मित प्रथम भारतीय फिल्म (silent film)- राजा हरिश्चन्द्र, 1913 में
27.भारत में निर्मित प्रथम भारतीय फिल्म (silent film) के निर्माण कर्ता- दादा साहेब फाल्के
28. प्रथम भारतीय रंगीन फिल्म- किशन कन्हैया (1937)
29. सिनेमास्कोप फिल्म- कागज के फूल (1959)
30. लाइफ टाइम अचिवमेंट के ऑस्कर पुरस्कार विजेता- सत्यजीत राय (1992)
31. बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन ऑस्कर विजेता- भानु अथैया (1982)
32. भारत के प्रथम वायसराय- लॉर्ड केनिंग
33. भारत की केन्द्र सरकार की प्रथम महिला मंत्री- राजकुमारी अमृत कौर
34. भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री- श्रीमती सुचेतो कृपलानी
35. प्रथम महिला राज्यपाल- श्रीमती सरोजिनी नायडू
36. प्रथम महिला राष्ट्रपति- श्रीमती प्रतिमा पाटिल
37. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष- डॉ एनी बिसेन्ट
38. प्रथम महिला प्रधानमंत्री- श्रीमती इंदिरा गाँधी
39. किसी विधानसभा की प्रथम महिला अध्यक्ष- श्रीमती शन्नो देवी
40. प्रथम मुस्लिम राष्ट्रपति- डॉ जाकिर हुसैन
41. लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष- जी. वी. मावलंकर
42. सुप्रीम कोर्ट की प्रथम महिला न्यायाधीश- मीरा साहिब फातिमा बीवी
43. किसी राज्य के उच्च न्यायालय की प्रथम महिला मुख्य न्यायाधीश- श्रीमती लीला सेठ
44. अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला (अमेरिकन नागरिक)- डॉ कल्पना चावला
45. ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाली प्रथम भारोत्तोलक- कर्णम मल्लेश्वरी देवी (सिडनी, 2000)
46. शतरंज में प्रथम विश्व चैम्पियन भारतीय- विश्वनाथन आनंद
47. भारत का प्रथम कागज रहित समाचार पत्र- द न्यूज टुडे (3 जनवरी, 2001 को शुरू)
48. भारत की प्रथम मर्चेंट नेवी महिला ऑफिसर- सोनाली बनर्जी
49. दलित वर्ग से प्रथम लोकसभा अध्यक्ष- G. M. C. बालयोगी
50. दोहरा शतक बनाने वाली प्रथम भारतीय महिला क्रिकेटर- मिथाली राज (अगस्त 2002 में इंग्लैंड के विरुद्ध)
51. भारत की प्रथम महिला एयर वाईस मार्शल- पी. बंदोपाध्याय
52. संयुक्त राष्ट्र संघ नागरिक पुलिस सलाहकार के रूप में नियुक्त प्रथम भारतीय- किरण बेदी
53. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में नियुक्त प्रथम भारतीय न्यायाधीश- डॉ नागेन्द्र सिंह
54. भारतीय रिजर्व बैंक की उप गवर्नर बनी प्रथम भारतीय महिला- के. जे. उदेशी (10 जून, 2003 में)
55. विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला- अंजू बॉबी जॉर्ज (अगस्त 2003)
56. प्रथम महिला लोकसभा अध्यक्ष- मीरा कुमार
57. प्रथम महिला आईपीएस अधिकारी- किरण बेदी
58. भारत के प्रथम मुख्य न्यायाधीश- हीरालाल जे. कानिया
59. प्रथम विश्व सुन्दरी (मिस वर्ड)- कु. रीता फारिया
60. प्रथम मिस यूनिवर्स- सुस्मिता सेन
61. प्रथम महिला चिकित्सक- कादम्बिनी गांगुली
62. अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट में 100 विकेट लेने वाली प्रथम महिला- डायना एडुलजी
63. भारत की प्रथम महिला विधायक- डॉ. एस. मुधुलक्ष्मी रेड्डी
64. भारत के प्रथम सिक्ख राष्ट्रपति- ज्ञानी जेल सिंह
65. भारत रत्न प्राप्त करने वाली पहली महिला- इंदिरा गाँधी
66. भारत में आने वाला पहला चीनी यात्री- फाह्यान
67. भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री- सरदार वल्लभ भाई पटेल
68. भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
69. नोबेल पुरस्कार प्राप्त प्रथम भारतीय महिला- मदर टेरेसा
70. भारत के प्रथम सिक्ख प्रधानमंत्री- डॉ. मनमोहन सिंह
71. अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रथम भारतीय- अमर्त्य सेन
72. भारत के प्रथम गृहमंत्री- सरदार वल्लभ भाई पटेल
73. भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रथम भारतीय- सी वी रमन
74. चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रथम भारतीय- डॉ हरगोविन्द खुराना
75. भारत का सबसे पहला आम चुनाव 1952 में किया गया
76. भारत में पहली जल विद्युतीय परियोजना : 1902 में कावेरी नदी के पास शिवसमुद्रम
77. भार‍त का पहला प्रदेश जहां महिला न्यायालय बना : आंध्र प्रदेश
78. भारत का पहला नवोदय विद्यालय : नावेगांव-खैरी (नागपुर)
79. 1852 में कराची में भारत की पहली डाक टिकट प्रकाशित की गई
80. भारत की पहली प्रिटिंग प्रेस 1556 में पुर्तगालियों द्वारा गोवा में स्थापित की गई
81. भारत की पहली रेल बांबे से ठाणे के बीच 16 अप्रैल 1853 को चली
82. भारत का पहला रुपए का सिक्का 1542 में शेर शाह सूरी के शासनकाल में ढाला गया
83. भारत की पहली बिना गीत की फिल्म : जेबीएच वाडिया की नौजवान (1937)
84. भारत की प्रथम महिला बैरिस्टर - कार्नेलिया सोराबजी
85. स्नातक तक की पढ़ाई करने वाली प्रथम दो भारतीय महिलाएं - चन्द्रमुखी बसु एवं कादम्बिनी गांगुली।
86. भारत में प्रथम महिला विश्वविद्यालय - 1916 में स्थापित मुम्बई का एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय।
87. भारत की प्रथम व्यावसायिक महिला पायलट - प्रेम माथुर  : 1949 में यह पायलट बनी थीं।
88. एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला - कमलजीत संधू
89. भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त करने वाली प्रथम महिला - प्रिया झिंगन
90. भारतीय वायु सेना में पहली महिला पायलट - हरिता कौर देओल
91. सर्वोच्च न्यायालय में प्रथम महिला न्यायाधीश - एम. फातिमा बीवी
92. माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला - बछेन्द्री पाल
93. कार चालने वाली प्रथम भारतीय महिला - सुजान्ने आर.डी. टाटा

मंगलवार, 20 नवंबर 2012

परमवीर चक्र


परम का मतलब है सर्वोच्च और वीर का अर्थ है बहादुर तथा चक्र का अर्थ है व्हील या मेडल। इसी तरह का एक सम्मान ब्रिटिश आर्मी में भी दिया जाता है। इसका नाम विक्टोरिया क्रॉस है। इसी तरह अमेरिका में सर्वोच्च सैन्य सम्मान है- मेडल ऑफ ऑनर। फ्रेंच सैनिकों को सर्वोच्च वीरता के लिए लेजन ऑफ ऑनर दिया जाता है। परमवीर चक्र सम्मान की शुरुआत भारत के गणतंत्र होने के दिन यानी 26 जनवरी 1950 को हुई। हालांकि इसकी घोषणा 1950 में हुई, लेकिन इसे माना गया आजादी के दिन यानी 15 अगस्त 1947 से। भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न पुरस्कारों में इसका स्थान दूसरे नंबर पर है। भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न है। परमवीर चक्र से नवाजे गए सैनिक को नाम से पहले पीवीसी कहकर पुकारा जाता है। इस सम्मान से नवाजे गए सैनिक को तत्काल तो कुछ धनराशि दी ही जाती है, इसके अलावा पेंशन या फैमिली पेंशन में भी अतिरिक्त राशि की व्यवस्था की जाती है।
रिबैंड बार
यदि कोई परमवीर चक्र विजेता दोबारा शौर्य का परिचय देता है और उसे परमवीर चक्र के लिए चुना जाता है तो इस स्थिति में उसका पहला चक्र निरस्त करके उसे रिबैंड (Riband) दिया जाता है। इसके बाद हर बहादुरी पर उसके 'रिबैंड बार' की संख्या बढ़ाई जाती है। इस प्रक्रिया को मरणोपरांत भी किया जाता है। प्रत्येक रिबैंड बार पर इंद्र के वज्र की प्रतिकृति बनी होती है, तथा इसे रिबैंड के साथ ही लगाया जाता है।
परमवीर चक्र का स्वरूप
भारतीय सेना के रणबांकुरों को असाधारण वीरता दर्शाने पर दिए जाने वाले सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र का डिज़ाइन विदेशी मूल की एक महिला ने किया था और 1950 से अब तक इसके आरंभिक स्वरूप में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
26 जनवरी 1950 को लागू होने के बाद से अब तक 21 श्रेष्ठतम वीरों के अदम्य साहस को गौरवान्वित कर चुके इस पदक की संरचना एवं इस पर अंकित आकृतियां भारतीय संस्कृति एवं दैविक वीरता को उद्धृत करती हैं। भारतीय सेना की ओर से 'मेजर जनरल हीरालाल अटल' ने परमवीर चक्र डिजाइन करने की ज़िम्मेदारी 'सावित्री खालोनकर उर्फ सावित्री बाई' को सौंपी जो मूल रूप से भारतीय नहीं थीं।
स्विट्जरलैंड में 20 जुलाई 1913 को जन्मी सावित्री बाई का मूल नाम 'ईवावोन लिंडा मेडे डे मारोस' था जिन्होंने अपने अभिवावक के विरोध के बावजूद 1932 में भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट के तत्कालीन कैप्टन विक्रम खानोलकर से प्रेम विवाह के बाद हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया था।
मेजर जनरल अटल ने भारतीय पौराणिक साहित्य संस्कृत और वेदांत के क्षेत्र में सावित्री बाई के ज्ञान को देखते हुए उन्हें परमवीर चक्र का डिजाइन तैयार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी। तत्कालीन समय उनके पति भी मेजर जनरल बन चुके थे।

मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) 'इयान कारडोजो' की हालिया प्रकाशित पुस्तक परमवीर चक्र के मुताबिक सावित्री बाई ने भारतीय सेना के भरोसे पर खरा उतरते हुए सैन्य वीरता के सर्वोच्च पदक के डिजाइन के कल्पित रूप को साकार किया। पदक की संरचना के लिए उन्होंने महर्षि दधीचि से प्रेरणा ली जिन्होंने देवताओं का अमोघ अस्त्र बनाने को अपनी अस्थियां दान कर दी थीं जिससे 'इंद्र के वज्र' का निर्माण हुआ था। 


परमवीर चक्र हासिल करनेवाले वीरों की सूची

संख्या
नाम
रेजीमेंट
तिथि
स्थान
टिप्पणी
IC-521
मेजर सोमनाथ शर्मा
चौथी बटालियन, कुमाऊँ रेजीमेंट
3 नवंबर, 1947
बड़गाम, कश्मीर
मरणोपरांत
IC-22356
लांस नायक करम सिंह
पहली बटालियन, सिख रेजीमेंट
13 अक्तूबर, 1948
टिथवाल, कश्मीर
SS-14246
सेकेंड लेफ़्टीनेंट राम राघोबा राणे
इंडियन कार्प्स आफ इंजिनयर्स
8 अप्रैल, 1948
नौशेरा, कश्मीर
27373
नायक यदुनाथ सिंह
पहली बटालियन, राजपूत रेजीमेंट
फरवरी 1948
नौशेरा, कश्मीर
मरणोपरांत
2831592
कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह
छ्ठी बटालियन, राजपूताना राइफल्स
17-18 जुलाई, 1948
टिथवाल, कश्मीर
मरणोपरांत
IC-8497
कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया
तीसरी बटालियन, १गुरखा राइफल्स
5 दिसंबर, 1961
एलिजाबेथ विले, काटंगा, कांगो
मरणोपरांत
IC-7990
मेजर धनसिंह थापा
पहली बटालियन, गुरखा राइफल्स
20 अक्तूबर, 1962
लद्दाख,
JC-4547
सूबेदार जोगिंदर सिंह
पहली बटालियन, सिख रेजीमेंट
23 अक्तूबर, 1962
तोंगपेन ला, नार्थ इस्ट फ्रंटियर एजेंसी, भारत
मरणोपरांत
IC-7990
मेजर शैतान सिंह
तेरहवीं बटालियन, कुमाऊँ रेजीमेंट
18 नवंबर, 1962
रेजांग ला
मरणोपरांत
2639885
कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हामिद
चौथी बटालियन, बाम्बे ग्रेनेडियर्स
10 सितंबर, 1965
चीमा, खेमकरण सेक्टर
मरणोपरांत
IC-5565
लेफ्टीनेंट कर्नल आर्देशिर तारापोर
द पूना हार्स
15 अक्तूबर, 1965
फिलौरा, सियालकोटा सेक्टर, पाकिस्तान
मरणोपरांत
4239746
लांस नायक अलबर्ट एक्का
चौदहवीं बटालियन, बिहार रेजीमेंट
3 दिसंबर, 1971
गंगासागर
मरणोपरांत
10877 F(P)
फ्लाईंग आफिसर निर्मलजीत सिंह शेखो
अठारहवीं स्क्वैड्रन, भारतीय वायुसेना
14 दिसंबर, 1971
श्रीनगर, कश्मीर
मरणोपरांत
IC-25067
लेफ्टीनेंट अरुण क्षेत्रपाल
पूना हार्स
16 दिसंबर, 1971
जरपाल, शकरगढ सेक्टर
मरणोपरांत
IC-14608
मेजर होशियार सिंह
तीसरी बटालियन, बाम्बे ग्रेनेडियर्स
17 दिसंबर, 1971
बसंतार नदी, शकरगढ सेक्टर
JC-155825
नायब सूबेदार बन्ना सिंह
आठवीं बटालियन, जम्मू कश्मीर लाइट इनफेन्ट्री
23 जून, 1987
सियाचिन ग्लेशियर, जम्मू कश्मीर
IC-32907
मेजर रामास्वामी परमेश्वरन
आठवीं बटालियन, मेहर रेजीमेंट
25 नवंबर, 1987
श्रीलंका
मरणोपरांत
IC-56959
लेफ्टीनेंट मनोज कुमार पांडे
प्रथम बटालियन, ग्यारहवीं गोरखा राइफल्स
3 जुलाई, 1999
जुबेर टाप, बटालिक सेक्टर, कारगिल क्षेत्र, जम्मू कश्मीर
मरणोपरांत
2690572
ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव
अठारहवीं बटालियन, द ग्रेनेडियर्स
4 जुलाई, 1999
टाइगर हिल्स, कारगिल क्षेत्र
13760533
राइफलमैन संजय कुमार
तेरहवीं बटालियन, जम्मू कश्मीर राइफल्स
5 जुलाई, 1999
फ्लैट टाप क्षेत्र, कारगिल
IC-57556
कैप्टन विक्रम बत्रा
तेरहवीं बटालियन, जम्मू कश्मीर राइफल्स
6 जुलाई, 1999
प्वाइंट 5140, प्वाइंट 4875, कारगिल क्षेत्र
मरणोपरांत


रविवार, 18 नवंबर 2012

ज्ञानपीठ पुरस्कार



ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है।  भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। पुरस्कार में पांच लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है। 1965 में 1 लाख रुपये की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए इस पुरस्कार को 2005 में 7 लाख रुपए कर दिया गया। 2005 के लिए चुने गए हिन्दी साहित्यकार कुंवर नारायण पहले व्यक्ति थें जिन्हें 7 लाख रुपए का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। उस समय पुरस्कार की धनराशि 1 लाख रुपए थी। देश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में दी जाने वाली राशि को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 11 लाख रूपये कर दिया गया है। 46वां ज्ञानपीठ पुरस्कार कन्नड लेखक चंद्रशेखर कंबर को बेलगाम में प्रदान करते वक्त अपने संबोधन में ज्ञानपीठ के प्रबंध ट्रस्टी आलोक जैन ने घोषणा की कि अगले साल से इस पुरस्कार की राशि 11 लाख रुपये होगी और टाई होने की स्थिति में पहले की तरह पुरस्कार की राशि को आधा-आधा नहीं किया जाएगा, बल्कि दोनों पुरस्कृत लेखकों को पूरी-पूरी राशि प्रदान की जाएगी।

1982 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। यह पुरस्कार बांग्ला को 5 बार, मलयालम को 4 बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को तीन-तीन बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को दो-दो बार मिल चुका है।

22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के मन में यह विचार आया कि साहित्यिक या सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्त्वपूर्ण कार्य किया जाए जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रितमान के अनुरूप हो। इसी विचार के अंतर्गत 16 सितंबर 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ की संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती रमा जैन ने न्यास की एक गोष्ठी में इस पुरस्कार का प्रस्ताव रखा। 2 अप्रैल 1962 को दिल्ली में भारतीय ज्ञानपीठ और टाइम्स ऑफ़ इंडिया के संयुक्त तत्त्वावधान में देश की सभी भाषाओं के 300 मूर्धन्य विद्वानों ने एक गोष्ठी में इस विषय पर विचार किया। इस गोष्ठी के दो सत्रों की अध्यक्षता डॉ वी राघवन और श्रीभगवती चरण वर्मा ने की और इसका संचालन डॉ.धर्मवीर भारती ने किया। इस गोष्ठी में काका कालेलकर, हरेकृष्ण मेहताब, निसीम इजेकिल, डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी, डॉ.मुल्कराज आनंद, सुरेंद्र मोहंती, देवेश दास, सियारामशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, उदयशंकर भट्ट, जगदीशचंद्र माथुर, डॉ. नगेन्द्र, डॉ. बी.आर.बेंद्रे, जैनेंद्र कुमार, मन्मथनाथ गुप्त, लक्ष्मीचंद्र जैन आदि प्रख्यात विद्वानों ने भाग लिया। इस पुरस्कार के स्वरूप का निर्धारण करने के लिए गोष्ठियाँ होती रहीं और 1965 में पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार का निर्णय लिया गया।

चयन प्रक्रिया:

 इस पुरस्कार के चयन प्रक्रिया जटिल है और कई महीनों तक चलती है। प्रक्रिया का आरंभ विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों, अध्यापकों, समालोचकों, प्रबुद्ध पाठकों, विश्वविद्यालयों, साहित्यिक तथा भाषायी संस्थाओं से प्रस्ताव भेजने के साथ होता है। जिस भाषा के साहित्यकार को एक बार पुरस्कार मिल जाता है उस पर अगले तीन वर्ष तक विचार नहीं किया जाता है। हर भाषा की एक ऐसी परामर्श समिति है जिसमें तीन विख्यात साहित्य-समालोचक और विद्वान सदस्य होते हैं। इन समितियों का गठन तीन-तीन वर्ष के लिए होता है। प्राप्त प्रस्ताव संबंधित 'भाषा परामर्श समिति' द्वारा जाँचे जाते हैं। भाषा समितियों पर यह प्रतिबंध नहीं है कि वे अपना विचार विमर्ष प्राप्त प्रस्तावों तक ही सीमित रखें। उन्हें किसी भी लेखक पर विचार करने की स्वतंत्रता है। भारतीय ज्ञानपीठ, परामर्श समिति से यह अपेक्षा रखती है कि संबद्ध भाषा का कोई भी पुरस्कार योग्य साहित्यकार विचार परिधि से बाहर न रह जाए। किसी साहित्यकार पर विचार करते समय भाषा-समिति को उसके संपूर्ण कृतित्व का मूल्यांकन तो करना ही होता है, साथ ही, समसामयिक भारतीय साहित्य की पृष्ठभूमि में भी उसको परखना होता है। अट्ठाइसवें पुरस्कार के नियम में किए गए संशोधन के अनुसार, पुरस्कार वर्ष को छोड़कर पिछले बीस वर्ष की अवधि में प्रकाशित कृतियों के आधार पर लेखक का मूल्यांकन किया जाता है।
भाषा परामर्श समितियों की अनुशंसाएँ प्रवर परिषद के समक्ष प्रस्तुत की जाती हैं। प्रवर परिषद में कम से कम सात और अधिक से अधिक ग्यारह ऐसे सदस्य होते हैं, जिनकी ख्याति और विश्वसनीयता उच्चकोटि की होती है। पहली प्रवर परिषद का गठन भारतीय ज्ञानपीठ के न्यास-मंडल द्वारा किया गया था। इसके बाद इन सदस्यों की नियुक्ति परिषद की संस्तुति पर होती है। प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 3 वर्ष को होता है पर उसको दो बार और बढ़ाया जा सकता है। प्रवर परिषद भाषा परामर्श समितियों की संस्तुतियों का तुलनात्मक मूल्यांकन करती है। प्रवर परिषद के गहन चिंतन और पर्यालोचन के बाद ही पुरस्कार के लिए किसी साहित्यकार का अंतिम चयन होता है। भारतीय ज्ञानपीठ के न्यास मंडल का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होता।

प्रवर परिषद के सदस्य:

वर्तमान प्रवर परिषद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीमल सिंघवी हैं जो एक सुपरिचित विधिवेत्ता, राजनयिक, चिंतक और लेखक हैं। इससे पूर्व काका कालेलकर, डॉ.संपूर्णानंद, डॉ.बी गोपाल रेड्डी, डॉ.कर्ण सिंह, डॉ.पी.वी.नरसिंह राव, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, डॉ.आर.के.दासगुप्ता, डॉ.विनायक कृष्ण गोकाक, डॉ.उमाशंकर जोशी, डॉ.मसूद हुसैन, प्रो.एम.वी.राज्याध्यक्ष, डॉ.आदित्यनाथ झा, श्री जगदीशचंद्र माथुर सदृश विद्वान और साहित्यकार इस परिषद के अध्यक्ष या सदस्य रह चुके हैं।

वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा:

ज्ञानपीठ पुरस्कार में प्रतीक स्वरूप दी जाने वाली वाग्देवी का कांस्य प्रतिमा मूलतः धार, मालवा के सरस्वती मंदिर में स्थित प्रतिमा की अनुकृति है। इस मंदिर की स्थापना विद्याव्यसनी राजा भोज ने 1035 ईस्वी में की थी। अब यह प्रतिमा ब्रिटिश म्यूज़ियम लंदन में है। भारतीय ज्ञानपीठ ने साहित्य पुरस्कार के प्रतीक के रूप में इसको ग्रहण करते समय शिरोभाग के पार्श्व में प्रभामंडल सम्मिलित किया है। इस प्रभामंडल में तीन रश्मिपुंज हैं जो भारत के प्राचीनतम जैन तोरण द्वार (कंकाली टीला, मथुरा) के रत्नत्रय को निरूपित करते हैं। हाथ में कमंडलु, पुस्तक, कमल और अक्षमाला ज्ञान तथा आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि के प्रतीक हैं।

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