रविवार, 28 फ़रवरी 2016

आर्थिक समीक्षा 2015-16

वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढऩे के मद्देनजर सरकार ने शुक्रवार को भारतीय अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर पेश करते हुए कहा कि अगले वित्त वर्ष में विकास दर 7.0 से 7.75 फीसदी के बीच रहेगी तथा अगले कुछ वर्षों में इसके आठ फीसदी के पार पहुंचने की उम्मीद है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2015-16 में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था विकास के पथ पर तेजी से कदम बढ़ा रही है, क्योंकि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार, राजकोषीय मोर्चे पर उठाए जा रहे कदमों और मूल्य स्थिरता पर ध्यान केन्द्रित करने की बदौलत वृहद संवेदनशीलता कम हो गई है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम द्वारा तैयार इस समीक्षा में कहा गया है कि कीमतों के मोर्चे पर नरमी की स्थिति और देश में बाह्य चालू खातों के संतोषजनक स्तर को देखते हुए अगले दो वर्षों में आठ प्रतिशत या उससे ज्यादा की विकास दर हासिल करना अब संभव नजर आ रहा है।
सरकार सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस तरह के तीव्र विकास के लिए जो मौजूदा स्थितियां हैं, उनमें वृहद आर्थिक स्थिरता सहायक साबित हो रही है। समीक्षा में वर्ष 2016-17 के दौरान आर्थिक विकास दर 7 से लेकर 7.75 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
वर्ष 2014-15 में 7.2 प्रतिशत और वर्ष 2015-16 में विकास दर 7.6 प्रतिशत रहने के अनुमान के बाद सात प्रतिशत से ज्यादा की विकास दर ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढऩे वाली बड़ी अर्थव्यवस्था में तब्दील कर दिया है।
इसमें कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान अब और अधिक मूल्यवान हो गया है, क्योंकि चीन फिलहाल अपने को फिर से संतुलित करने में जुटा हुआ है।

 आर्थिक समीक्षा 2015-16 की मुख्य बातें :

·         सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2015-16 में 8.1-8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान
·         वृद्धि दर दहाई अंक के मार्ग पर, आने वाले दिनों में 8-10 प्रतिशत वृद्धि संभव
·         अप्रैल-दिसंबर 2014 के दौरान मुद्रास्फीति में गिरावट का रझान
·         चालू खाते का घाटा 2015-16 के दौरान घटकर करीब एक प्रतिशत पर आ जाएगा
·         राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में 4.1 प्रतिशत रखने का लक्ष्य कायम, आगे इसे जीडीपी के 3 प्रतिशत तक सीमित करने का लक्ष्य
·          राजकोषीय पुनर्गठन के लिए प्रतिबद्धता, राजस्व बढाने के प्रयास पर जोर
·         खाद्यान्न उत्पादन 2014-15 में 25.70 टन रहने का अनुमान, पिछले पांच साल के औसत में 85 लाख टन अधिक हो जाएगा
·         नीति आयोग, 14वां वित्त आयोग राजकोषीय संघवाद को बढ़ाएगा
·          मेक इन इंडिया और स्किलिंग इंडियाके बीच संतुलन बनाने की जरूरत
·         विश्व व्यापार संगठन में सेवा क्षेत्र के समझौते बाजार पहुंच की बाधाएं दूर करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण
·         निवेश बढ़ाने के लिए पीपीपी माडल को जीवंत बनाने की जरूरत
·         विनिर्माण और सेवा क्षेत्र आर्थिक-वृद्धि के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण
·         उपभोक्ता मुद्रास्फीति 2015-16 में 5-5.5 प्रतिशत रहेगी
·         कमतर मुद्रस्फीति से मौद्रिक नीति में उदारता के लिए गुंजाइश बनी
·         बड़े सुधारों के लिए गुंजाइश
·         श्रम, पूंजी, भूमि, बाजार सुधार और कौशल की वृद्धि में मुख्य भूमिका होगी
·         जनधन योजना, आधार, मोबाइल
·         जनाधारमके तेहरे उपाय से गरीबों को बिना लीकेज के कोष हस्तांतरण में मदद मिलेगी
·         मेक इन इंडिया को बढ़ाने के लिए घरेलू उद्योग को सुरक्षा प्रदान करने की जरूरत है
·         ऋण का पैसा निवेश पर लगे न कि सरकारी खर्च पूरा करने पर
·         अप्रैल-जनवरी 2014-15में खाद्य सब्सिडी 20 प्रतिशत बढ़कर 1.08 लाख करोड़ रुपये
·         रेलवे के ढांचे, व्यावसायिक तौर-तरीकों में सुधार और प्रौद्योगिकी में आमूल परिवर्तन। 
·         रेलवे के विकास के लिए अल्पकालिक स्तर पर सार्वजनिक निवेश महत्वपूर्ण लेकिन निजी निवेश का विकल्प नहीं।
·         चालू वित्त वर्ष में और विनिवेश की संभावना।
·         पेट्रोलियम उत्पादों पर अंडर रिकवरी :आयात लागत के कम दाम पर बिक्री से राजस्व हानि: 2014-15 में घटकर 74,664 करोड़ रपए रहने का अनुमान जो वित्त वर्ष 2013-14 में 1.39 लाख करोड़ रपए थी।
·          4डी - डीरेगुलेशन (विनियंत्रण), डिफरेंसिएशन (विभेदीकरण) , डायवर्सिफिकेशन (वैविध्यीकरण), और डिसिंटर (बेहरत रग्ण कंपनी कानून)-से वित्तीय क्षेत्र की वृद्धि बढ़ेगी।
·         जीएसटी के कार्यान्वयन से आर्थिक वृद्धि और निर्यात को बल मिलेगा। 
·         राजकोषीय घाटा, व्यय के लक्ष्यों के लिए मध्यम से दीर्घकालिक राजकोषीय नीति बनाने का सुझाव।
·         वैश्विक जिंस बाजार में 2015 में नरमी बनी रहेगी। 

·         ई-वाणिज्य क्षेत्र में अगले पांच साल में 50 प्रतिशत वृद्धि होगी।

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