गुरुवार, 30 मई 2013

ग्रामीण भंडार योजना

यह सर्वविदित है कि छोटे किसानों की आर्थिक सामर्थ्‍य इतनी नहीं होती कि वे बाजार में अनुकूल भाव मिलने तक अपनी उपज को अपने पास रख सकें। देश में इस बात की आवश्‍यकता महसूस की जाती रही है कि कृषक समुदाय को भंडारण की वैज्ञानिक सुविधाएं प्रदान की जाएं ताकि उपज की हानि और क्षति रोकी जा सके और साथ ही किसानों की ऋण संबंधी जरूरतें पूरी की जा सकें। इससे किसानों को ऐसे समय मजबूरी में अपनी उपज बेचने से रोका जा सकता है जब बाजार में उसके दाम कम हों। ग्रामीण गोदामों का नेटवर्क बनाने से छोटे किसानों की भंडारण क्षमता बढ़ाई जा सकती है। इससे वे अपनी उपज उस समय बेच सकेंगे जब उन्‍हें बाजार में लाभकारी मूल्‍य मिल रहा हो और किसी प्रकार के दबाव में बिक्री करने से उन्‍हें बचाया जा सकेगा। इसी बात को ध्‍यान में रख कर  2001-02 में ग्रामीण गोदामों के निर्माण/जीर्णोद्धार के लिए ग्रामीण भंडार योजना नाम का पूंजी निवेश सब्सिडी कार्यक्रम शुरू किया गया था।

इस कार्यक्रम के मुख्‍य उद्देश्‍यों में कृषि उपज और संसाधित कृषि उत्‍पादों के भंडारण की किसानों की जरूरतें पूरी करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अनुषंगी सुविधाओं के साथ वैज्ञानिक भंडारण क्षमता का निर्माण; कृषि उपज के बाजार मूल्‍य में सुधार के लिए ग्रेडिंग, मानकीकरण और गुणवत्‍ता नियंत्रण को बढ़ावा देना; वायदा वित्‍त व्‍यवस्‍था और बाजार ऋण सुविधा प्रदान करते हुए फसल कटाई के तत्‍काल बाद संकट और दबावों के कारण फसल बेचने की किसानों की मजबूरी समाप्‍त करना; कृषि जिन्‍सों के संदर्भ में राष्‍ट्रीय गोदाम प्रणाली प्राप्तियों की शुरूआत करते हुए देश में कृषि विपणन ढांचा मजबूत करना शामिल है। इसके जरिए निजी और सहकारी क्षेत्र को देश में भंडारण ढांचे के निर्माण में निवेश के लिए प्रेरित करते हुए कृषि क्षेत्र में लागत कम करने में मदद की जा सकती है।

ग्रामीण गोदाम के निर्माण की परियोजना देशभर में व्‍यक्तियों, किसानों, कृषक/उत्‍पादक समूहों,प्रतिष्‍ठानों, गैर सरकारी संगठनों, स्‍वयं सहायता समूहों, कम्‍पनियों, निगमों, सहकारी संगठनों,परिसंघों और कृषि उपज विपणन समिति द्वारा शुरू की जा सकती है।

स्‍थान :

इस कार्यक्रम के अंतर्गत उद्यमी को इस बात की आजादी है कि वह अपने वाणिज्यिक निर्णय के अनुसार किसी भी स्‍थान पर गोदाम का निर्माण कर सकता है। परंतु गोदाम का स्‍थान नगर निगम क्षेत्र की सीमाओं से बाहर होना चाहिए। खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रोन्‍नत फूड पार्कों में बनाए जाने वाले ग्रामीण गोदाम भी इस कार्यक्रम के अंतर्गत सहायता प्राप्‍त करने के पात्र हैं।

आकार :

गोदाम की क्षमता का निर्णय उद्यमी द्वारा किया जाएगा। लेकिन इस कार्यक्रम के अंतर्गत सब्सिडी प्राप्‍त करने के लिए गोदाम की क्षमता 100 टन से कम और 30 हजार टन से अधिक नहीं होनी चाहिए। 50 टन क्षमता तक के ग्रामीण गोदाम भी इस कार्यक्रम के अंतर्गत विशेष मामले के रूप में सब्सिडी के पात्र हो सकते हैं, जो व्‍यवहार्यता विश्लेषण पर निर्भर करेंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में 25 टन क्षमता के आकार वाले ग्रामीण गोदाम भी सब्सिडी के हकदार होंगे।

वैज्ञानिक भंडारण के लिए शर्तें :

कार्यक्रम के अंतर्गत निर्मित गोदाम इंजीनियरी अपेक्षाओं के अनुरूप ढांचागत दृष्टि से मजबूत होने चाहिए और कार्यात्‍मक दृष्‍टि से कृषि उपज के भंडारण के उपयुक्‍त होने चाहिए। उद्यमी को गोदाम के प्रचालन के लिए लाइसेंस प्राप्‍त करना पड़ सकता है, बशर्ते राज्‍य गोदाम अधिनियम या किसी अन्‍य सम्‍बद्ध कानून के अंतर्गत राज्‍य सरकार द्वारा ऐसी अपेक्षा की गई हो। 1000 टन क्षमता या उससे अधिक के ग्रामीण गोदाम केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्‍ल्‍यूसी) से प्रत्‍यायित होने चाहिए।

 ऋण से सम्‍बद्ध सहायता :

इस कार्यक्रम के अंतर्गत सब्सिडी संस्‍थागत ऋण से सम्‍बद्ध होती है और केवल ऐसी परियोजनाओं के लिए दी जाती है जो वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, राज्‍य सहकारी बैंकों,राज्‍य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों, कृषि विकास वित्‍त निगमों, शहरी सहकारी बैंकों आदि से वित्‍त पोषित की गई हों।

कार्यक्रम के अंतर्गत सब्सिडी गोदाम के प्रचालन के लिए कार्यात्‍मक दृष्टि से अनुषंगी सुविधाओं जैसे चाहर दिवारी, भीतरी सड़क, प्‍लेटफार्म, आतरिक जल निकासी प्रणाली के निर्माण, धर्मकांटा लगाने, ग्रेडिंग, पैकेजिंग, गुणवत्‍ता प्रमाणन, वेयरहाउसिंग सुविधाओं सहित गोदाम के निर्माण की पूंजी लागत पर दी जाती है।

वायदा ऋण सुविधा

इन गोदामों में अपनी उपज रखने वाले किसानों को उपज गिरवी रख कर वायदा ऋण प्राप्‍त करने का पात्र समझा जाएगा। वायदा ऋणों के नियम एवं शर्तों, ब्‍याज दर, गिरवी रखने की अवधि,राशि आदि का निर्धारण रिजर्व बैंक/नाबार्ड द्वारा जारी दिशा निर्देशों और वित्‍तीय संस्‍थानों द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्‍य बैंकिंग पद्धतियों के अनुसार किया जाएगा।

सब्सिडी

सब्सिडी की दरें इस प्रकार होंगी :-

क) अजा/अजजा उद्यमियों और इन समुदायों से सम्‍बद्ध सहकारी संगठनों तथा पूर्वोत्‍तर राज्‍यों,पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित परियोजनाओं के मामले में परियोजना की पूंजी लागत का एक तिहाई (33.33 प्रतिशत) सब्सिडी के रूप में दिया जाएगा, जिसकी अधिकतम सीमा 3 करोड़ रुपये होगी।

ख) किसानों की सभी श्रेणियों, कृषि स्‍नातकों और सहकारी संगठनों से सम्‍बद्ध परियोजना की पूंजी लागत का 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी जिसकी अधिकतम सीमा 2.25 करोड़ रुपये होगी।

ग) अन्‍य सभी श्रेणियों के व्‍यक्तियों, कंपनियों और निगमों आदि को परियोजना की पूंजी लागत का 15 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी जिसकी अधिकतम सीमा1.35 करोड़ रुपये होगी।

घ) एनसीडीसी की सहायता से किए जा रहे सहकारी संगठनों के गोदामों के जीर्णोद्धार की परियोजना लागत का 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी।

ड.) कार्यक्रम के अंतर्गत सब्सिडी के प्रयोजन के लिए परियोजना की पूंजी लागत की गणना निम्‍नांकित अनुसार की जाएगी :-

क)   1000 टन क्षमता तक के गोदामों के लिए वित्‍त प्रदाता बैंक द्वारा मूल्‍यांकित परियोजना लागत या वास्‍तविक लागत या रुपये 3500 प्रति टन भंडारण क्षमता की दर से आने वाली लागत, इनमें जो भी कम हो;

ख)  1000 टन से अधिक क्ष्‍ामता वाले गोदामों के लिए  :- बैंक द्वारा मूल्‍यांकित परियोजना लागत या वास्‍तविक लागत या रुपये 1500 प्रति टन की दर से आने वाली लागत, इनमें जो भी कम हो।

वाणिज्यिक/सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा वित्‍त पोषित परियोजनाओं के मामले में सब्सिडी नाबार्ड के जरिए जारी की जाएगी। यह राशि वित्‍तप्रदाता बैंक के सब्सिडी रिजर्व निधि खाते में रखी जाएगी और कर से मुक्‍त होगी।

PTI

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