गुरुवार, 15 अगस्त 2013

राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान

ग्रामीण शासन और सामाजिक आर्थिक विकास में पंचायतों की भूमिका के महत्व को 1950 के दशक से ही स्वीकार किया जाने लगा था। वर्तमान संदर्भ में समाज कल्याण और समावेशन कार्यक्रमों पर खर्च में वृद्धि को देखते हुए पंचायतों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता अधिक महसूस की जा रही है, क्योंकि कार्यक्रमों का लाभ लोगों तक पहुंचना सुनिश्चित करने, स्थानीय संस्थानों के प्रबंधन में सुधार लाने और जवाबदेही बढ़ाने में पंचायतों की अहम भूमिका है। पंचायतों को समुचित तकनीकी और प्रशासनिक सहायता मुहैया कराने, उनके बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और उन्हें इलेक्ट्रॉनिक दृष्टि से सक्षम बनाने की आवश्यकता है। इतना ही नहीं, सत्ता के हस्तांतरण को प्रोत्साहित करने, पंचायतों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने अर्थात् पंचायतों की लोकतांत्रिक बैठकें नियमित रूप से आयोजित किए जाने, उनसे संबंधित स्थानीय समितियों की समुचित कार्यप्रणाली, ग्राम सभा के स्वैच्छिक प्रकटीकरण और जवाबदेही, उसके खातों का समुचित रख रखाव आदि उपाय अनिवार्य है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान (आरजीपीएसए) नाम का केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम शुरू किया गया है। यह कार्यक्रम 7 मार्च, 2013 को मंजूर किया गया था।

आरजीपीएसए के लक्ष्यों में निम्नांकित शामिल हैं: पंचायतों और ग्राम सभाओं की क्षमता और प्रभावकारिता में बढ़ोतरी लाना; पंचायतों को लोकतांत्रिक निर्णय प्रक्रिया और जवाबदेही की दृष्टि से सक्षम बनाना और उनमें लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना; पंचायतों केे ज्ञान का आधार मजबूत करने और उनकी क्षमता बढ़ाने के लिए संस्थागत ढांचा खड़ा करना; सत्ता के हस्तांतरण और संविधान और पीईएसए कानून की भावना के अनुरूप पंचायतों की जिम्मेदारियों को प्रोत्साहित करना; ग्राम सभाओं को सुदृढ़ करना ताकि वे लोगों की भागीदारी के बुनियादी मंच के रूप मंे कारगर ढंग से काम कर सकें, पंचायत प्रणाली के भीतर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना; जिन क्षेत्रों में पंचायतें नहीं हैं वहां लोकतांत्रिक स्थानीय स्व-शासन का निर्माण और उसे सुदृढ़ करना; और उस संविधानसम्मत फ्रेमवर्क को मजबूत बनाना जिस पर पंचायतों की बुनियाद रखी गई है। 

इस कार्यक्रम में यह ध्यान रखा गया है कि राज्यों की जरूरतें और प्राथमिकताएं अलग-अलग हैं इसलिए राज्य विषयक आयोजना की अनुमति दी जानी चाहिए, जिसमें राज्य स्वीकार्य गतिविधियों के समूह में से अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप चयन कर सकें। इस कार्यक्रम में 20 प्रतिशत से अधिक निधि अधिकार हस्तांतरण और जवाबदेही के मामले में राज्यों के कार्यनिष्पादन से संबंधित है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत धन प्राप्त करने के लिए राज्य संदर्श और वार्षिक योजनाएं तैयार करते हैं। केंद्रीय पंचायत राज मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय संचालन समिति नीति स्तरीय मार्गदर्शन प्रदान करती है जबकि केंद्र सरकार के पंचायती राज सचिव की अध्यक्षता में एक केंद्रीय कार्यकारी समिति कार्यक्रम के कार्यान्वयन पर निगरानी रखती है।

यह योजना सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू है। इसमें वे राज्य भी शामिल हैं जो वर्तमान में संविधान के भाग-9 के अंतर्गत कवर नहीं हैं।

राज्यों को आरजीपीएसए से धन प्राप्त करने के लिए कुछ अनिवार्य शर्तें पूरी करनी होती हैं, जिनमें पंचायतों और भाग-9 में न आने वाले क्षेत्रों में स्थानीय निकायों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग के नियंत्रण और देख-रेख में नियमित चुनाव कराना; पंचायतों और अन्य स्थानीय निकायों में कम से कम एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करना; हर पांच साल में राज्य निर्वाचन आयोग का गठन करना और राज्य विधानमंडल में एसएफसी की सिफारिशों के बारे में कार्य योजना रिपोर्ट पेश करना; और सभी जिलों में जिला आयोजना समितियों का गठन करना, तथा इन समितियों को व्यवहार्य बनाने के लिए दिशा निर्देश/नियम जारी करना शामिल हैं।

उपरोक्त अनिवार्य शर्तें पूरी न करने वाले राज्य आरजीपीएसए के अंतर्गत धन प्राप्त करने के हकदार नहीं हैं।

कार्यक्रम का 20 प्रतिशत धन राज्यों द्वारा भारतीय संविधान में 73वंे संशोधन के प्रावधानों को लागू करने के लिए किए जाने वाले उपायों से सम्बद्ध है। ये उपाय इस प्रकार हैं:- पंचायतों के लिए प्रशासनिक और तकनीकी सहायता प्रदान करने हेतु एक समुचित नीतिगत फ्रेमवर्क तैयार करना; उचित कर/शुल्क आदि सौंपते हुए पंचायतों का वित्तीय आधार मजबूत करना; पंचायतों के लिए मुक्त निधि का प्रावधान और राज्य वित्त आयोग एवं केंद्रीय वित्त आयोग के अनुदान समय पर जारी करना; धन, दायित्वों और पदाधिकारियों का हस्तांतरण सुनिश्चित करना; निचले स्तर पर आयोजना के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करना और उसे संचालित करना तथा जिला आयोजना समितियों के जरिए उसका कन्वर्जेंस यानी अभिसरण करना; स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना और राज्य निर्वाचन आयोगों को स्वायत्त बनाना; पंचायतों के क्षमता निर्माण के लिए संस्थागत ढांचा खड़ा करना, क्षमता निर्माण के लिए उपयुक्त भागीदारों का चयन और क्षमता निर्माण की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार; पंचायतों के कार्य मूल्यांकन की एक प्रणाली स्थापित करना; ग्रामसभाओं को सुदृढ़ करना, महिला सभाओं/वार्ड सभाओं को बढ़ावा देना; उत्तरदायित्व प्रक्रियाओं को संस्थागत रूप देना जैसे सूचना का स्वैच्छिक प्रकटीकरण और इलेक्ट्रॉनिक दृष्टि से सक्षम प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने सहित सामाजिक लेखा परीक्षा; बजटिंग, लेखा और लेखा परीक्षा प्रणाली को सुदृ़ढ़ करना।

आरजीपीएसए के अंतर्गत राज्य योजनाओं में निम्नांकित गतिविधियों को शामिल किया जा सकता है:  ग्राम पंचायत स्तर पर प्रशासनिक और तकनीकी सहायता; ग्राम पंचायत भवनों का निर्माण; क्षमता निर्माण और निर्वाचित प्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों का प्रशिक्षण; राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षण के लिए संस्थागत ढांचा खड़ा करना; पंचायतों को इलेक्ट्रॉनिक दृष्टि से सक्षम बनाना, समुचित राजस्व आधार के साथ पंचातयों में प्रक्रियाओं और कार्यविधियों को मजबूत बनाना; पीईएसए और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में ग्राम सभाओं के लिए विशेष सहायता; कार्यक्रम प्रबंधन; सूचना, शिक्षा, संचार (आईईसी); राज्य निर्वाचन आयोगों को सुदृढ़ बनाना और राज्यों में नवाचार गतिविधियां। इसके अतिरिक्त आरजीपीएसए पंचायती राज को सुदृढ़ बनाने वाली नई परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान करता है तथा पंचायतों को उनके कार्यनिष्पादन के लिए प्रोत्साहन देता है।

पंचायती राज को सुदृढ़ करते हुए राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान के जरिए देश में निचले स्तर पर स्व-शासन को मजबूत बनाने, जवाबदेही बढ़ाने और जन भागीदारी में वृद्धि करने जैसे लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलती है।


(पीआईबी फीचर)

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