रविवार, 26 मई 2013

खादी और ग्राम उदयोग आयोग द्वारा रोजगार सृजन


खादी और ग्राम उद्योग आयोग (केवीआईसी) महात्‍मा गांधी के विचारों का प्रचार है। उद्योगों का विकास साधारण चरखे में प्रतिबिंबत किया गया है। महात्‍मा गांधी की प्रेरणा के अधीन भारत की राजनीतिक स्‍वतंत्रता के राष्‍ट्रीय संघर्ष ने ग्रामीण उद्योगों के संरक्षण, सुरक्षा और प्रोत्‍साहन के लिए सहगामी संघर्ष का रूप लिया। मिलों द्वारा तैयार किए गए सस्‍ते उत्‍पादों की असमान प्रतिस्‍पर्द्धा ने ग्रामीण दस्‍तकारों और शिल्‍पकारों के रोजगार और आजीविका के लिए खतरा पैदा कर दिया।

गांधी जी ने जीवन शैली और उपभोग में सादेपन को प्राथमिकता दी। भारतीय विकास के लिए गांधीवादी रणनीति अतिरिक्‍त जनशक्ति के विशाल प्रयोग और उत्‍पादन प्रक्रियाओं में उसकी सक्रिय भागीदारी से संबद्ध थी। गांधीवादी मुहावरे में कुटीर और ग्राम उद्योग जीवन शैली के लिए समर्थन ढांचे का प्रतिनिधित्‍व करते हैं। गांधी जी ने इस विचार का जोरदार समर्थन किया था कि ग्राम उद्योग और शिल्‍प ग्रामीण जीवन का महत्‍वपूर्ण भाग हैं और आत्‍मनिर्भर ग्राम के अस्तित्‍व को सुनिश्चित करने के लिए उसका जोरदार संरक्षण किया जाना चाहिए। वास्‍तव में, यह ब्रिटिश उद्योग के अतिक्रमण के प्रति रक्षा कवच के रूप में प्रतिक्रियात्‍मक दृष्टिकोण था।

असली भारत गांवों में रहता है। भारत की ग्रामीण आबादी का एक बड़ा हिस्‍सा इसकी अर्थव्‍यवस्‍था का एक प्रमुख स्रोत है और यह कुटीर उद्योग द्वारा समर्थित है, जिसने भारत की सांस्‍कृतिक धरोहर को काफी हद तक संरक्षित रखने का काम किया है।

खादी और ग्राम उद्योग आयोग देश में रोजगार पैदा करने की प्रमुख योजनाओं            को  कार्यान्वित कर रहा है। यह क्षेत्र 11वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान 16.07 लाख लोगों को रोजगार प्रदान कर सका है।

प्रधानमंत्री की रोजगार गारंटी कार्यक्रम योजना (पीएमईजीपी) देश में सूक्ष्‍म उद्यमों के जरिए रोजगार के अवसर पैदा करने का एक प्रमुख कारक रहा है। यह ऋण-संबद्ध सब्सिडी कार्यक्रम है, जिसमें सामान्‍य वर्ग के लाभार्थी ग्रामीण क्षेत्रों में परियोजना लागत के 25 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 15 प्रतिशत की सब्सिडी मार्जिन राशि प्राप्‍त कर सकते हैं। इसके अलावा विशेष वर्गों यथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्‍य पिछड़े वर्ग, अल्‍पसंख्‍यक, महिलाएं, भूतपूर्व सैनिक, शारीरिक रूप से विकलांग, पूर्वोत्‍तर क्षेत्र, पर्वतीय और सीमावर्ती क्षेत्रों से संबंध रखने वाले लाभार्थियों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सब्सिडी की मार्जिन राशि 35 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत है। विनिर्माण क्षेत्र में परियोजना की सर्वाधिक राशि 25 लाख रूपये और सेवा क्षेत्र में दस लाख रूपये है।

इस योजना की बेरोजगार लोगों में और प्रमुख कार्यान्‍वयन भागीदार यथा बैंकों, विशेष रूप से पूर्वोत्‍तर राज्‍यों और जम्‍मू कश्‍मीर राज्‍य में उत्‍साहवर्धक प्रतिक्रिया रही है। वर्ष 2011-12 के दौरान पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के लिए निर्धारित मार्जिन राशि 80 करोड़ रूपये रखी गई थी लेकिन 31 मार्च 2012 तक वास्‍तविक वितरण एक सौ एक करोड़ रूपये यानी लक्ष्‍य का 126 प्रतिशत के आंकड़े तक पहुंच गया है।

समूह विकास के लिए परम्‍परागत उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए धन उपलब्‍ध कराने की योजना ने भी परम्‍परागत उद्योगों को पुनर्जीवित करने और दस्‍तकारों की मजदूरी बढ़ाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना के अधीन पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में दो खादी, 11 ग्राम उद्योग और दो कॉयर समूहों को चालू किया गया है। इसके लिए उन्‍हें संवर्धित उपकरण, सामान्‍य सुविधा केंद्र, कारोबार विकास सेवाएं, प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और डिजाइन तथा विपणन सुविधाएं प्रदान की गई हैं।

केवीआईसी की नई योजनाएं

केवीआईसी को केवीआई उत्‍पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वाणिज्‍य मंत्रालय द्वारा निर्यात प्रोत्‍साहन परिषदका मानद दर्जा प्रदान किया गया है। यह केवीआई क्षेत्र के लिए निर्यात के अवसर पैदा करने का एक बड़ा प्रयास सिद्ध होगा।

केवीआईसी ने डिजाइन और फैशन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में व्‍यावसायिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए मुंबई स्थित निफ्ट के साथ संपर्क स्‍थापित किए हैं और एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए गए हैं। निफ्ट, केवीआईसी की डिजाइन सैल गठित करने में सहायता करेगा जिसे बाजार में बिक्री के वास्‍ते वस्‍त्र तैयार करने के लिए खादी संस्‍थाओं द्वारा प्रयोग में लाया जाएगा।

निर्यात को बढ़ावा देने के लिए केवीआईसी भारतीय विदेश व्‍यापार संस्‍था के साथ समझौता ज्ञापन के तौर-तरीकों पर काम कर रहा है, जो केवीआई संस्‍थाओं और इकाईयों की निर्यात के क्षेत्र में क्षमता निर्माण में व्‍यावसायिक विशेषज्ञता लाएगा और खादी एवं ग्राम उद्योग क्षेत्र के लिए निर्यात के बाजार भी तैयार करेगा।

केवीआईसी द्वारा इस क्षेत्र में उत्‍पादित खादी और ग्राम उद्योग की वस्‍तुओं की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए बंगलुरू, गुवाहाटी और नगालैंड में कई खादी प्‍लाजा बनाये जा रहे हैं।

क्षेत्र/राज्‍य से बाहर प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए पूर्वोत्‍तर क्षेत्र, जम्‍मू कश्‍मीर, अंडमान निकोबार बोर्ड की इकाईयों और खादी एवं ग्राम उद्योग संस्‍थाओं के दस्‍तकारों और बुनकरों आदि की यात्रा, ठहरने और भोजन के लिए अनुदान सहायता देने के विशेष पैकेज शुरू किए गए हैं। यह इन क्षेत्रों की संस्‍थाओं और इकाईयों को प्रमुख प्रदर्शिनयों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्‍साहित करेंगे। इससे वे अपने उत्‍पादों की बिक्री बढ़ा सकेंगे और उनमें व्‍यावहारिकता भी ला सकेंगे।

प्रारंभ

वर्ष 2012-13 के दौरान ब्रैंड प्रोत्‍साहन, उत्‍पाद विकास, विभागीय बिक्री केंद्रों की सुव्‍यवस्‍था, सरकारी आपूर्तियों और निर्यात के क्षेत्रों पर विशेष ध्‍यान दिया जाएगा। यह व्‍यावसायिक एजेंसियों जैसे आईआईएफटी, सीआईआई, निफ्ट आदि के सहयोग से प्राप्‍त किया जाएगा। इसके अलावा देश और विदेश में प्रदर्शनियों, क्रय-विक्रय मेलों, कार्यशालाओं, गोष्ठियों और प्रशिक्षण कार्यक्रम आदि का भी आयोजन किया जाएगा।

·         अंतर्राष्‍ट्रीय प्रदर्शनियों और क्रय-विक्रय मेलों में भागीदारी के जरिए निर्यात बाजार को बढ़ावा देना। केवीआई उत्‍पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए केवीआई संस्‍थाओं और प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी कार्यक्रमों के जरिए निर्यात बाजार को प्रोत्‍साहित करना।

·         निर्यातोन्‍मुख केवीआई संस्‍थाओं और आरईजीपी/पीएमईजीपी इकाईयों के निर्यात संघों को बढ़ावा देना।
·         यह निर्यात को बढ़ावा देने और निर्यात योग्‍य इकाईयों की सहायता में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।

·         एशियाई विकास बैंक की सहायता से बाजारों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें केवीआईसी के साथ भागीदार के रूप में निजी क्षेत्र की संस्‍थाओं का चयन किया जाएगा, जो पूरे देश में बड़े पैमाने पर कारोबार करेंगे।

केवीआईसी के कार्य निष्‍पादन का विहंगम दृष्टिपात

ब्‍यौरा
2010-11
2011-12
उत्‍पादन (करोड़ रूपये में)
रूपये  19,871.86
21,852.00
बिक्री (करोड़ रूपये में)
रूपये  25,792.99
26,797.13
रोजगार
(लाखों में )
113.80
119.10

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