शुक्रवार, 31 मई 2013

भारत में खनिज भंडार

 
क्रोमाइट
बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, तमिलनाडु।
कोबाल्ट
राजस्थान और केरल।
तांबा
आंध्र प्रदेश कर्नाटक, मध्य प्रदेश, झारखंड, गुजरात, राजस्थान।
हीरा
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश।
फेल्सपार
पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु।
सोना
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक में कोलार।
ग्रेफाइट
राजस्थान, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु उड़ीसा व केरल।
जिप्सम
राजस्थान, जम्मू कश्मीर, तमिलनाडु।
इल्मेनाइट
केरल, उड़ीसा और तमिलनाडु।
लोहा
झारखंड, उड़ीसा, गोआ, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु।
शीशा
गुजरात व राजस्थान।
चूने का पत्थर
आंध्र प्रदेश, गोआ, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु।
मैंगनीज
गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र।
अभ्रक
झारखंड, आंध्र प्रदेश, राजस्थान।
शोरा
बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु
पेट्रोलियम
असम, गुजरात, मुंबई, त्रिपुरा, मणीपुर, पश्चिमी बंगाल, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र
प्राकृतिक गैस
असम व गुजरात
नमक
गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान।

भारत-थाईलैंड के मध्य सात समझौते

भारत व थाईलैंड ने आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के साथ आतंकवाद, मादक पदार्थो की तस्करी व धन के अवैध प्रवाह पर रोक लगाने के लिए गुरूवार को सात समझौते किए। इनमें प्रत्यर्पण व सजायाफ्ता लागों को एक-दूसरे को सौंपने की संधि भी है। भारतीय पीएम मनमोहन सिंह दो दिन की यात्रा पर थाईलैंड पहुंचे। उन्होंने थाईलैंड पीएम इगलुक शिनवात्रा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए। थाईलैंड ने सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता देने का समर्थन किया।
भारत तथा थाईलैंड के मध्य समझोते के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं.
·        प्रत्यर्पण संधि पर दस्तखत ।
·        आतंकी व अन्य अपराधों के लिए धन मुहैया कराने पर रोक 
     संबंधी अन्य समझौता।
·        सजायाफ्ताओं की सुपुर्दगी संबंधी-12 में हुई संधि की पुष्टि।
·        तटरक्षक बलों के बीच सहयोग बढ़ाने पर सहमति।
·        आर्थिक व्यापारिक एवं निवेश के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएंगे।
·        दोनों देशों ने उद्यमियों को त्वरित व्यापार वीसा पर सहमति।
·        भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना को 2016  
     के पहले पूरा करने पर सहमति।
·        भारत व मीकांग उपक्षेत्र को जोड़ने वाली सड़क के साथ व्यापार
     निवेश, पर्यटन व अन्य गतिविधियों के विस्तार पर राजी।
·        थाईलैंड नालंदा विवि को 33 हजार डॉलर अतिरिक्त देगा। बौद्ध 
     कला पर प्रदर्शनी लगेगी।
·       भारत थाई छात्रों को तकनीक- आर्थिक सहयोग के तहत 90
    भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के 26 तथा आयुर्वेदिक, योग 
    के तहत अनेक छात्रवृत्तियां देगा।
·     थाईलैंड सिल्पकोर्न विवि में संस्कृत अध्ययन पीठ व थम्मासात 
    विवि में हिंदी अध्ययन पीठ स्थापित होगी।

गुरुवार, 30 मई 2013

भारत और चीन के बीच 8 समझौतों पर दस्तखत

भारत और चीन की सेनाओं के बीच आमना-सामना होने की स्थिति की नौबत समाप्त होने के साए में 20 मई 2013 को दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व ने सीमा पर शांति सुनिश्चित करने के लिए नए उपाय करने पर सहमति जाहिर की और आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

लद्दाख में चीनी सेना के भारतीय क्षेत्र में 19 किलोमीटर तक भीतर तक घुसकर तंबू गाड़ने की घटना का शांतिपूर्ण समाधान होने के बावजूद चीन के प्रधानंमत्री ली क्विंग के साथ बातचीत में सीमा पर शांति का मामला ऊपर रहा और भारत ने यह साफ बता दिया कि दोनों देशों के संबंधों के आधार सीमा पर शांति है और इसे हर कीमत पर बरकरार रखना होगा।

दोनों पक्षों ने आपसी संबंध बढ़ाने के लिए जिन आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए उनमें कैलाश मानसरोवर यात्रा, जल प्रबंधन, शहरी विकास और आर्थिक मामलों संबंधी शामिल हैं। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने सीमा पर शांति कायम रखने पर सहमति व्यक्त करते हुए अपने विशेष प्रतिनिधियों शांति के लिए अतिरिक्त उपायों पर बातचीत करने का कहा है।

भारत ने चीनी प्रधानमंत्री को स्पष्ट बता दिया कि सीमा विवाद के हल की दिशा मे तेजी से आगे बढ़ना होगा। दूसरी ओर चीनी प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि सीमा को लेकर कुछ समस्याएं है और दोनों देशों में इस बात पर सहमति है कि सीमा प्रबंधन तंत्र मे सुधार की जरूरत है।

प्रधानमंत्री डॉ. सिंह ने अपनी प्रेस क्रॉफ्रेंस में पश्चिमी मोर्चे से लद्दाख में हाल में हुई चीनी घुसपैठ का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों पक्षों ने इससे सबक सीखा है तथा ऐसे मुद्दों को सुलझाने के लिए कायम प्रणाली का लेखाजोखा लिया है। उन्होंने कहा कि समाधान की मौजूदा प्रणाली उपयोगी सिद्ध हुई है।

उन्होंने कहा कि सीमा विवाद का यथाशीघ्र समाधान होना चाहिए तथा इसी उद्देश्य से दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि शीघ्र ही बैठक कर एक उचित और स्वीकार्य हल तक पहुंचने की कोशिश करेंगे।

ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह में कमी को लेकर भारत की चिंता के संबंध में डॉ. सिंह ने कहा कि नदी के निचले भाग वाले देश के हितों का संरक्षण होना चाहिए। उन्होंने जलप्रवाह को आंकने के लिए गठित मौजूदा विशेषज्ञ दल का कार्यक्षेत्र बढ़ाने पर भी जोर दिया।

साझा नदियों के जल प्रबंधन के बारे में आज हुए करार पर डॉ. सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दोनों देश हिमालयी क्षेत्र का पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए मिल कर काम करेंगे।

चीनी क्षेत्र में बन रहे बांधों के कारण ब्रह्ममपुत्र नदी पर बांध बनाने की चीनी गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताओं को दूर करने की पहल करते हुए दोनों देशो ने एक महत्वपूर्ण समझौता किया, जिसके तहत चीन हर साल एक जून से लेकर 15 अक्टूबर तक दिन में दो बार अपने हाइड्रोलॉजिकल स्टेशनों के जल स्तर और जल प्रवाह संबंधी सूचनाएं भारत को देगा।

कैलास मानसरोवर यात्रा हर साल मई से सितंबर के बीच आयोजित करने संबंधी फैसले पर विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने हस्ताक्षर किए। चीन ने कैलास मानसरोवर यात्रियों की सुविधाओं में सुधार करने और संचार के लिए किराए पर वायरलेस सेट और लोकल सिम कार्ड उपलब्ध कराने का समझौता किया।

आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए दोनों देशों ने तीन कार्य समूह गठित करने का समझौता किया। इस समझौते पर वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा और चीन के वाणिज्य मंत्री कुआ हुचेग ने हस्ताक्षर किए।

भैस के मांस, मछली उत्पादों और चारे को स्वास्थ्यकर बनाने का समझौता भी दोनों देशों ने किया है। शहरी क्षेत्रों में सीवेज ट्रीटमेट और आपसी हिता मामलों में अपने अनुभवों का साझा करने संबंधी सहमति पत्र हस्ताक्षर किए गए।


दोनों देश अपने लोगों के बीच संबंध बढ़ाने के लिए अपने विभिन्न नगरों और राज्यों की पहचान कायम करने पर सहमत हो गए ताकि इन नगरों और राज्यों के लोगों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाया जा सके।

ग्रामीण भंडार योजना

यह सर्वविदित है कि छोटे किसानों की आर्थिक सामर्थ्‍य इतनी नहीं होती कि वे बाजार में अनुकूल भाव मिलने तक अपनी उपज को अपने पास रख सकें। देश में इस बात की आवश्‍यकता महसूस की जाती रही है कि कृषक समुदाय को भंडारण की वैज्ञानिक सुविधाएं प्रदान की जाएं ताकि उपज की हानि और क्षति रोकी जा सके और साथ ही किसानों की ऋण संबंधी जरूरतें पूरी की जा सकें। इससे किसानों को ऐसे समय मजबूरी में अपनी उपज बेचने से रोका जा सकता है जब बाजार में उसके दाम कम हों। ग्रामीण गोदामों का नेटवर्क बनाने से छोटे किसानों की भंडारण क्षमता बढ़ाई जा सकती है। इससे वे अपनी उपज उस समय बेच सकेंगे जब उन्‍हें बाजार में लाभकारी मूल्‍य मिल रहा हो और किसी प्रकार के दबाव में बिक्री करने से उन्‍हें बचाया जा सकेगा। इसी बात को ध्‍यान में रख कर  2001-02 में ग्रामीण गोदामों के निर्माण/जीर्णोद्धार के लिए ग्रामीण भंडार योजना नाम का पूंजी निवेश सब्सिडी कार्यक्रम शुरू किया गया था।

इस कार्यक्रम के मुख्‍य उद्देश्‍यों में कृषि उपज और संसाधित कृषि उत्‍पादों के भंडारण की किसानों की जरूरतें पूरी करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अनुषंगी सुविधाओं के साथ वैज्ञानिक भंडारण क्षमता का निर्माण; कृषि उपज के बाजार मूल्‍य में सुधार के लिए ग्रेडिंग, मानकीकरण और गुणवत्‍ता नियंत्रण को बढ़ावा देना; वायदा वित्‍त व्‍यवस्‍था और बाजार ऋण सुविधा प्रदान करते हुए फसल कटाई के तत्‍काल बाद संकट और दबावों के कारण फसल बेचने की किसानों की मजबूरी समाप्‍त करना; कृषि जिन्‍सों के संदर्भ में राष्‍ट्रीय गोदाम प्रणाली प्राप्तियों की शुरूआत करते हुए देश में कृषि विपणन ढांचा मजबूत करना शामिल है। इसके जरिए निजी और सहकारी क्षेत्र को देश में भंडारण ढांचे के निर्माण में निवेश के लिए प्रेरित करते हुए कृषि क्षेत्र में लागत कम करने में मदद की जा सकती है।

ग्रामीण गोदाम के निर्माण की परियोजना देशभर में व्‍यक्तियों, किसानों, कृषक/उत्‍पादक समूहों,प्रतिष्‍ठानों, गैर सरकारी संगठनों, स्‍वयं सहायता समूहों, कम्‍पनियों, निगमों, सहकारी संगठनों,परिसंघों और कृषि उपज विपणन समिति द्वारा शुरू की जा सकती है।

स्‍थान :

इस कार्यक्रम के अंतर्गत उद्यमी को इस बात की आजादी है कि वह अपने वाणिज्यिक निर्णय के अनुसार किसी भी स्‍थान पर गोदाम का निर्माण कर सकता है। परंतु गोदाम का स्‍थान नगर निगम क्षेत्र की सीमाओं से बाहर होना चाहिए। खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रोन्‍नत फूड पार्कों में बनाए जाने वाले ग्रामीण गोदाम भी इस कार्यक्रम के अंतर्गत सहायता प्राप्‍त करने के पात्र हैं।

आकार :

गोदाम की क्षमता का निर्णय उद्यमी द्वारा किया जाएगा। लेकिन इस कार्यक्रम के अंतर्गत सब्सिडी प्राप्‍त करने के लिए गोदाम की क्षमता 100 टन से कम और 30 हजार टन से अधिक नहीं होनी चाहिए। 50 टन क्षमता तक के ग्रामीण गोदाम भी इस कार्यक्रम के अंतर्गत विशेष मामले के रूप में सब्सिडी के पात्र हो सकते हैं, जो व्‍यवहार्यता विश्लेषण पर निर्भर करेंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में 25 टन क्षमता के आकार वाले ग्रामीण गोदाम भी सब्सिडी के हकदार होंगे।

वैज्ञानिक भंडारण के लिए शर्तें :

कार्यक्रम के अंतर्गत निर्मित गोदाम इंजीनियरी अपेक्षाओं के अनुरूप ढांचागत दृष्टि से मजबूत होने चाहिए और कार्यात्‍मक दृष्‍टि से कृषि उपज के भंडारण के उपयुक्‍त होने चाहिए। उद्यमी को गोदाम के प्रचालन के लिए लाइसेंस प्राप्‍त करना पड़ सकता है, बशर्ते राज्‍य गोदाम अधिनियम या किसी अन्‍य सम्‍बद्ध कानून के अंतर्गत राज्‍य सरकार द्वारा ऐसी अपेक्षा की गई हो। 1000 टन क्षमता या उससे अधिक के ग्रामीण गोदाम केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्‍ल्‍यूसी) से प्रत्‍यायित होने चाहिए।

 ऋण से सम्‍बद्ध सहायता :

इस कार्यक्रम के अंतर्गत सब्सिडी संस्‍थागत ऋण से सम्‍बद्ध होती है और केवल ऐसी परियोजनाओं के लिए दी जाती है जो वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, राज्‍य सहकारी बैंकों,राज्‍य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों, कृषि विकास वित्‍त निगमों, शहरी सहकारी बैंकों आदि से वित्‍त पोषित की गई हों।

कार्यक्रम के अंतर्गत सब्सिडी गोदाम के प्रचालन के लिए कार्यात्‍मक दृष्टि से अनुषंगी सुविधाओं जैसे चाहर दिवारी, भीतरी सड़क, प्‍लेटफार्म, आतरिक जल निकासी प्रणाली के निर्माण, धर्मकांटा लगाने, ग्रेडिंग, पैकेजिंग, गुणवत्‍ता प्रमाणन, वेयरहाउसिंग सुविधाओं सहित गोदाम के निर्माण की पूंजी लागत पर दी जाती है।

वायदा ऋण सुविधा

इन गोदामों में अपनी उपज रखने वाले किसानों को उपज गिरवी रख कर वायदा ऋण प्राप्‍त करने का पात्र समझा जाएगा। वायदा ऋणों के नियम एवं शर्तों, ब्‍याज दर, गिरवी रखने की अवधि,राशि आदि का निर्धारण रिजर्व बैंक/नाबार्ड द्वारा जारी दिशा निर्देशों और वित्‍तीय संस्‍थानों द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्‍य बैंकिंग पद्धतियों के अनुसार किया जाएगा।

सब्सिडी

सब्सिडी की दरें इस प्रकार होंगी :-

क) अजा/अजजा उद्यमियों और इन समुदायों से सम्‍बद्ध सहकारी संगठनों तथा पूर्वोत्‍तर राज्‍यों,पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित परियोजनाओं के मामले में परियोजना की पूंजी लागत का एक तिहाई (33.33 प्रतिशत) सब्सिडी के रूप में दिया जाएगा, जिसकी अधिकतम सीमा 3 करोड़ रुपये होगी।

ख) किसानों की सभी श्रेणियों, कृषि स्‍नातकों और सहकारी संगठनों से सम्‍बद्ध परियोजना की पूंजी लागत का 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी जिसकी अधिकतम सीमा 2.25 करोड़ रुपये होगी।

ग) अन्‍य सभी श्रेणियों के व्‍यक्तियों, कंपनियों और निगमों आदि को परियोजना की पूंजी लागत का 15 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी जिसकी अधिकतम सीमा1.35 करोड़ रुपये होगी।

घ) एनसीडीसी की सहायता से किए जा रहे सहकारी संगठनों के गोदामों के जीर्णोद्धार की परियोजना लागत का 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी।

ड.) कार्यक्रम के अंतर्गत सब्सिडी के प्रयोजन के लिए परियोजना की पूंजी लागत की गणना निम्‍नांकित अनुसार की जाएगी :-

क)   1000 टन क्षमता तक के गोदामों के लिए वित्‍त प्रदाता बैंक द्वारा मूल्‍यांकित परियोजना लागत या वास्‍तविक लागत या रुपये 3500 प्रति टन भंडारण क्षमता की दर से आने वाली लागत, इनमें जो भी कम हो;

ख)  1000 टन से अधिक क्ष्‍ामता वाले गोदामों के लिए  :- बैंक द्वारा मूल्‍यांकित परियोजना लागत या वास्‍तविक लागत या रुपये 1500 प्रति टन की दर से आने वाली लागत, इनमें जो भी कम हो।

वाणिज्यिक/सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा वित्‍त पोषित परियोजनाओं के मामले में सब्सिडी नाबार्ड के जरिए जारी की जाएगी। यह राशि वित्‍तप्रदाता बैंक के सब्सिडी रिजर्व निधि खाते में रखी जाएगी और कर से मुक्‍त होगी।

PTI

बुधवार, 29 मई 2013

भारतीय समाज में बढ़ता अपराधीकरण

मौजूदा परिवेश में मानव-समाज अनेक जटिल समस्याओं से गुजर रहा है.. जिनमें सबसे प्रमुख समस्या है अपराध... हालांकि अपराध जैसी समस्याएं कोई नई बात नहीं है, इसकी आशंका तब से है जब से मानव समाज की रचना हुई है.. इन्हीं समस्याओं से निपटने के लिए मानव ने अपने लिए नैतिक आदर्श और सामाजिक नियम बनाया, जिसका पालन करना प्रत्येक मनुष्य का 'धर्म' बताया गया है.. किंतु तब अपराध की घटनाएं यदा-कदा सुनी जाती थी और अपराध की प्रवृति भी आज से इतर थी.. लेकिन आज भौतिकवाद की इस दुनियां में ऐसा प्रतीत हो रहा है मानों अपराध का ही सामाजीकरण हो रहा है, लोगों में इंसानियत मर चुकी है, संस्कार नष्ट हो गये हैं, नैतिकता दम तोड़ गयी है और ईमानदारी व वफादारी समाप्त हो गयी है.. बुद्धिजीवी और सामाजिक सरोकार रखने वाले लोगों का दायरा सिमट गया है और वे एकदम हाशिये पर जा चुके हैं.. कुटिल, अपराधी और क्रूर लोगों को आदर एवं सम्मान मिल रहा है.

अब सवाल उठता है कि इस विकसित सभ्य समाज में अपराध जैसी जटिल समस्या के पीछे क्या कारण है.. क्या यदि अपराधियों को फांसी हो जाए, पुलिस बल की संख्या पर्याप्त हो जाए और प्रशासन सख्त हो जाए, तो क्या अपराध बंद हो जाएगा? नहीं.. लोग अपराध करने के लिए नए-नए तरीके निकाल लेंगें... क्योंकि इनके पीछे मुख्य कारण है उनकी दूषित मानसिकता.. दूषित मानसिकता का कारण है समाज में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का पतन और इन मूल्यों के अभाव के पीछे कारण है जीवन से धर्म का निकल जाना..

आपको मालूम है कि धर्म एक प्रकार का आचार संहिता है, जिसके आधार पर मानव अपने अंदर उच्च आदर्शों को स्थापित करता है.. किंतु आज हमारे समाज का मुख्य लक्ष्य है पैसा कमाना.. क्योंकि ये भौतिक सुख-सुविधा देने में समर्थ है.. बच्चों के माता-पिता और उनके शिक्षक का ध्यान केवल इस बात पर है कि वे अपने परीक्षा में अच्छा नंबर लाएं, अच्छी नौकरी पाएं और ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाएं.. क्योंकि वर्तमान समाज उन्हें ही आदर और सम्मान देता है... जबकि यह सर्वविदित है कि आज के बच्चे ही कल के भविष्य हैं.. इनके ही संस्कार और आदर्शों की बुनियाद पर देश की दिशा और दशा तय होती है.. इसके बावजूद भी आज बच्चों को न तो विद्यालय में ही नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाता है और न ही घरों में, जिससे कि वे एक अच्छे नागरिक बन सकें.. आज के बच्चों का आदर्श स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी नहीं बल्कि बहुत पैसा कमाने वाला व्यक्ति होता है, चाहे पैसे किसी तरीके से कमाता हो.. इन बातों पर न केवल माता-पिता को बल्कि सरकार को भी ध्यान देने की जरुरत है...

वर्तमान में हम पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण करते हुए अपने राष्ट्र का गौरव और महिमा भूल रहे हैं.. जबकि हमारे देश के अच्छे चरित्र में अनेक गुण समाहित हैं.. यहां पराई स्त्री को उसके आयु के आधार पर उसे बहन, बेटी या मां के रुप में देखना धर्म माना गया है.. किंतु आज वैज्ञानिक युग में विज्ञान के आधार पर महिला केवल महिला है, वह संभोग के लिए बनी है, वह चाहे दो वर्ष की नन्हीं सी बालिका ही क्यों न हो... और आए दिन हमें इस तरह की दुर्घटनाओं का सामना भी करना पड़ता है, जो कि न केवल अपराध है बल्कि मानवीय बर्बरता है.. हमें अपने समाज को इस दंश से बचाने के लिए अपने अंदर उच्च आदर्शों को समाहित करना होगा.. इन उच्च आदर्शों में अनेक आदर्श समाहित हैं, जिनमें से एक है संभोग की सीमाएं.. यदि ये सीमाएं बनी रहें तो समाज स्वयं ही इस प्रकार की दुर्घटनाओं से बच जाएगा.. पुलिस या प्रशासन के भय से इसे नहीं रोका जा सकता.. अत: समाज में उच्च आदर्शों की स्थापना आवश्यक है..

हैरानी कि तो बात ये है कि जिस देश में हर पराई स्त्री में मां, बहन, बेटी का स्वरुप देखे जाने की प्रथा है उस देश की आज सबसे ज्वलंत समस्या है बलात्कार रूपी दुष्कर्म.. क्या इसी भारत की कल्पना भगत सिंह और गांधी ने की थी.. क्या इसी भारत के लिए महज 19 साल की अवस्था में खुदीराम बोस फांसी पर चढ़े? नहीं.. अतः हमें अपने समाज को स्वस्थ और सभ्य बनाने के लिए नई पीढ़ी को अच्छे संस्कार और उच्च आदर्शों से समाहित करना होगा.. अपराध को रोकने के लिए कठोरता एवं दंड आवश्यक तो है, परंतु उनके साथ-साथ दूषित मन को परिष्कृत करना भी आवश्यक है..

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